शंकर अपने गांव में एक मोबाइल फोन की दुकान चलाता था. वह पहले दो साइबर अपराध मामलों और एक हत्या के मामले में शामिल था.
New Delhi: बैंक अधिकारी बनकर दिल्ली निवासी से 10.64 लाख रुपए की ठगी करने के आरोप में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है. आरोपी शंकर दान (27) और प्रदीप कुमार दान (26) ने मोबाइल नंबरों से जुड़े बैंक खातों के नाम की पहचान करने के लिए एक भुगतान गेटवे ऐप का इस्तेमाल किया था. इसके बाद शंकर अनजान लोगों को फ़ोन करता. बैंक अधिकारी बनकर उन्हें फर्जी फाइलें भेजता.पुलिस ने बताया कि आरोपियों ने जामताड़ा से सिम कार्ड ख़रीदे और धोखाधड़ी के लिए स्थानीय स्तर पर ख़रीदे गए क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल किया. पुलिस उपायुक्त (दक्षिण-पश्चिम) अमित गोयल ने बताया कि 30 जून को आरोपियों ने पीड़ित को बैंक अधिकारी बनकर फ़ोन किया और बताया कि उसके खाते से जारी दो चेक बाउंस हो गए हैं.
आरोपियों ने व्हाट्सएप पर भेजा लिंक
आरोपियों ने पीड़ित से चेक की तस्वीरों की पुष्टि करने को कहा. इसके बाद पीड़ित को व्हाट्सएप पर एक लिंक भेजा गया. पीड़ित ने फ़ाइल डाउनलोड और इंस्टॉल की, लेकिन धोखेबाजों द्वारा दावा किए गए चेक की कोई छवि नहीं मिली. पुलिस ने बताया कि कुछ संदिग्ध लगने पर पीड़ित ने लिंक को हटा दिया और अपना फोन बंद कर दिया. हालांकि, डिवाइस को पुनः आरंभ करने पर पीड़ित को पासवर्ड परिवर्तन और अनधिकृत वित्तीय गतिविधियों के बारे में कई एसएमएस अलर्ट मिले. इसके बाद पीड़ित के खाते से करीब 10 लाख निकल गए. डीसीपी ने कहा कि जांच में पाया गया कि धोखाधड़ी वाले लेनदेन के दौरान उत्पन्न ओटीपी को एक अज्ञात मोबाइल नंबर पर डायवर्ट किया गया था, जिससे आरोपी को पीड़ित के खाते तक पहुंच प्राप्त हो गई. तकनीकी निगरानी के आधार पर आरोपियों को धनबाद में ट्रैक किया गया.
पैतृक गांव से पकड़ा गया आरोपी
पुलिस ने पूरे झारखंड में छापेमारी की. आखिरकार शंकर दान को उसके पैतृक गांव से पकड़ लिया गया. पुलिस ने कहा कि आरोपियों के कब्जे से कॉलिंग डिवाइस सहित चार मोबाइल फोन बरामद किए गए. पुलिस ने सह-आरोपी प्रदीप कुमार दान को पश्चिम बंगाल के बीरभूम में गिरफ्तार किया. धोखाधड़ी के दौरान मोबाइल एप्लिकेशन तक पहुंचने के लिए इस्तेमाल किए गए दो मोबाइल फोन उसके पास से जब्त किए गए.पुलिस ने कहा कि आरोपियों ने धोखाधड़ी की राशि का पता लगाने से बचने के लिए एक डिवाइस का इस्तेमाल किया था. पुलिस ने कहा कि शंकर अपने गांव में एक मोबाइल फोन की दुकान चलाता था. वह पहले दो साइबर अपराध मामलों और एक हत्या के मामले में शामिल था.पुलिस ने कहा कि वह धोखाधड़ी की आय से एक शानदार जीवन शैली जी रहा था. सिंडिकेट के अन्य सदस्यों का पता लगाने के लिए पुलिस की जांच जारी है.
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