Home Top News वैश्विक अस्थिरता के बीच भारत बना आर्थिक लचीलेपन की मिसाल, देश बाहरी झटकों से निपटने को तैयार

वैश्विक अस्थिरता के बीच भारत बना आर्थिक लचीलेपन की मिसाल, देश बाहरी झटकों से निपटने को तैयार

by Sanjay Kumar Srivastava
0 comment
Finance Minister Sitharaman

Finance Minister Sitharaman: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि दुनिया व्यापार और ऊर्जा के क्षेत्र में असुरक्षा के दौर से गुजर रही है. बावजूद इसके भारत एक शक्ति के रूप में उभर रहा है जो बाहरी झटकों का सामना कर सकने में सक्षम है.

Finance Minister Sitharaman: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि दुनिया व्यापार और ऊर्जा के क्षेत्र में असुरक्षा के दौर से गुजर रही है. बावजूद इसके भारत एक शक्ति के रूप में उभर रहा है जो बाहरी झटकों का सामना कर सकने में सक्षम है. सीतारमण ने कहा कि भू-राजनीतिक संघर्ष तेज़ हो रहे हैं. उन्होंने कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन 2025 में बोलते हुए कहा कि भारत को सतर्क रहना होगा. उन्होंने कहा कि युद्ध और रणनीतिक प्रतिद्वंद्विता सहयोग और संघर्ष की सीमाओं को फिर से परिभाषित कर रही है. जो गठबंधन कभी मज़बूत दिखते थे, उनकी परीक्षा हो रही है और नए गठबंधन उभर रहे हैं. भारत के लिए ये गतिशीलता उसकी कमज़ोरी और लचीलेपन दोनों को उजागर करती है. कहा कि झटकों को झेलने में हम सक्षम हैं, जबकि हमारी आर्थिक क्षमता विकसित हो रही है.

नई वैश्विक व्यवस्था की जरूरत

उन्होंने कहा कि दुनिया अभूतपूर्व वैश्विक अनिश्चितता और अस्थिरता के दौर से गुज़र रही है. राष्ट्रों के सामने न केवल अनिश्चितता का प्रबंधन करना बल्कि व्यापार, वित्तीय और ऊर्जा असंतुलन का सामना करना भी चुनौती है. इसलिए हमारे सामने चुनौती केवल अनिश्चितता का प्रबंधन करना नहीं, बल्कि असंतुलन का सामना करना भी है. हमें खुद से पूछना होगा कि हम एक ऐसी वैश्विक व्यवस्था कैसे बना सकते हैं जहां व्यापार निष्पक्ष हो, वित्त उत्पादक उद्देश्यों की पूर्ति करे, ऊर्जा सस्ती और टिकाऊ हो और जलवायु परिवर्तन से निपटने की कार्रवाई विकास की अनिवार्यताओं के अनुरूप हो? उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के लिए ऐसे तरीकों पर काम करने की जरूरत है. इसके अलावा यह सुनिश्चित करने के अलावा कि विकासशील देशों की आवाज अब नियम बनाने में हाशिए पर न रहे और इसके बजाय भविष्य को आकार देने में उन्हें बढ़ावा मिले.

अस्थिरता के बीच बदले जा रहे वैश्विक नियम

सीतारमण ने कहा कि अव्यवस्थाएं इस नए वैश्विक युग को परिभाषित करती हैं जिसमें व्यापार प्रवाह को नया रूप दिया जा रहा है, गठबंधनों का परीक्षण किया जा रहा है, निवेश को भू-राजनीतिक रेखाओं के साथ फिर से जोड़ा जा रहा है और साझा प्रतिबद्धताओं की फिर से जांच की जा रही है. सीतारमण ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय जुड़ाव के नियम नए सिरे से लिखे जा रहे हैं. वैश्विक अर्थव्यवस्था वर्तमान में बढ़ते व्यापार तनाव, उच्च टैरिफ, बढ़ती वैश्विक अनिश्चितता और चल रहे रूस-यूक्रेन संघर्ष जैसी चुनौतियों का सामना कर रही है. सीतारमण ने कहा कि इस संदर्भ में एक शक्ति के रूप में भारत का उदय न तो आकस्मिक है और न ही क्षणिक. सीतारमण ने कहा कि पिछले एक दशक में सरकार ने राजकोषीय समेकन, पूंजीगत व्यय की गुणवत्ता में सुधार और मुद्रास्फीति के दबावों पर लगाम लगाने पर ध्यान केंद्रित किया है. पिछले कुछ वर्षों में समग्र सकल घरेलू उत्पाद में खपत और निवेश की स्थिर हिस्सेदारी के साथ भारत की वृद्धि अपने घरेलू कारकों पर मजबूती से टिकी हुई है, जो समग्र विकास पर बाहरी झटकों के प्रभाव को कम करती है. परिणामस्वरूप भारतीय अर्थव्यवस्था लचीली है और निरंतर बढ़ रही है.

ये भी पढ़ेंः पुतिन ने की PM Modi की तारीफ, भारत को बताया सबसे मजबूत दोस्त; टैरिफ पर भी दिया बयान

You may also like

LT logo

Feature Posts

Newsletter

@2025 Live Time. All Rights Reserved.

Are you sure want to unlock this post?
Unlock left : 0
Are you sure want to cancel subscription?