South Asia: यूनिसेफ, डब्ल्यूएचओ और यूएनएफपीए के किए गए संयुक्त विश्लेषण के अनुसार, हर साल दक्षिण एशिया में लगभग 6,500 किशोरियां प्रसव के दौरान मर जाती हैं. इनमें ज्यादातर नाबालिग किशाोरियां हैं.
12 July, 2024
South Asia: UNICEF, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) के संयुक्त विश्लेषण के अनुसार, हर साल दक्षिण एशिया में लगभग 6,500 किशोरियां प्रसव के दौरान दम तोड़ देती हैं. इनमें से अधिकांश बाल वधुएं होती हैं. जब कम उम्र की लड़कियां किसी बच्चे को जन्म देती हैं तो उनका जीवन जोखिम में पड़ जाता है, क्योंकि वह शारीरिक रूप से जन्म देने के लिए तैयार नहीं होती हैं.
किशोरियों में शिक्षा और रोजगार का है अभाव
दक्षिण एशिया में 49 प्रतिशत युवा लड़कियों में शिक्षा और रोजगार का अभाव है. यह तुलनात्मक रूप से ज्यादा है. कम उम्र में ही दक्षिण एशिया में लड़कियों की शादी कर दी जाती है. इससे उनकी स्कूली शिक्षा छू़ट जाती है. लड़कियों को गर्भधारण करने की कोई जानकारी नहीं होती है. उम्र कम होने के कारण उनका शरीर भी इसके लिए तैयार नहीं होता है. विशेषज्ञों का मानना है कि गर्भवती होने की सबसे सही उम्र 20 से 30 वर्ष है.
किशोरियों को नहीं मिलती है अच्छी स्वास्थ्य सेवा
यूनिसेफ के दक्षिण एशिया मामलों के क्षेत्रीय निदेशक संजय विजेसेकरा ने कहा कि हमें किशोरियों खासकर विवाहित, गर्भवती या मां बन चुकी लड़कियों के लिए बेहतर प्रयास करना चाहिए. किशोरियों को अच्छी स्वास्थ्य सेवा, पौष्टिक भोजन के अलावा कौशल विकसित करने और व्यवसाय शुरू करने के अवसर से वंचित रखा जाता है. माता-पिता के रूप में उन्हें अपनी क्षमता को पूरा करने और आगे बढ़ने के लिए जो कुछ भी चाहिए उनसे उन्हें वंचित कर दिया जाता है.
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