Karnataka Assembly: कर्नाटक में सामाजिक बहिष्कार करने वालों की अब खैर नहीं है. बहिष्कार करने वालों को 3 साल तक की जेल और 1 लाख तक का जुर्माना हो सकता है.
Karnataka Assembly: कर्नाटक में सामाजिक बहिष्कार करने वालों की अब खैर नहीं है. बहिष्कार करने वालों को 3 साल तक की जेल और 1 लाख तक का जुर्माना हो सकता है. सरकार ने सामाजिक बहिष्कार पर रोक लगाने वाला विधेयक पेश किया है. कर्नाटक सरकार ने विधानसभा में ‘कर्नाटक सामाजिक बहिष्कार (रोकथाम, निषेध और निवारण) विधेयक, 2025’ पेश किया है. विधेयक में प्रावधान किया गया है कि जो व्यक्ति या समूह, विशेषकर पंचायतें यदि किसी का सामाजिक बहिष्कार करती हैं तो उसे अपराध माना जाएगा. उल्लंघन पर तीन साल तक की जेल और 1 लाख रुपये तक का जुर्माना है. सरकार का कहना है कि पंचायतों की असंवैधानिक प्रथाओं से लोगों को गंभीर उत्पीड़न झेलना पड़ता है. इसका सामाजिक जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और समाज में दुर्भावना और असामंजस्य को जन्म देता है. इसलिए समाज से इन बुराइयों और असंवैधानिक प्रथाओं को जड़ से खत्म करना जरूरी है.
सामाजिक बहिष्कार निषेध अधिकारी की भी नियुक्ति
विधेयक में कहा गया है कि मौजूदा कानून ऐसी प्रथाओं से निपटने में अपर्याप्त हैं. इसलिए सरकार ने एक नया कानून बनाना उचित समझा. निगरानी के लिए सामाजिक बहिष्कार निषेध अधिकारी की नियुक्ति भी की जाएगी. विधेयक के पारित हो जाने से सामाजिक बहिष्कार और सामाजिक भेदभाव जैसी बुरी प्रथाओं पर रोक लग सकेगी. विधेयक में स्पष्ट किया गया है कि सामाजिक बहिष्कार अपराध होगा. विधेयक में कहा गया है कि सामाजिक बहिष्कार थोपने पर चर्चा करने के लिए व्यक्तियों की कोई भी सभा या सम्मेलन गैरकानूनी होगा और उस पर एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. इस प्रस्तावित कानून में दंडनीय कोई भी अपराध संज्ञेय और जमानती होगा. इस विधेयक में सरकार को सामाजिक बहिष्कार निषेध अधिकारी नियुक्त करने का प्रावधान है. सरकार ने गुरुवार को विधानसभा में “ग्रेटर बेंगलुरु शासन (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2025” भी पेश किया.
MP भी होंगे ग्रेटर बेंगलुरु प्राधिकरण के सदस्य
उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार की ओर से मंत्री महादेवप्पा द्वारा पेश किए गए इस विधेयक में ग्रेटर बेंगलुरु शासन अधिनियम, 2024 में संशोधन किया गया है, जिसके तहत लोकसभा, राज्यसभा, राज्य विधानसभा और राज्य विधान परिषद के सदस्यों को ग्रेटर बेंगलुरु प्राधिकरण के सदस्य के रूप में शामिल किया गया है. इसमें मुख्य सचिव, शहरी विकास विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव और वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव या प्रधान सचिव को प्राधिकरण के पदेन सदस्य के रूप में शामिल करने का भी प्रावधान है. साथ ही शहरी विकास विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को कार्यकारी समिति के सदस्य के रूप में नियुक्त किया जाएगा. विधेयक में नवगठित स्थानीय क्षेत्रों के वार्डों का पुनर्वितरण एक निर्धारित अवधि के भीतर करने का अधिकार दिया गया है.
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