Illegal Drug Factory: हिमाचल में पुलिस ने अवैध दवा फैक्ट्री का भंडाफोड़ किया है. छापा पड़ते ही फैक्ट्री में काम कर रहे कर्मचारी भाग गए.
Illegal drug factory: हिमाचल में पुलिस ने अवैध दवा फैक्ट्री का भंडाफोड़ किया है. छापा पड़ते ही फैक्ट्री में काम कर रहे कर्मचारी भाग गए. छापेमारी के दौरान 6 लाख की दवाएं जब्त की गईं. अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले के बाथू क्षेत्र में बिना लाइसेंस के चल रही एक दवा फैक्ट्री पर पुलिस ने छापा मारा. इस दौरान फैक्ट्री में बनी छह लाख रुपये की दवाएं जब्त की गईं. ऊना पुलिस ने औषधि विभाग के साथ मिलकर गुरुवार रात को दवा फैक्ट्री पर छापा मारा. 14 साल पहले बंद हुई यह फैक्ट्री अवैध रूप से दवाओं का निर्माण कर रही थी. सूचना मिलने पर विशेष जांच शाखा के प्रभारी सुनील कुमार संख्यान के नेतृत्व में एक टीम ने फैक्ट्री पर छापा मारा और परिसर से अवैध रूप से निर्मित दवाएं बरामद कीं. प्रभारी सुनील कुमार ने बताया कि गंभीर कमियां पाए जाने के बाद 2011 में कारखाने का लाइसेंस रद्द कर दिया गया था. जिससे यह फैक्ट्री बंद हो गई थी. इसके बावजूद बिना किसी वैध अनुमति के फैक्ट्री को चोरी छिपे चालू कर दिया गया था. फैक्ट्री में उत्पादन जारी रहा.
नियमों का उल्लंघन बर्दाश्त नहींः पुलिस अधीक्षक
औषधि निरीक्षक पंकज गौतम ने बताया कि जब्त की गई दवाएं सामान्य उपयोग के लिए थीं. उन्होंने आगे बताया कि कारखाने के मालिक के खिलाफ औषधि एवं सौंदर्य प्रसाधन अधिनियम के तहत कार्रवाई की जा रही है. यह पता लगाने के लिए जांच चल रही है कि दवाओं की आपूर्ति कहां से हुई और इसमें अन्य कौन शामिल है. ऊना के पुलिस अधीक्षक अमित यादव ने कहा कि नियमों का उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और कार्रवाई जारी रहेगी. औषधि विभाग अब जब्त किए गए माल की गुणवत्ता, वैधता और दस्तावेज़ीकरण की जांच करेगा. बाथू के बाद संयुक्त टीम ने कर्मापुर-लाल्दी रोड पर स्थित एक अन्य दवा फैक्ट्री का भी अचानक निरीक्षण किया. फैक्ट्री लंबे समय से बंद पाई गई और परिसर में कोई गतिविधि नहीं देखी गई. राज्य में लगभग 50 दवा उद्योग बंद हैं, लेकिन उनमें से कुछ अवैध रूप से दवाओं का उत्पादन कर रहे हैं.
बद्दी में फैक्ट्री संचालक गिरफ्तार
हाल ही में बद्दी में एक मामला सामने आया है, जहां एक बंद पड़ी कंपनी असम की एक फैक्ट्री के नाम पर अवैध रूप से दवाइयां बना रही थी. जांच में पता चला है कि मूल दवा कंपनी बंद हो चुकी है और अब दवा का उत्पादन नहीं करती है. कंपनी के संचालक को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है, जबकि आपूर्तिकर्ता अभी भी फरार है. इस घटना के बाद ड्रग कंट्रोल एडमिनिस्ट्रेशन (डीसीए) के एंटी-नारकोटिक्स टास्क फोर्स ने बुधवार को राज्य भर में व्यापक छापेमारी की और सिरमौर, ऊना, कांगड़ा और सोलन जिलों में एक साथ 20 उद्योगों पर छापे मारे गए. चार स्थानों पर अनियमितताएं पाई गईं और बंद होने के बावजूद उत्पादन गतिविधियां जारी थीं. राज्य के ड्रग कंट्रोलर मनीष कपूर ने कहा कि प्रशासन उल्लंघन के प्रति शून्य-सहिष्णुता नीति अपनाता है. उन्होंने चेतावनी दी कि आदेशों का उल्लंघन करने वाली किसी भी कंपनी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
ये भी पढ़ेंः गोवा अग्निकांड में पुलिस का बड़ा एक्शन, मालिक लूथरा भाइयों को थाईलैंड से हिरासत में लिया
