चंडीगढ़ की एसिड अटैक सर्वाइवर कैफी ने 12वीं क्लास में स्कूल टॉप करके सभी को चौंका दिया है. संघर्ष और हौसले की ये कहानी सभी को प्रेरित कर रही है.
Acid Attack Survivor Topped in School: कहते हैं कि अगर इरादे मजबूत हों तो हर मंजिल हासिल हो जाती है. कई दिग्गजों के संघर्षों की कहानियां यूं तो आपने सुनी ही होंगी लेकिन चंडीगढ़ की एक एसिड अटैक सर्वाइवर की कहानी वो मिसाल बन गई है जिसे सदियों तक याद रखा जाएगा. संघर्ष की ये बेहतरीन कहानी चौंकाने के साथ ही प्रेरित भी करती है. प्रेरणा का स्रोत बनी है चंडीगढ़ की 17 साल की लड़की कैफी (Kafi).
कायम की मिसाल
चंडीगढ़ की रहने वाला कैफी एक एसिड अटैक सर्वाइवर है. लाख दुश्वारियों के बावजूद भी कैफी ने 12वीं क्लास के एग्जाम में अपने ब्लाइंड स्कूल में टॉप किया है. कैफी ने बोर्ड परीक्षा में 95.6 प्रतिशत अंक हासिल किए. कैफी की इस कामयाबी पर उसके टीचर्स ने भी काफी खुशी जताई है. कैफी के परिजनों ने कहा कि वो एक मेहनती लड़की है.
कैफी ने कामयाबी पर क्या कहा?
न्यूज एजेंसी पीटीआई से कैफी ने अपने फ्यूचर प्लान पर बात की. कैफी ने कहा, “मेरा सपना IAS अधिकारी बनकर अपने समाज की सेवा करना है. मैं अपनी पर्सनैलिटी में काफी बदलाव के साथ ही और भी ज्यादा पढ़ाई करने पर फोकस कर रही हूं. ये लम्हा मेरे साथ ही मेरे परिवार के लिए भी काफी खुशी देने वाला है. भगवान का भी शुक्रिया करती हूं कि उसने मुझे ये मौका दिया. मेरे माता-पिता ने तुरंत ही रिजल्ट की जानकारी रिश्तेदारों को दी. काफी खुश हूं कि मैंने उन्हें गर्वित होने का मौका दिया.”
कैसे की तैयारी?
कैफी ने कहा, “एग्जाम के समय मैं पांच से छह घंटे तक पढ़ाई करती थी. ऑडियोबुक्स के साथ ही मैं यूट्यूब से भी काफी मदद लिया करती थी. कई ऐप्स ने भी एग्जाम की तैयारी के समय मदद की. माता-पिता ने इस यात्रा में काफी मदद की. जब कभी भी मैं थोड़ा कमजोर महसूस करती थी तो वो हमेशा मोटिवेट किया करते थे.” कैफी की इस खुशी पर परिजन भी फूले नहीं समा रहे हैं. कैफी के दोस्तों और क्लासमेट्स ने भी इस कामयाबी पर काफी खुशी जताई. जो भी हो कैफी ने दिखा दिया कि अगर व्यक्ति ठान ले तो कोई लक्ष्य दूर नहीं रह जाता है. बता दें कि सीबीएसई के 10वीं और 12वीं के नतीजों में लड़कियों ने बाजी मारी है और वो लड़कों से काफी आगे रही हैं. मंगलवार, 13 मई 2025 को सीबीएसई ने पहले 12वीं और बाद में 10वीं परीक्षा का रिजल्ट जारी किया था. दोनों ही कक्षाओं में 90 फीसदी से कम मार्क्स लाने वाले स्टूडेंट्स की संख्या में गिरावट देखी गई है.
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