Vodafone Idea News : एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) की मांग को खारिज करने वाली याचिका पर सुनवाई को सुप्रीम कोर्ट ने 13 अक्टूबर तक टाल दिया है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बेंच से 13 अक्टूबर तक समय मांगा था.
Vodafone Idea News : टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन आइडिया (Vodafone Idea) को लेकर बड़ी खबर सामने आई है. एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) की मांग को खारिज करने वाली याचिका पर सुनवाई को सुप्रीम कोर्ट ने 13 अक्टूबर तक टाल दिया है. इसमें 2016-17 तक की अवधि के लिए अतिरिक्त एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू की मांग को रद्द करने की मांग की गई थी. इस मामले में सुनवाई कर रही मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ से केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आग्रह किया कि सुनवाई अगले सोमवार तक टाल दी जाए. वहीं, वोडाफोन आइडिया लिमिटेड (VIL) का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने इस दलील का समर्थन किया.
ये है पूरा मामला
सॉलिसीटर ने पीठ से आग्रह किया कि दीवाली की छुट्टियों से पहले याचिका पर सुनवाई की जाए. मुख्य न्यायाधीश ने दलीलों को स्वीकार कर लिया. इससे पहले शीर्ष अदालत ने 26 सितंबर को सुनवाई 6 अक्टूबर तक के लिए टाल दी थी. VIL ने दूरसंचार विभाग (DOT) द्वारा वित्त वर्ष 2016-17 से संबंधित 5,606 करोड़ रुपये की नई मांग के खिलाफ एक नई याचिका दायर की है. इससे पहले केंद्र सरकार ने कहा था कि मामला सुलझाने के लिए कंपनी से बातचीत जारी है. विधि अधिकारी ने कहा कि वोडाफोन आइडिया में सरकार की करीब 50 फीसदी हिस्सेदारी है, जिससे वह ऑपरेटर के अस्तित्व में प्रत्यक्ष हितधारक बन जाती है. उन्होंने आगे कहा कि आपकी अनुमति के अधीन कोई समाधान निकालना पड़ सकता है. अगर इसको अगले सप्ताह के लिए रखा जाता है तो हम इस मामले में कोई समाधान सोच सकते हैं.
बकाया का होगा व्यापाक पुनर्मूल्यांकन
वहीं, VIL ने टेलीकॉम डिपार्टमेंट को 3 फरवरी, 2020 के कटौती सत्यापन दिशानिर्देशों के अनुसार वित्त वर्ष 2016-17 तक की अवधि के लिए सभी AGR बकाया का व्यापक पुनर्मूल्यांकन और समाधान करने का निर्देश देने की मांग की है. इस साल की शुरुआत में भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया समेत कई टेलीकॉम कंपनियों को झटका देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 2021 के आदेश की समीक्षा करने इनकार कर दिया था. शीर्ष अदालत ने एजीआर बकाया की गणना में कथित गलतियों को सुधारने की उनकी याचिकाओं को भी खारिज कर दिया था. उस वक्त टेलीकॉम कंपनियों ने तर्क दिया था कि गणना में अर्थमेटिक गलतियों को ठीक किया जाना चाहिए. दूसरी तरफ सितंबर 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने 93,520 करोड़ रुपये के एजीआर से संबंधित बकाया चुकाने के लिए संघर्ष कर रहे दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के लिए सरकार को अपनी बकाया राशि चुकाने हेतु 10 वर्ष की समय-सीमा तय की थी.
यह भी पढ़ें- रुपया पांच पैसे चढ़कर 88.74 पर पहुंचा, घरेलू बाजार और IPO इनफ्लो से मिली इंडियन करेंसी को मजबूती
