पुलिस ने बताया कि एक टीम बनाई गई है, जो घटना के कारणों की जांच करेगी. टीम यह भी जांच करेगी कि लॉक-अप में मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने मारपीट को रोकने का प्रयास क्यों नहीं किया.
New Delhi: दिल्ली की एक अदालत के लॉकअप में विचाराधीन कैदी की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई. दिनदहाड़े हुई वारदात से अदालत परिसर में सनसनी फैल गई. बताया जाता है कि सुरक्षा में चूक का लाभ उठाकर आरोपियों ने वारदात को अंजाम दिया. गुरुवार को सुनवाई के लिए साकेत कोर्ट लाए गए एक व्यक्ति की कोर्ट के लॉकअप में दो अन्य कैदियों ने पीट-पीटकर हत्या कर दी. पुलिस ने बताया कि दोनों आरोपियों ने कैदी को बार-बार लात मारी और उसका सिर दीवार पर पटक दिया. हत्या के प्रयास के एक मामले में मुकदमे का सामना कर रहे अमन (24) को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.
घटना की जांच के लिए बनी टीम
पुलिस ने बताया कि घटना की जांच के लिए एक टीम बनाई गई है. टीम यह जांच करेगी कि लॉक-अप में मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने मारपीट को रोकने का प्रयास क्यों नहीं किया. इस संबंध में पुलिस उपायुक्त (दक्षिण) अंकित चौहान ने बताया कि जब विचाराधीन कैदी अमन पर जितेंद्र उर्फ जित्ते और जयदेव उर्फ बच्चा ने हमला किया, तब लॉक-अप में कई अन्य विचाराधीन कैदी भी मौजूद थे. डीसीपी ने कहा कि अमन को साकेत कोर्ट में पेश करने के लिए लाया गया था, जब लॉक-अप के खारजा नंबर 5 में यह घटना हुई. 2024 में अमन ने जितेंद्र और उसके भाई पर चाकू से हमला किया था.पुलिस ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि प्रतिद्वंद्विता जारी रही और हिरासत के दौरान बढ़ गई.
पुलिस की लापरवाही आई सामने
उन्होंने कहा कि गोविंदपुरी निवासी अमन को हमले में गंभीर चोटें आईं और उसे तुरंत मेडिकल जांच के लिए ले जाया गया, लेकिन इलाज के दौरान उसे मृत घोषित कर दिया गया. शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है और हत्या का मामला दर्ज किया गया है. आगे की जांच जारी है. पीटीआई से बात करते हुए पटियाला हाउस कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व सचिव एडवोकेट वीरेंद्र कसाना ने कहा कि यह दिल्ली पुलिस की ओर से एक बड़ी सुरक्षा चूक है. कसाना ने कहा कि यह एक बहुत ही गंभीर घटना है. एक पुराने झगड़े के कारण एक-दूसरे को जानने वाले तीन लोगों को जेल में रखना एक बहुत ही गंभीर मुद्दा है.
विचाराधीन कैदियों से भी टीम करेगी पूछताछ
कहा कि सभी पुलिस अधिकारियों को पता होता है कि उन्हें अपराधियों को अदालत में पेश करने के लिए कब लाना है. लेकिन उन्हें एक ही सेल में रखना सुरक्षा में एक बड़ी चूक है. पुलिस को मामले की जांच करनी चाहिए और मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों की जिम्मेदारी तय करनी चाहिए. पुलिस ने कहा कि वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को मामले की जानकारी दे दी गई है और पूरे मामले की जांच के लिए टीमें गठित की गई हैं. पुलिस की टीमें अन्य विचाराधीन कैदियों से भी घटनाओं के क्रम के बारे में पूछेंगी. वे यह भी समझने की कोशिश करेंगे कि अदालत के लॉक-अप के अंदर सुरक्षा अधिकारियों ने समय पर प्रतिक्रिया क्यों नहीं दी. पुलिस ने बताया कि अमन, जितेंद्र और जयदेव तिहाड़ जेल नंबर 8 में बंद थे.
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