Maharashtra Politics : महाराष्ट्र की सियासत में एक बार फिर उबाल आ गया है. BJP के मंत्री ने कहा कि हमारी पार्टी कार्यकर्ताओं की है, जबकि शिवसेना और NCP उनके नेता से पहचान रखती है.
Maharashtra Politics : महाराष्ट्र की राजनीति में शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) की पहचान पर बहस होती रहती है. इसी बीच भारतीय जनता पार्टी (BJP) के मंत्री चंद्रकांत पाटिल के बयान ने सियासी उबाल ला दिया है. मंत्री ने कहा कि शिवसेना को उद्धव ठाकरे और NCP को उसके संस्थापक शरद पवार के रूप में जाना जाता है. मंत्री की यह टिप्पणी अब सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन के लिए शर्मिंदगी बन सकती है. भाजपा के नेता लोगों को यह समझाने की कोशिश कर रहे थे कि BJP अपने कार्यकर्ताओं की पार्टी के रूप में जानी जाती है. वहीं, शिवसेना और NCP अपने नेताओं के कारण जानी जाती है.
पार्टियों ने बनाई नेताओं के रूप में पहचान
भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेतृत्व में महायुति गठबंधन राज्य की सत्ता में है, जिसमें एकनाथ शिंदे वाली शिवसेना और अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) शामिल हैं. साथ ही दोनों ही महायुति गठबंधन की सरकार उपमुख्यमंत्री पद पर विराजमान हैं. दूसरी तरफ उद्धव ठाकरे की शिवसेना (UBT) और शरद पवार की NCP कांग्रेस के साथ विपक्षी गठबंधन महा विकास अघाड़ी (MVA) का हिस्सा हैं. एक सार्वजनिक सभी को संबोधित करते हुए शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि शिवसेना हमेशा बालासाहेब ठाकरे की पार्टी के रूप में जानी जाती रही है, फिर उद्धव ठाकरे के रूप में और भविष्य में शायद आदित्य ठाकरे की पार्टी रूप में जानी जाती रहेगी. यही बात हम NCP (शरतचंद्र पवार) को लेकर भी कह सकते हैं कि वह भी शरद पवार के नाम से ही अपनी पहचान बनाएगी. लेकिन यह दोनों पार्टी कभी भी कार्यकर्ता के रूप में अपनी पहचान नहीं बना सकीं.
ऐसा लगा उद्धव ठाकरे को झटका
बता दें कि साल 2022 में एकनाथ शिंदे ने साल 2022 में शिवसेना से बगावत कर दी थी और पार्टी के विधायक तोड़कर BJP के साथ मिलकर राज्य में सरकार बना ली थी. उस दौरान BJP के समर्थन से एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बनाए गए थे. इसके एक साल बाद महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता अजित पवार ने भी अपने चाचा शरद पवार से बगावत कर दी और वह विधायकों को तोड़कर कर एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार में शामिल होने के बाद उपमुख्यमंत्री बन गए. इसके अलावा उद्धव ठाकरे को सबसे बड़ा झटका उस वक्त लगा जब फरवरी 2023 में चुनाव आयोग ने शिवसेना और उसका चुनाव चिह्न ‘धनुष-बाण’ एकनाथ गुट को दे दिया था. इसी तरह आयोग ने अजित पवार गुट को भी असली NCP के रूप में मान्यता दे दी थी. दूसरी तरफ ठाकरे गुट को शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नाम और जलती मशाल चुनाव दिया था, जबकि शरद पवार की पार्टी को NCP (शरतचंद्र पवार) नाम और तुरहा (एक पारंपरिक तुरही) बजाता हुआ आदमी दिया गया था.
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