Delhi Education Update: यदि यह कानून बनता है, तो फीस निर्धारण में पारदर्शिता आएगी, मनमानी पर लगाम लगेगी और बच्चों को शिक्षा के नाम पर शोषण से बचाया जा सकेगा.
Delhi Education Update: दिल्ली सरकार ने निजी स्कूलों की मनमानी फीस वृद्धि पर रोक लगाने के लिए विधानसभा में एक नया विधेयक पेश किया है. दिल्ली सरकार का यह विधेयक उन हजारों अभिभावकों के लिए राहत की उम्मीद लेकर आया है जो हर साल बढ़ती स्कूल फीस से जूझते हैं. शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने इसे ‘जनता के लिए, जनता द्वारा’ प्रेरित एक पारदर्शी कानून बताया है, जो तीन स्तरों पर निगरानी तंत्र स्थापित करेगा और नियम तोड़ने वाले स्कूलों पर भारी जुर्माना तथा कार्रवाई का प्रावधान करेगा.
हर साल हजारों माता-पिता निजी स्कूलों की बेहिसाब फीस वृद्धि से परेशान रहते हैं. अब दिल्ली सरकार ने इस पर सख्ती दिखाने का फैसला किया है. मानसून सत्र के पहले दिन विधानसभा में शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने दिल्ली स्कूल शिक्षा पारदर्शिता एवं फीस निर्धारण विनियमन विधेयक 2025 पेश किया. सूद ने दावा किया कि इस विधेयक को रोकने के लिए उन्हें धमकियां दी गईं और निजी शिक्षा माफिया ने पूरा जोर लगाया. लेकिन सरकार ने दबाव के बावजूद यह कदम उठाया है.
निजी स्कूलों की मनमानी पर लगेगा ब्रेक
विधेयक का उद्देश्य निजी स्कूलों द्वारा मनमानी फीस बढ़ोतरी पर अंकुश लगाना है. इसमें तीन स्तर, स्कूल, जिला और राज्य पर समितियां गठित की जाएंगी, जो फीस निर्धारण की प्रक्रिया को पारदर्शी और जवाबदेह बनाएंगी. स्कूल स्तर की समिति हर साल 15 जुलाई तक बनानी होगी, और इन समितियों द्वारा तय फीस तीन वर्षों तक प्रभावी रहेगी.
फीस निर्धारण में पारदर्शिता होगी अनिवार्य
फीस तय करते समय स्कूल का स्थान, आधारभूत ढांचा, शैक्षणिक गुणवत्ता, प्रशासनिक खर्च, स्टाफ वेतन, अधिशेष फंड और अन्य निर्धारित मानदंडों को ध्यान में रखा जाएगा. शिक्षा निदेशक को विशेष अधिकार दिए गए हैं, जिससे वे इन समितियों के रिकॉर्ड की जांच कर सकें और आवश्यक निर्देश जारी कर सकें.
कड़ा दंड, सख्त कार्रवाई का प्रावधान
अगर कोई स्कूल समिति द्वारा तय फीस से अधिक वसूली करता है, तो उसे 20 कार्य दिवसों में अतिरिक्त राशि वापस करनी होगी. ऐसा न करने पर पहले जुर्माना लगेगा, फिर समय बढ़ने पर यह राशि दोगुनी, तिगुनी होती जाएगी. पहले उल्लंघन पर 1 से 5 लाख और बार-बार उल्लंघन पर 2 से 10 लाख रुपये का दंड प्रस्तावित है. लगातार नियम तोड़ने पर स्कूल की मान्यता रद्द करने या उसका प्रबंधन अपने अधीन लेने का प्रावधान भी रखा गया है.
छात्रों को परेशान करने पर भी होगी सजा
विधेयक में यह भी साफ किया गया है कि फीस न देने पर स्कूल छात्र को मानसिक रूप से प्रताड़ित नहीं कर सकते. नाम काटना, परीक्षा परिणाम रोकना, कक्षाओं में प्रवेश से वंचित करना या सार्वजनिक रूप से शर्मिंदा करना जैसे कार्यों पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा.
पुराने कानून की खामियों को करेगा दूर
शिक्षा मंत्री ने बताया कि यह नया विधेयक दिल्ली स्कूल शिक्षा अधिनियम 1973 की खामियों को दूर करेगा, जो निजी स्कूलों की फीस बढ़ोतरी पर नियंत्रण लगाने में विफल रहा है. नया कानून वित्तीय पारदर्शिता, निगरानी तंत्र और शिकायत निवारण व्यवस्था को मजबूत बनाएगा.
विपक्ष ने जताई आपत्ति, सिलेक्ट कमेटी में भेजने की मांग
विधानसभा में विपक्ष की नेता आतिशी ने विधेयक को सिलेक्ट कमेटी को भेजने की मांग की. साथ ही उन्होंने सुझाव दिया कि 2024–25 के सत्र की फीस को ही फ्रीज कर दिया जाए ताकि कोई नया शुल्क वृद्धि प्रभाव में न आए.
दिल्ली सरकार का यह विधेयक उन हजारों अभिभावकों के लिए राहत की उम्मीद लेकर आया है जो हर साल बढ़ती स्कूल फीस से जूझते हैं. यदि यह कानून बनता है, तो फीस निर्धारण में पारदर्शिता आएगी, मनमानी पर लगाम लगेगी और बच्चों को शिक्षा के नाम पर शोषण से बचाया जा सकेगा. अब देखना होगा कि यह विधेयक विधानसभा की मंजूरी पा पाता है या विपक्ष की मांग पर विचार किया जाता है.
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