Home राज्यJharkhand Supreme Court ने Hemant Soren के ‘सहयोगी’ को दी बेल, कहा- जमानत नियम है और जेल अपवाद

Supreme Court ने Hemant Soren के ‘सहयोगी’ को दी बेल, कहा- जमानत नियम है और जेल अपवाद

by Divyansh Sharma
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Supreme Court grants bail to Hemant Soren's associate, says bail is rule and jail is exception

Supreme Court: बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के सहयोगी प्रेम प्रकाश (Prem Prakash) को राहत देते हुए बड़ी बात कही.

28 August, 2024

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर से जमानत को लेकर बड़ी टिप्पणी की है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जमानत नियम है और जेल अपवाद है. साथ ही कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया है कि यह मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में भी लागू होता है. बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के सहयोगी प्रेम प्रकाश को प्रवर्तन निदेशालय की ओर से दर्ज अवैध खनन से संबंधित मामले में राहत देते हुए बड़ी बात कही.

अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकार का हिस्सा

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ ने बुधवार को कहा कि अदालत ने माना है कि मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (Prevention of Money Laundering Act) के तहत मामलों में भी जमानत नियम है और जेल अपवाद है. पीठ ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकार का यह हिस्सा है. अदालत ने कहा कि केवल कानून की सही प्रक्रिया का पालन करके ही किसी व्यक्ति को जेल में रखा जा सकता है. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि PMLA के तहत हिरासत के दौरान कोई आरोपी जांच कर रहे अधिकारी के सामने अगर अपराध को स्वीकार करने वाला बयान देता है, तो उसे कोर्ट में सबूत के तौर पर नहीं माना जाएगा. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के सहयोगी प्रेम प्रकाश को अवैध खनन से संबंधित मामले में राहत दे दी है.

ED ने प्रेम प्रकाश को बताया हेमंत सोरेन का करीबी

प्रेम प्रकाश को Enforcement Directorate (ED) ने हेमंत सोरेन का करीबी सहयोगी बताया और उस पर राज्य में अवैध खनन में शामिल होने का आरोप है. इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड उच्च न्यायालय के 22 मार्च के आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें प्रेम प्रकाश को जमानत देने से इन्कार किया गया था और निचली अदालत को मामले में सुनवाई में तेजी लाने का निर्देश दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी को स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जाना चाहिए और मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) की धारा 45 मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोपी की जमानत के लिए दोहरी शर्तें निर्धारित करती है. बता दें कि सुप्रीम अदालत ने दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार के मामलों में 9 अगस्त के फैसले का हवाला देते हुए भी कहा था कि व्यक्ति की स्वतंत्रता हमेशा नियम है और कानून की ओर से स्थापित प्रक्रिया से उसे वंचित करना अपवाद है.

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