पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज अभय ओका ने भाषा पर जारी विवाद के बीच अहम बयान दिया है. जज अभय ओका ने कहा कि मराठी माध्यम से शिक्षा लेने में संकोच नहीं होना चाहिए.
Justice Abhay Oka on Language Row: पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज अभय ओका ने कहा कि अंग्रेजी का बोलबाला है, लेकिन मराठी माध्यम से शिक्षा लेने में कभी संकोच नहीं करना चाहिए. एक कार्यक्रम में बोलते हुए पूर्व जज अभय ओका ने कहा है कि छात्रों को मराठी में शिक्षा प्राप्त करने को लेकर हीन भावना नहीं रखनी चाहिए, जबकि शिक्षा और सार्वजनिक जीवन में अंग्रेजी का बोलबाला बढ़ता जा रहा है. इस दौरान उन्होंने अपनी मातृभाषा और स्थानीय शिक्षा पर गर्व करने की आवश्यकता पर जोर दिया. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे मराठी माध्यम में उनकी बुनियादी शिक्षा भारतीय न्यायपालिका के उच्चतम स्तरों पर भी कभी बाधा नहीं बनी.
मराठी भाषा पर क्या कहा?
पूर्व जज अभय ओका ने कहा, “मैंने और सुप्रीम कोर्ट में मेरे वरिष्ठ सहयोगी, भारत के मुख्य न्यायाधीश भूषण गवई ने, दोनों ने मराठी माध्यम से पढ़ाई की है. कई लोग मुझसे पूछते हैं कि क्या मुझे बॉम्बे या कर्नाटक उच्च न्यायालयों या सुप्रीम कोर्ट में सेवा करते समय भाषा संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ा. मैं हमेशा उन्हें कहता हूं, नहीं, कभी नहीं.” उन्होंने आगे कहा, “ऐसा इसलिए है क्योंकि मराठी माध्यम होने के बावजूद, हमारे स्कूल ने हमें अंग्रेज़ी, खासकर व्याकरण, में बेहतरीन प्रशिक्षण दिया. हालांकि आज की व्यावसायिक दुनिया में अंग्रेजी का महत्व निर्विवाद है, लेकिन इसे अपनी मातृभाषा से जुड़ाव की कीमत पर नहीं लिया जाना चाहिए.”
अंग्रेजी पर क्या कहा?
पूर्व जज अभय ओका ने कहा, “इसमें कोई संदेह नहीं है कि अंग्रेजी समय की जरूरत है, लेकिन मराठी भाषी बच्चों को भी मराठी में अच्छी शिक्षा दी जानी चाहिए, भले ही वे अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में पढ़ रहे हों.” उन्होंने जोर देकर कहा, “आज अंग्रेजी माध्यम एक तरह का प्रभुत्व बन गया है. सभी बच्चों को अंग्रेजी की ओर धकेला जा रहा है. लेकिन मराठी माध्यम में सीखने में शर्म या संकोच महसूस करने की कोई जरूरत नहीं है.” उन्होंने कहा कि शिक्षा और मूल्यों की मजबूती, न कि शिक्षण माध्यम, किसी व्यक्ति को जीवन में आगे बढ़ाती है. बता दें कि पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज अभय ओका का बयान ऐसे समय आया है जब महाराष्ट्र में भाषा पर सियासी संग्राम छिड़ा हुआ है. भाषा पर जारी विवाद में सियासी पारा भी हाई हो चला है. शिवसेना यूबीटी और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना लगातार इस मुद्दे पर राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को घेर रहे हैं. इससे पहले भी कई बार भाषा पर विवाद देखने को मिला है.
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