Rahul Gandhi Gets bail In Defamatory Case: कांग्रेस नेता राहुल गांधी को चाईबासा की एक एमपी-एमएलए अदालत ने साल 2018 में एक रैली के दौरान गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ दिए बयान के मामले में जमानत दे दी है.
Rahul Gandhi Gets bail In Defamatory Case: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी को राहत मिली है. उन्हें झारखंड के चाईबासा की एक एमपी-एमएलए अदालत ने साल 2018 में गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ दिए बयान के मामले में जमानत दे दी है. इसे लेकर BJP नेता प्रताप कुमार की ओर से राहुल गांधी के खिलाफ झारखंड के चाईबासा सीजेएम कोर्ट में जुलाई 2018 में ही मानहानि की शिकायत दर्ज किया था. उन्होंने ने कोर्ट में उपस्थिति दर्ज करवाई जिसके बाद से उन्हें राहत मिल गई है. गांधी सुबह करीब 10.55 बजे अदालत में पेश हुए.
क्या है पूरा मामला?
यहां पर आपको बता दें कि ये पूरा मामला साल 2018 का है. 28 मार्च, 2018 को कांग्रेस के अधिवेशन में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने उस वक्त के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह जो अब गृह मंत्री हैं , उनके खिलाफ भाषण के दौरान विवादित बयान दिया था. उसी आपत्तिजनक बयान को लेकर BJP नेता प्रताप कुमार की ओर से राहुल गांधी के खिलाफ झारखंड के चाईबासा सीजेएम कोर्ट में जुलाई 2018 में ही मानहानि की शिकायत दर्ज किया था, जिसमें राहुल गांधी को राहत मिल गई है.
गैर जमानती वारंट जारी
गौरतलब है कि इस मामले में राहुल गांधी कोर्ट में मौजूद नहीं हुए थे. इसके बाद से उनके खिलाफ कोर्ट ने 24 मई को गैर जमानती वारंट जारी करते हुए 26 जून को उन्हें शारीरिक रूप से कोर्ट में उपस्थित होने का आदेश दिया. चाईबासा कोर्ट की ओर से जारी किए वारंट को निरस्त करने को लेकर राहुल गांधी झारखंड हाईकोर्ट पहुंचे थे. जिस पर सुनवाई करते हुए झारखंड हाईकोर्ट ने उन्हें 6 अगस्त को चाईबासा कोर्ट में उपस्थित होने का निर्देश दिया था. हालांकि, अब उन्हें इस मामले में जमानत दे दी है.
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गांधी के वकील प्रणव दरिपा का बयान
वहीं, इस मामले को लेकर राहुल गांधी के वकील प्रणव दरिपा ने कहा कि राहुल गांधी जी झारखंड उच्च न्यायालय के निर्देश के अनुसार अदालत में पेश हुए. उन्होंने जमानत मांगी थी और उन्हें सशर्त जमानत दे दी गई है. अब हम प्रक्रिया को आगे बढ़ाएंगे. वकील ने आगे कहा कि मामला मानहानि से संबंधित है और साल 2018 में दर्ज किया गया था. प्रणव दरिपा ने बताया कि मामला शुरू में रांची के कोर्ट में दर्ज किया गया था और साल 2021 में चाईबासा ट्रान्सफर कर दिया गया था. इसके बाद से हमने उच्च न्यायालय के समक्ष व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट के लिए याचिका दायर की थी और हम उच्च न्यायालय के निर्देश के अनुसार यहां हैं.
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