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2 साल 11 महीने 18 दिन की मेहनत का फल: जानें 26 नवंबर और दुनिया के सबसे लंबे संविधान का इतिहास

by Live Times
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Constitution Day Facts

Constitution Day Facts: आज भारत अपना 76वां संविधान दिवस मना रहा है. यहां जानें 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाने का ऐतिहासिक कारण.

26 November, 2025

Constitution Day Facts: आज भारत अपना 76वां संविधान दिवस मना रहा है. PM मोदी ने एक पोस्ट में लिखा, “संविधान दिवस पर, हम अपने संविधान बनाने वालों को श्रद्धांजलि देते हैं.” आज संसद भवन में संविधान दिवस कार्यक्रम आयोजित किया गया है. स्कूलों में इस दिन कई तरह की एक्टिविटीज करवाई जा रही हैं. आज कई लोगों के मन में यह सवाल है कि भारत का संविधान 26 जनवरी को लागू हुआ था तो हम संविधान दिवस आज 26 नवंबर को क्यों मना रहे हैं. आज हम आपके इस सवाल का जवाब विस्तार से देंगे.

आज क्यों मनाया जा रहा संविधान दिवस

भारत का संविधान 26 जनवरी को 1950 को लागू किया गया था, लेकिन इससे पहले ही हमने अपने संविधान को अपना लिया था. साल 1949 में 26 नवंबर को भारतीय संविधान पूरी तरह बनकर तैयार हुआ था और इसी दिन संवैधानिक सभा ने औपचारिक रूप से इसे अपनाया था, जिसके बाद 26 जनवरी, 1950 को इसे लागू किया गया. 2015 में संविधान निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर की 125वीं जयंती पर पीएम मोदी ने 26 नवंबर को संविधान दिवस घोषित किया, तब से ही हर साल इस दिन संविधान दिवस मनाया जाता है. इसका उद्देश्य नागरिकों में संवैधानिक मूल्यों के प्रति जागरूकता बढ़ाना है.

दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान है भारतीय संविधान

भारत के संविधान को बनने में पूरे 2 साल 11 महीने और 18 दिन की मेहनत के बाद भारतीय संविधान बनकर तैयार हुआ था. यह दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान है. भारत का संविधान दुनिया का सबसे लंबा लिखा हुआ संविधान है, जिसमें शुरू में 395 आर्टिकल, 22 हिस्से और 8 शेड्यूल थे. कई बार संशोधन होने के बाद अब इसमें 448 अनुच्छेद 25 भागों और 12 अनुसूचियां हैं. भारत का संविधान टाइप नहीं किया गया था, बल्कि हाथ से लिखा गया था. यह इंग्लिश और हिंदी दोनों में लिखा गया था और इसमें कुल 90,000 शब्द थे. 24 जनवरी, 1950 को संविधान सभा के 284 सदस्यों ने नई दिल्ली में संसद के संविधान हॉल में भारतीय संविधान पर हस्ताक्षर किए थे.

15 महिला सदस्य भी थीं संविधान सभा का हिस्सा

संविधान सभा में कुल 299 सदस्य थे, जिसमें 229 ब्रिटिश सदस्य थे और 70 भारतीय रियासतों के सदस्य थे. डॉ भीमराव अंबेडकर समिति के अध्यक्ष और मुख्य निर्माता थे. इसके अलावा भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद, सरदार वल्लभ भाई पटेल, जवाहरलाल नेहरू, मौलाना अबुल कलाम आजाद समेत कई बड़े नेता भी इसमें शामिल थे. संविधान सभा में महिलाओं ने भी हिस्सा लिया था, जिसमें सरोजिनी नायडू, राजकुमारी अमृत कौर, हंसाबेन जीवराज मेहता, सुचेता कृपलानी और जी. दुर्गाबाई समेत कुल 15 महिला सदस्य थीं, इसीलिए संविधान में महिलाओं को भी बराबर अधिकार दिए गए हैं.

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