जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने बारामूला में 40 आतंकवाद पीड़ितों के परिजनों को नियुक्ति पत्र सौंपते हुए कहा कि वो दिन लद गए जब आतंकियों के परिजनों को नौकरी दी जाती थी.
Manoj Sinha: जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने रविवार को बारामूला में 40 आतंकवाद पीड़ितों के परिजनों को नियुक्ति पत्र सौंपे. उन्होंने दोहराया कि सरकार आतंकवाद पीड़ित परिवारों को नौकरी और न्याय प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है. मनोज सिन्हा ने ये भी कहा कि वे दिन अब लद गए जब आतंकवादियों के परिजनों को नौकरी मिलती थी. एक आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा कि सिन्हा ने 40 आतंकवाद पीड़ित परिवारों के सदस्यों को नियुक्ति पत्र सौंपकर 15 दिनों में अपना वादा पूरा किया है. 29 जून को, उपराज्यपाल ने अनंतनाग में आतंकवाद पीड़ित परिवारों से मुलाकात की थी और आश्वासन दिया था कि पात्र परिजनों को 30 दिनों के भीतर नौकरी मिल जाएगी.
दी गई ये जानकारी
प्रवक्ता ने कहा, “यह प्रक्रिया तब तक जारी रहेगी जब तक हर आतंकवाद पीड़ित परिवार का पुनर्वास नहीं हो जाता.” इस कार्यक्रम के दौरान, जिन परिवारों के प्रियजनों की आतंकवादियों ने हत्या की, उन्होंने भयावह घटनाओं के बारे में बताया और पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादियों और उनके समर्थकों की पोल खोली. सिन्हा ने यह सुनिश्चित करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई कि आतंकवाद पीड़ित परिवारों को वर्षों की पीड़ा के बाद न्याय, नौकरी, मान्यता और समर्थन मिलेगा जिसके वे हकदार हैं. मनोज सिन्हा ने कहा, “आतंकवाद पीड़ित परिवार, जिन्हें त्याग दिया गया और भुला दिया गया, दशकों तक चुपचाप कष्ट सहते रहे. पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों द्वारा बेरहमी से मारे गए उनके प्रियजनों की कहानियां सामने लाई जा रही हैं. “इन परिवारों के बारे में सच्चाई जानबूझकर दबाई गई. कोई भी उनके आंसू पोंछने नहीं आया. सभी जानते थे कि पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी क्रूर हत्याओं में शामिल थे, लेकिन किसी ने भी हजारों बुज़ुर्ग माता-पिता, पत्नियों, भाइयों या बहनों को न्याय नहीं दिलाया.”
मनोज सिन्हा ने दी चेतावनी
उपराज्यपाल ने “संघर्ष उद्यमियों” (conflict entrepreneurs) को कड़ी चेतावनी दी और उनसे देश की संप्रभुता और अखंडता को नुकसान पहुंचाने वाले नैरेटिव फैलाने से रोकने को कहा. उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी संगठनों के नैरेटिव का प्रचार करके, वे खून-पसीने से स्थापित शांति को भंग कर रहे हैं. उन्होंने कहा, “लगभग तीन दशकों तक, संघर्ष उद्यमी राज कर रहे थे और इन परिवारों को धमका भी रहे थे. इन संघर्ष उद्यमियों ने चतुराई से एक अनोखा नैरेटिव गढ़ा था जिसमें भारत को हमलावर और आतंकवादियों को पीड़ित दिखाया गया था. इस झूठे नैरेटिव का पूरी तरह से खंडन हो चुका है. आतंकवाद के असली पीड़ितों ने अब पाकिस्तान और आतंकी संगठनों का पर्दाफाश कर दिया है और संघर्ष के सरगनाओं का पर्दाफाश कर दिया है.” सिन्हा ने लोगों को आश्वासन दिया कि वे दिन अब लद गए जब खूंखार आतंकवादियों के परिवार वालों को नौकरी मिलती थी और आम कश्मीरियों के हत्यारों का पुनर्वास होता था.
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