SIR in 12 States: बिहार के बाद अब देश के अन्य 9 राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों में विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया (एसआईआर) प्रक्रिया शुरू हो गई है. इन राज्यों में 51 करोड़ वोटर्स का पुनरीक्षण किया जाएगा.
4 November, 2025
SIR in 12 States: बिहार के बाद अब देश के अन्य 9 राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों में विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया (एसआईआर) प्रक्रिया शुरू हो गई है. आज यानी मंगलवार से उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, गुजरात, केरल, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, अंडमान निकोबार, लक्षद्वीप, पुडुचेरी और गोवा में एसआईआर प्रक्रिया शुरू हो गई है और 7 फरवरी 2026 को अंतिम मतदाता सूची जारी होने के बाद यह समाप्त होगी. इन राज्यों में 51 करोड़ वोटर्स का पुनरीक्षण किया जाएगा.
चुनाव आयोग ने क्या कहा?
इन राज्यों में तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल और पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. असम में भी 2026 में चुनाव होने हैं, लेकिन मतदाता सूची संशोधन की घोषणा अलग से की जाएगी क्योंकि राज्य में सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में नागरिकता सत्यापन की प्रक्रिया चल रही है. इसके अलावा, असम में नागरिकता अधिनियम का एक अलग प्रावधान लागू होता है. मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने 27 अक्टूबर को एसआईआर के दूसरे चरण की घोषणा करते हुए कहा, “नागरिकता अधिनियम के तहत, असम में नागरिकता के लिए अलग प्रावधान हैं. सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में नागरिकता सत्यापन की प्रक्रिया लगभग पूरी हो रही है. 24 जून का एसआईआर आदेश पूरे देश के लिए था. इन परिस्थितियों में, यह असम पर लागू नहीं होता.”
जरूरी तारीखें
एसआईआर प्रक्रिया 4 नवंबर से शुरू होकर 4 दिसंबर तक चलेगी. चुनाव आयोग 9 दिसंबर को मसौदा मतदाता सूची जारी करेगा और अंतिम मतदाता सूची 7 फरवरी को प्रकाशित की जाएगी.
मतगणना पत्रों की छपाई और बीएलओ का प्रशिक्षण – 28 अक्टूबर, 2025 से 3 नवंबर, 2025 तक.
घर-घर जाकर पुनरीक्षण कार्य – 4 नवंबर, 2025 से 4 दिसंबर, 2025 तक.
मसौदा मतदाता सूची का प्रकाशन – 9 दिसंबर, 2025.
दावे और आपत्तियों की अवधि – 9 दिसंबर, 2025 से 8 जनवरी, 2026 तक.
नोटिस, सुनवाई और दस्तावेजों का सत्यापन: 9 दिसंबर, 2025 से 31 जनवरी, 2026 तक.
अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन – 7 फरवरी, 2026
एसआईआर के विरोध में टीएमसी
एक तरफ भाजपा ने एसआईआर का स्वागत किया है और इसे मतदाता सूची में अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में एक कदम माना है, वहीं दूसरी तरफ पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने इसके समय और मंशा पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया है कि चुनाव आयोग (ईसी) अगले चुनाव से पहले मतदाता सूची में हेरफेर करने के लिए भाजपा के दबाव में काम कर रहा है.
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