Home Lifestyle मिनटों में अपनी आंखों की थकान को करें दूर, ग्लो बढ़ाने और मेमोरी के लिए अपनाइए यह शार्प तरीका

मिनटों में अपनी आंखों की थकान को करें दूर, ग्लो बढ़ाने और मेमोरी के लिए अपनाइए यह शार्प तरीका

by Sachin Kumar
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Eye Fatigue

Eye Fatigue : इस आपाधापी भरी दुनिया और लगातार कंप्यूटर स्क्रीन को देखने के दौरान आंखों पर नकारात्मक असर पड़ने लग जाता है. ये शारीरिक दिक्कतें सोचने समझने पर भी असर डालती है, ऐसे में हम इन समस्याओं को कम करने के लिए इन आइडिया को अपना सकते हैं.

Eye Fatigue : दिन भर की भागदौड़ भरी जिंदगी हो या लगातार मोबाइल की स्क्रीन पर अपने आपको व्यस्त रखना हो, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर हर वक्त की मौजूदगी हमें केवल शारीरिक तौर पर नुकसान नहीं पहुंचाती है बल्कि यह मानसिक तौर पर भी बीमार करती है. ऐसे में भला आंखों पर इन सब का प्रभाव ना पड़े ऐसा हो नहीं सकता, लगातार आंखों पर किसी भी प्रकार से दबाव पड़ने पर हमारे आंखें थक जाती हैं, आखों में पानी आना, सूजन, सिर में हल्का दर्द होना इसके आम लक्षण है, अक्सर यह देखा गया है हम लोग शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज करते हैं, लेकिन धीरे-धीरे यह लक्षण हमें बीमार तो बना ही देते हैं. साथ ही शरीर को गंभीर डिजीज की चपेट में आने से देर नहीं लगती है, ऐसे में हमें करना चाहिए कि दिनभर का काम भी होता रहे साथ ही आंखें भी स्वस्थ रहें. इसके लिए योग क्रिया में एक अभ्यास का जिक्र किया गया है जिसका नाम है ‘त्राटक’ क्रिया.

क्या है त्राटक?

त्राटक शब्द का उद्भव ‘त्रा’ से हुआ है. जिसका शाब्दिक अर्थ है मुक्त करना. यह क्रिया नेत्रों को साफ करने और आंखों की चमक को तेज करने के लिए प्रयोग की जाती है. इस क्रिया में आंखों को सामान्य रूप से किसी निश्चित वस्तु पर ध्यान क्रेंदित किया जाता है. उदाहरण के लिए दीपक अथवा जलती हुई मोमबत्ती की लौ हो सकती है. ध्यान रहें कि जिस वस्तु का हमने चयन कर रहे हैं, उसको अपलक (बिना पलकें झलकाए) देखना चाहिए. तब तक की आंखों में पानी ना आ जाएं. प्रारम्भिक अवस्था में त्राटक के अभ्यास को लगातार करते रहना चाहिए. अगर अभ्यास में आप निपूर्ण हो जाए तो धीरे-धीरे मन की आंखों से इष्टदेव की छवि उतारकर देखा जा सकता है.

त्राटक करने से पूर्व की तैयारियां

जलती हुई मोमबत्ती अथवा जलते हुए मिट्टी के दीपक को आंखों से लगभग डेढ़ गज अथवा ढाई फुट की दूरी पर आंखों के ही समांतर ऊंचाई पर रखें. योग परम्परा में मिट्टी के दीपक में घी से जली ज्योति को प्रकाश ऊर्जा के स्त्रोत के रूप में प्रयोग करने की सलाह दी जाती है. इसे ज्योति त्राटक कहते है.

कैसे करें, जाने सही विधि

  • सिर, गर्दन और पीठ को तानकर अंधेरे कमरे में ध्यान की मुद्रा (सिद्धासन अथवा पद्मासन) में बैठें. आंखें बंद कर लें.
  • धीरे-धीरे आंखों को खोले और एकाग्र वस्तु जिसमें दीपक या मोमबत्ती हो सकती है, उसको लगातार खुली आंखों से देखते रहें.
  • जब तक आंखों में पानी अथवा आंसू ना जाएं तब तक निश्चित वस्तु पर ध्यान बनाए रखें.
  • साधारण तौर पर लगातार 5 से 10 मिनट तक यह अभ्यास करने पर आंखों में पानी आ जाता है. तब आंखें बंद कर लें और आंखों को आराम दें.
  • अभ्यास को 3 से 4 बार दोहराइए, जब तक व्यक्ति बिना पलकें झपकाए 10 से 15 मिनट तक के लिए दृष्टि जमाने में अभ्यस्त ना हो जाएं.
  • जिस वस्तु पर दृष्टि जमी है यदि उसके अतिरिक्त कुछ भी दिखाई ना देता है तो अभ्यास सफल माना जाता है.

क्या हैं इसके फायदे

  • आंखें साफ और चमकदार होती है.
  • आंखों से संबंधित चिकित्सा में उपयोगी.
  • आंखों की सुस्ती को दूरी करती है.
  • मस्तिष्क के विकास में लाभकारी.
  • स्मृति और एकाग्रता के लिए लाभदायक.
  • आध्यात्मिक शक्तियों का विकास करती है.

त्राटक का वैज्ञानिक और आध्यात्मिक आधार

त्राटक में अपरिवर्तित (जैसी बदला ना जा सकें) अथवा एक वस्तु पर लगातार ध्यान केंद्रित किया जाता है. इसके कारण हमारे दिमाग एक वस्तु पर अडिग हो जाता है और अन्य वस्तु पर ध्यान देना बंद कर देता है. अर्थात बाहरी दुनिया को देखना बंद कर देता है. त्राटक के लगातार अभ्यास से अल्फा तरंगें बढ़ती है, जो मस्तिष्क के विश्रामवस्था में होने का संकेत है. इस अवस्था में पहुंचने पर दिमाग का निश्चित भाग काम करना बंद कर देता है. जिसके कारण दिमाग की प्रक्रिया रुक जाती है. इस दिमाग को बेहतर तरीके से आराम मिलता है.

बात करें अभ्यास से होने वाले आध्यात्मिक प्रभाव की तो इसके अभ्यास से हमारी आध्यात्मिक शक्तियों का विकास होता है और आंतरिक ज्योति को प्रज्ज्वलित करती है. त्राटक का अभ्यास आज्ञाचक्र पर प्रभाव डालता है, जिससे सकारात्मकता का संचार होता है.

त्राटक करने से पूर्व सावधानियां

  • उजाले या प्रकाश और अशांत स्थान पर अभ्यास ना करें.
  • कमजोर दृष्टि वाले व्यक्ति अभ्यास से पूर्व उचित मार्गदर्शन लें.
  • ज्योति (ध्यान बिंदू) स्थिर होना चाहिए, फड़फड़ाना नहीं चाहिए.
  • मन की बेचैनी और तनाव वाली व्यक्ति अभ्यास से बचें.

लेखक- योगाचार्य लक्ष्मी नारायण

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