हाईकोर्ट ने कहा कि पैसा जान के नुकसान की भरपाई नहीं कर सकता, लेकिन मुआवजा देने का प्रयास किया जाना चाहिए, जहां पैसा हुए नुकसान की भरपाई कर सके.
Mumbai: बॉम्बे हाईकोर्ट ने बीमा कंपनी को आदेश दिया है कि वह अभिनेता शाहरुख खान के प्रोडक्शन हाउस की कर्मचारी के परिवार को 62 लाख रुपये मुआवजा दे. कर्मचारी हिट-एंड-रन में घायल हो गई थी और बाद में उसकी मौत हो गई. जस्टिस गिरीश कुलकर्णी और अद्वैत सेठना की पीठ ने 9 मई को कहा कि उसे ट्रिब्यूनल द्वारा पारित नवंबर 2020 के आदेश में कोई अनियमितता नहीं मिली और पीठ इसे रद्द करने से इनकार कर दिया.
खान के प्रोडक्शन हाउस रेड चिलीज एंटरटेनमेंट की एनिमेटर थीं चारु खंडाल
हाईकोर्ट ने कहा कि पैसा किसी के जान के नुकसान की भरपाई नहीं कर सकता, लेकिन मुआवजा मिलना चाहिए. अदालत ने कहा कि न्याय के उद्देश्य को पूरा करने के लिए कम से कम जो किया जा सकता था, वह खान के प्रोडक्शन हाउस रेड चिलीज एंटरटेनमेंट की एनिमेटर चारु खंडाल के परिवार को 62 लाख रुपये का मुआवजा देना था. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि यह एक युवा महत्वाकांक्षी पेशेवर महिला की दिल दहला देने वाली घटना है, जो उस जीवन की हकदार नहीं थी, जो उसने दुर्घटना के बाद झेला.
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पुरस्कार जीतने का जश्न मनाने के बाद घर लौटते समय हुआ था हादसा
मालूम हो कि अभिनेता खान की फिल्म ‘रा.वन’ के लिए वीएफएक्स पर काम करने वाली खंडाल की 2017 में मृत्यु हो गई. पांच साल पहले एक तेज रफ्तार कार की टक्कर के बाद उन्हें लकवा मार गया था. मार्च 2012 में उपनगरीय ओशिवारा में एक दुर्घटना में ग्रीवा रीढ़ की हड्डी में चोट लगने के बाद वह गर्दन से नीचे लकवाग्रस्त हो गई थीं. खंडाल 28 वर्ष की थीं, जब वह अपनी टीम द्वारा फिल्म के लिए पुरस्कार जीतने का जश्न मनाने के बाद एक पार्टी से घर लौट रही थीं. पीठ ने चोलामंडलम एमएस जनरल इंश्योरेंस द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया. दुर्घटना के बाद खंडाल के परिवार ने जून 2014 में मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण के समक्ष मुआवजे का दावा दायर किया था. कंपनी ने दावा किया कि न्यायाधिकरण ने गलत तरीके से मान लिया था कि महिला की मौत हादसे के कारण हुई होगी. हालांकि, उच्च न्यायालय ने इस तर्क को स्वीकार करने से इनकार कर दिया और कहा कि मौत का कारण सेप्टीसीमिया था, जो दर्दनाक चतुर्भुजीय स्थिति के कारण हुआ था.
कोर्ट ने कहा- तकनीकी दृष्टिकोण अपनाकर बीमा कंपनी कर देती है लाभ से वंचित
उच्च न्यायालय ने उल्लेख किया कि खंडाल के परिवार ने चिकित्सा बिलों में 18 लाख रुपये खर्च किए थे. पीठ ने कहा कि उसे न्यायाधिकरण के निष्कर्षों में कोई कमी नहीं मिली कि पांच साल के दौरान लकवाग्रस्त खंडाल को एक परिचर और फिजियोथेरेपी सत्रों की आवश्यकता होगी. पीठ ने कहा कि बीमा कंपनी गणितीय सटीकता के साथ प्रत्येक चिकित्सा बिल का आकलन नहीं कर सकती है. अति-तकनीकी दृष्टिकोण अपनाकर बीमा पॉलिसी से छुटकारा पा लिया जाता है, जिससे पीड़ित परिवार को कानूनी रूप से मिलने वाले लाभ से वंचित कर दिया जाता है.
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