Tourism Update: पर्यटकों से गुलजार रहने वाला नैनीताल इस साल गर्मियों में खामोशी का गवाह बन रहा है. जहां अप्रैल से जून तक देश के अलग-अलग राज्यों से पर्यटको की आवाजे इन पहाड़ियों में गूंजती रहती थी तो वहीं अब इस शहर की रौनक को मानों किसी की नजर लग गयी हो.
Tourism Update: नैनीताल जैसे पर्यटन पर आधारित शहर के लिए पर्यटकों की यह गिरावट केवल आर्थिक नहीं, बल्कि सामाजिक चिंता भी बन चुकी है. स्थानीय प्रशासन और सरकार के लिए यह जरूरी हो गया है कि वे सुरक्षा, सुविधाओं और पर्यटन की पुनर्स्थापना के लिए ठोस कदम उठाएं, ताकि नैनीताल फिर से अपने पुराने रंग में लौट सके.
होटल खाली तो बाजार सूने
नैनीताल होटल एसोसिएशन के अनुसार, जहां पिछले साल मई में होटल ऑक्यूपेंसी रेट 90% तक थी, वह इस साल घटकर केवल 10–15% रह गई है. होटल, रेस्तरां, टैक्सी सेवा, दुकानें और यहां तक कि नौका सेवा जैसे प्रमुख पर्यटन-आधारित व्यवसाय इस मंदी से गहराई से प्रभावित हुए हैं. कभी पर्यटकों की चहल-पहल से भरा रहने वाला नैनीताल आज एक-एक आवाज के लिए तरस रहा है. ये सिर्फ स्थानीय परेशानी नहीं है बल्कि पूरे देश की समस्या है.
क्या है पर्यटकों की कमी के पीछे कारण?

बता दें, उद्योग विशेषज्ञों और स्थानीय व्यापारियों का मानना है कि कई वजहें इस गिरावट के लिए जिम्मेदार हैं, जैसे, नैनीताल में हाल में सामने आए सांप्रदायिक तनाव की घटनाएं, पार्किंग और टोल शुल्क में बढ़ोतरी और भारत-पाकिस्तान सीमा पर तनावपूर्ण सुरक्षा स्थिति. इन सभी वजहों ने पर्यटकों को नैनीताल की बजाय अन्य सुरक्षित और सुलभ शहरों की ओर मोड़ दिया है. जो अगर लगतार बरकरार रहा तो राज्य के लिए बहुत बड़ी चिंता की बात हो सकती है. क्योंकि शहर का ज्यादातर पैसा टूरिस्ट से ही आता है.
आर्थिक संकट में स्थानीय लोग

पर्यटन से जीविका चलाने वाले हजारों स्थानीय लोग इस स्थिति से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. कई नाव चालकों ने अपने मन की बात बतातें हुए कहा की कभी नाव की सवारी के लिए लाइन में खड़े पर्यटकों की भीड़ दिखाई देती थी, अब एक ग्राहक के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है. वही, दूसरी तरफ होटल मालिक अपने कर्मचारियों को वेतन देने में भी असमर्थ हैं क्योंकि कमरे खाली पड़े हैं.
