Home Religious मां सीता की पहली रसोई में क्यों डर गए थे राजा दशरथ, मांगा ऐसा वचन जिसने बचाई रावण की जान

मां सीता की पहली रसोई में क्यों डर गए थे राजा दशरथ, मांगा ऐसा वचन जिसने बचाई रावण की जान

by Live Times
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Mata Sita And Dashrath Katha

Mata Sita And Dashrath Katha: रावण के आते ही मां सीता एक घास के तिनके को उठा लेती थीं. इसके पीछे एक बड़ा रहस्य छुपा है, जो राजा दशरथ से जुड़ा है.

11 December, 2025

Mata Sita And Dashrath Katha: भगवान की राम की पत्नी माता सीता स्वयं मां लक्ष्मी का अवतार थीं. जब रावण ने माता सीता का हरण किया था, तब वे चाहती तो केवल उसे अपनी दृष्टि से भस्म कर सकती थीं, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. हरण करने के बाद जब भी रावण मां सीता के पास आता तो वह मां सीता को छूने का साहस नहीं कर पाता. रावण के आते ही मां सीता एक घास का तिनका उठा लेती थीं. इसके पीछे एक बड़ा रहस्य छुपा है, जो राजा दशरथ से जुड़ा है. दरअसल, माता सीता अपने ससुर राजा दशरथ को दिए एक वचन में बंधी थीं, जिसनें उन्हें अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करने से रोक रखा था और रावण की जान बचाई थी.

राजा दशरथ की खीर में पड़ा तिनका

जब माता सीता विवाह करके अपने ससुराल आईं, तो उन्होंने अपनी पहली रसोई की रस्म में खीर बनाई. सबको खीर परोसने के समय अचानक बहुत तेज हवा चलने लगी. उसी समय राजा दशरथ की खीर में एक घास का तिनका चला गया. उनके लिए यह दुविधा थी क्योंकि वे हाथ से उसे नहीं निकाल सकती थीं, इसलिए वे उस घास के तिनके को बहुत ध्यान से बिना पलक झपकाए देखने लगीं. उनकी दृष्टि की शक्ति से वह तिनका उड़कर भस्म हो गया. उस समय सभी लोग अपना खाना संभाल रहे थे, लेकिन राजा दशरथ ने माता सीता को ऐसा करते हुए देख लिया.

अपनी बहु से डर गए राजा दशरथ

राजा दशरथ यह देखकर डर गए. वे समझ गए कि उनकी बहु सीता कोई आम महिला नही बल्कि स्वयं दैवीय शक्ति हैं. बाद में राजा दशरथ ने अपने कक्ष में माता सीता को बुलवाया और उनसे कहा कि ‘मैंने आज भोजन के समय आपके चमत्कार को देखा. आप जगत जननी स्वरूपा हैं.’ उन्होंने माता सीता से वचन लिया कि जिस तरह आज आपने उस घास के तिनके को देखा उस तरह कभी अपने शत्रु को भी मत देखना. माता सीता ने भी ऐसा ही करने का वचन दिया.

रावण के आते ही घास उठा लेती थीं मां सीता

रामायण के अनुसार, रावण ने मां सीता को अशोक वाटिका में रखा था. जब भी रावण मां सीता के पास आता तो वह बहुत क्रोधित हो जाती थीं, लेकिन राजा दशरथ को दिए वचन के कारण वे कुछ कर नहीं सकती थीं. इसलिए वे रावण के सामने एक तिनका उठाकर उसे भस्म कर देती थीं. यह देखकर रावण डर जाता था और उन्हें छूने का साहस नहीं कर पाता था. इसलिए हरण करने के बाद भी वह मां सीता को छू नहीं पाया और माता ने अपनी शक्तियों का इस्तेमाल नहीं किया.

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