अधिकारियों ने बताया कि एम्स-भुवनेश्वर के भर्ती प्रकोष्ठ के सहायक प्रशासनिक अधिकारी सुधीर कुमार प्रधान, राजश्री पांडा, संग्राम मिश्रा, साई सागर कर, संबित मिश्रा और श्रुति सागर कर के खिलाफ सीबीआई ने मामला दर्ज किया है.
New Delhi: सीबीआई ने फर्जी दस्तावेजों का उपयोग करके ग्रुप-बी और ग्रुप-सी पदों पर भर्ती में कथित भ्रष्टाचार के लिए एम्स-भुवनेश्वर के एक अधिकारी और पांच अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया है. अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी. एजेंसी ने मार्च में दर्ज की गई अपनी प्रारंभिक जांच के निष्कर्षों पर कार्रवाई की, जिसमें प्रथम दृष्टया आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, जालसाजी और रिश्वतखोरी का मामला सामने आया. अधिकारियों ने बताया कि एम्स-भुवनेश्वर के भर्ती प्रकोष्ठ के सहायक प्रशासनिक अधिकारी सुधीर कुमार प्रधान, पांच अन्य राजश्री पांडा, संग्राम मिश्रा, साई सागर कर, संबित मिश्रा और श्रुति सागर कर के खिलाफ सीबीआई ने मामला दर्ज किया है.
1 जुलाई, 2023 को निकला था विज्ञापन
सीबीआई ने आरोप लगाया है कि बॉम्बे इंटेलिजेंस सिक्योरिटी (इंडिया) लिमिटेड (बीआईएस) की कर्मचारी श्रुति सागर कर ने एम्स-भुवनेश्वर में अपने रिश्तेदारों और परिवार के सदस्यों के लिए स्थायी रोजगार हासिल करने की साजिश रची थी. 1 जुलाई, 2023 को विज्ञापित पदों के लिए जाली शैक्षिक और कार्य अनुभव प्रमाणपत्रों का उपयोग करके भर्ती प्रक्रिया से समझौता किया गया था. आरोप है कि श्री कॉलेज ऑफ पैरामेडिकल साइंसेज, गाजियाबाद द्वारा जारी जाली शैक्षिक दस्तावेजों के आधार पर पांडा, संग्राम मिश्रा, साई सागर कर और संबित मिश्रा ने नौकरियां हासिल की थीं. एफआईआर में आरोप लगाया गया है. इसके अलावा ऐसा कोई कॉलेज या विश्वविद्यालय का बुनियादी ढांचा यानी कॉलेज और एलाइड हेल्थकेयर काउंसिल ऑफ इंडिया, जिससे कॉलेज संबद्ध है, उनकी वेबसाइट पर उल्लिखित पते पर मौजूद नहीं पाया गया.
चारों अभ्यर्थी पाए गए फर्जी
सीबीआई ने कार्य अनुभव के संबंध में भी अनियमितताएं पाईं. गोरखपुर के मेडिकल कॉलेज में सेनेटरी इंस्पेक्टर और मेडिकल रिकॉर्ड तकनीशियन जैसी भूमिकाओं में चारों अभ्यर्थी फर्जी पाए गए. अधिकारियों ने बताया कि प्रमाण पत्र फर्जी बनाए गए थे और कथित तौर पर श्रुति सागर कर ने आवेदकों और अन्य के साथ साजिश करके इन्हें हासिल किया था. प्रारंभिक जांच से पता चला है कि प्रधान ने साजिश में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, क्योंकि उन्होंने उच्च अधिकारियों को यह जानकारी नहीं दी कि गाजियाबाद संस्थान को भेजा गया सत्यापन पत्र बिना वितरित किए वापस आ गया, जिससे चारों अभ्यर्थी अपनी नौकरी करते रहे.
ये भी पढ़ेंः केंद्रीय OBC सूची में शामिल हो सकता है ‘गोसाईं’ समुदाय, इस पूज्य संत के नाम पर होगा हरियाणा का एक चौक
