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जस्टिस GR स्वामीनाथन के खिलाफ महाभियोग पर पूर्व जजों ने की आलोचना, बताई बेशर्म कोशिश

by Sachin Kumar
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56 ex-judges impeach Justice GR Swaminathan Madras HC

Madras High Court : मद्रास उच्च न्यायालय के इस आदेश से विवाद खड़ा हो गया है और 9 दिसंबर को DMK के नेतृत्व में कई विपक्षी सांसदों ने जज को हटाने के लिए एक प्रस्ताव लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को सौंपा है.

Madras High Court : मद्रास उच्च न्यायालय के जस्टिस जीआर स्वामीनाथन (Justice GR Swaminathan) को हटाने के लिए संसद में महाभियोग चलाने की कोशिश को लेकर पूर्व जजों ने एक बयान जारी करके निंदा की है. DMK द्वारा लाए गए इस महाभियोग पर उन्होंने ‘जजों को डराने की एक बेशर्म कोशिश’ बताई है. एक दिसंबर को जस्टिस स्वामीनाथन ने कहा कि अरुलमिघु सुब्रमण्यम स्वामी मंदिर की यह जिम्मेदारी है कि वह उची पिल्लैयार मंडपम के पास पारंपरिक रोशन के अलावा दीपाथून पर दीया जलाए. स्वामीनाथन की सिंगल बेंच ने कहा कि ऐसा करने से पास की दरगाह या मुस्लिम समुदाय के अधिकारों का उल्लंघन नहीं होगा.

स्पीकर को सौंपा गया महाभियोग

मद्रास उच्च न्यायालय के इस आदेश से विवाद खड़ा हो गया है और 9 दिसंबर को DMK के नेतृत्व में कई विपक्षी सांसदों ने जज को हटाने के लिए एक प्रस्ताव लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को सौंपा है. बयान में आगे कहा गया कि यह उन जजों को डराने-धमकाने की एक खुली कोशिश है जो समाज के एक खास तबके की सोच और पॉलिटिकल उम्मीदों के हिसाब नहीं चलते हैं. उन्होंने आगे कहा कि अगर इस तरह की कोशिश को आगे बढ़ाते हैं तो यह हमारी डेमोक्रेसी और ज्यूडिशियरी की आजादी की जड़ों को ही खत्म कर देगा. बयान में कहा गया है कि अगर सांसदों की तरफ से अभियोग पर साइन किया गया वह सच है तो भी यह पीचमेंट जैसे दुर्लभ, खास और गंभीर संवैधानिक कदम को सही ठहराने के लिए काफी नहीं थे.

56 पूर्व जजों ने बयान पर साइन

सुप्रीम कोर्ट के दो पूर्व जजों, हाई कोर्ट के पांच पूर्व चीफ जस्टिस और 49 रिटायर्ड हाई कोर्ट जजों ने बयान में साइन किया है. उन्होंने कहा कि यह हमारे हाल के संवैधानिक इतिहास के एक साफ और बहुत परेशान करने वाले पैटर्न में फिट बैठता है, जहां पॉलिटिकल क्लास के कुछ हिस्सों से हायर ज्यूडिशियरी को बदनाम करने और डराने की कोशिश है. इसके अलावा दबाव बनाने के लिए इंपीचमेंट को हथियार बनाने की कोशिश की गई है, जो ज्यूडिशियल इंडिपेंडेंस और कॉन्स्टिट्यूशनल डेमोक्रेसी पर सीधी चोट है. उन्होंने कहा कि इंपीचमेंट मैकेनिज्म का असली मकसद ज्यूडिशियरी की सच्चाई को बनाकर रखना है, न कि दबाव बनाने सिग्नल देने और बदले की कार्रवाई का टूल बनाना है.

संविधान के प्रति जवाबदेही सुनिश्चित

बयान में आगे कहा गया है कि जजों को पॉलिटिकल उम्मीदों के मुताबिक चलने के लिए मजबूर करने के लिए हटाने की धमकी का इस्तेमाल करना संविधान सेफगार्ड को डराने का टूल बनाना है. इसमें कहा गया है कि ऐसा तरीका एंटी-डेमोक्रेटिक, एंटी-कॉन्स्टिट्यूशनल और कानून के राज के लिए बुरा है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि आज एक जज को टारगेट किया जा सकता है और कल यह पूरी संस्था पर भी हो सकता है. उन्होंने कहा कि हम सभी स्टेकहोल्डर्स, सभी पार्टियों के सांसद, बार सदस्यों, सिविल सोसाइटी और आम लोगों से आग्रह करते हैं कि वह इस कदम की साफ तौर पर निंदा करें. इस बयान में यह भी कहा गया है कि जजों को पार्टी और राजनीतिक एजेंडे दबाव के बदले संविधान के प्रति जवाबदेह होना होता है.

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