Amarnath Yatra: 3 जुलाई से शुरू हुई 38 दिवसीय अमरनाथ यात्रा में अब तक 3.60 लाख से ज्यादा श्रद्धालु बाबा बर्फानी के दर्शन कर चुके हैं.
Amarnath Yatra: दक्षिण कश्मीर हिमालय की 3,880 मीटर ऊंचाई पर स्थित पवित्र अमरनाथ गुफा के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का आना जारी है. शनिवार को जम्मू के भगवती नगर बेस कैंप से 2,300 से अधिक श्रद्धालु यात्रा के लिए रवाना हुए. बता दें, अब तक 3.60 लाख से ज्यादा श्रद्धालु बाबा बर्फानी के दर्शन कर चुके हैं. हालांकि पिछले कुछ दिनों से प्राकृतिक रूप से बने हिमलिंग के पिघलने की वजह से श्रद्धालुओं की संख्या में हल्की गिरावट देखी जा रही है.
सुरक्षा व्यवस्था पर सख्त नजर
अमरनाथ यात्रा सिर्फ धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं, बल्कि देश की सुरक्षा और राजनीतिक इच्छाशक्ति का भी बड़ा परीक्षण है.38 दिनों तक चलने वाली इस यात्रा में लाखों श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए केंद्र और जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने बहु-स्तरीय सुरक्षा कवच तैयार किया है. पुलिस, सीआरपीएफ और सेना के जवान हर मार्ग पर तैनात हैं. शनिवार को जम्मू के भगवती नगर बेस कैंप से 2,324 श्रद्धालुओं का नया जत्था रवाना हुआ, जिसमें 377 महिलाएं और 51 साधु-साध्वियां शामिल थीं. यह जत्था 92 वाहनों में सवार होकर कश्मीर के बालटाल और पहलगाम रूट की ओर बढ़ा. यह दर्शाता है कि प्रशासनिक मशीनरी किस तरह हर स्तर पर यात्रा को सफल बनाने के लिए जुटी हुई है.

राजनीतिक नजर से अमरनाथ यात्रा का महत्व
अमरनाथ यात्रा को हमेशा से जम्मू-कश्मीर के सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य में अहम माना गया है.हर बार कि तरह इस साल भी यात्रा के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु उमड़ रहे हैं. अब तक 3.60 लाख से ज्यादा श्रद्धालु पवित्र गुफा में बाबा बर्फानी के दर्शन कर चुके हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि घाटी में सामान्य स्थिति और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए इस यात्रा का सफल आयोजन केंद्र सरकार की प्राथमिकता में है. बालटाल का 14 किलोमीटर का खड़ा रास्ता और पहलगाम का 48 किलोमीटर लंबा पारंपरिक मार्ग दोनों ही यात्रियों के धैर्य और प्रशासनिक क्षमता की परीक्षा लेते हैं. लेकिन मजबूत सुरक्षा इंतजामों और आधुनिक निगरानी तंत्र के कारण अब यात्रा अपेक्षाकृत ज्यादा सुरक्षित और सुचारू मानी जा रही है.
कब होगा यात्रा का समापन
इत्तेफाक से अमरनाथ यात्रा 9 अगस्त को रक्षाबंधन वाले दिन ही खत्म होगी, लेकिन इसके सफल और शांतिपूर्ण संचालन को सरकार की नीतिगत सफलता के रूप में देखा जाएगा. बीते वर्षों में आतंकी हमलों और प्राकृतिक आपदाओं के कारण प्रशासन को कई बार चुनौती का सामना करना पड़ा था, लेकिन इस बार केंद्र और राज्य सरकार दोनों ही यात्रा की सुरक्षा और प्रबंधन पर विशेष फोकस कर रही हैं. 2 जुलाई को जब जम्मू से पहली खेप को लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा ने रवाना किया, तभी से अब तक 1,39,098 श्रद्धालु बेस कैंप से घाटी की ओर निकल चुके हैं. यह आंकड़ा बताता है कि अमरनाथ यात्रा न केवल धार्मिक विश्वास का पर्व है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक एकजुटता और राजनीतिक संकल्प का भी प्रतीक बन चुकी है.
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