Priyanka Gandhi on Israel: गाज़ा में हुई पत्रकारों की हत्या ने एक बार फिर यह सवाल उठाया है कि लोकतंत्र और मानवाधिकारों की रक्षा के लिए आवाज़ उठाना कितना महत्वपूर्ण है. प्रियंका गांधी का यह बयान उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा है जो सच्चाई के लिए लड़ रहे हैं.
Priyanka Gandhi on Israel: कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने मंगलवार को गाज़ा में इजरायली सेना के हमले में मारे गए अल जजीरा के पांच पत्रकारों की नृशंस हत्या को फिलिस्तीनी धरती पर एक जघन्य अपराध करार दिया है. उन्होंने इस दर्दनाक घटना पर गहरा दुख जताते हुए कहा कि सच्चाई के लिए लड़ने वाले पत्रकारों का साहस इजरायली हिंसा और नफ़रत के सामने कभी नहीं टूटेगा. यह हमला सिर्फ पत्रकारों पर हमला नहीं, बल्कि मानवता, स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर भी एक बड़ा प्रहार है.
संयुक्त राष्ट्र ने कड़ा निंदा जताई
अल जज़ीरा के वरिष्ठ संवाददाता अनस अल-शरीफ़ सहित चार अन्य पत्रकारों की गाज़ा सिटी में उनके टेंट पर सीधे हमले में हत्या हो गई. इस हमले की संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने कड़ी निंदा की है और इसे अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का गंभीर उल्लंघन बताया है. पत्रकारों को निशाना बनाना लोकतंत्र के लिए खतरा है और प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला माना जाता है.
प्रियंका गांधी ने पत्रकारों को दी श्रद्धांजलि
प्रियंका गांधी ने सोशल मीडिया पर अपने पोस्ट में कहा, “जब दुनिया का बड़ा हिस्सा सत्ता और व्यावसायिक हितों के आगे झुक गया है, तब ये बहादुर पत्रकार हमें सच्ची पत्रकारिता का अर्थ समझाते हैं.” उन्होंने मारे गए पत्रकारों को सच्चाई की आवाज बताया, जो खतरनाक हालातों में भी हिम्मत नहीं हारते थे. प्रियंका गांधी ने उनकी आत्मा की शांति की कामना की और साथ ही इजरायली हिंसा की खुलकर आलोचना की.
प्रियंका गांधी का इजरायल पर तीखा राजनीतिक प्रहार
प्रियंका गांधी लंबे समय से गाज़ा में इजरायल की कार्रवाईयों की मुखर आलोचक रही हैं. उन्होंने बार-बार फिलिस्तीनी लोगों के साथ एकजुटता जताई है. उनके अनुसार यह हमला न केवल पत्रकारों पर, बल्कि पूरी मानवता पर हमला है. स्वतंत्र पत्रकारिता का संरक्षण लोकतंत्र की बुनियादी जरूरत है और सच्चाई के लिए आवाज उठाने वालों का सम्मान और सुरक्षा सरकारों की जिम्मेदारी है.
इजरायली हिंसा के बीच पत्रकारों की शहादत ने यह संदेश दिया है कि सच्चाई की लड़ाई कभी खत्म नहीं होगी और हिम्मत रखने वालों का साहस कभी नहीं टूटेगा. लोकतांत्रिक देशों को इस घटना की निंदा करते हुए प्रेस की सुरक्षा और स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे.
यह भी पढ़ें: दुनिया की दो महाशक्तियों में 90 दिन की सुलह, लेकिन पर्दे के पीछे जारी है सियासी दांव-पेंच
