बहुजन समाज पार्टी की मुखिया और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने पटना यूनिवर्सिटी के लॉटरी सिस्टम का जिक्र कर बीजेपी को घेरा है.
Mayawati Post on Bihar: बहुजन समाज पार्टी की मुखिया और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने पटना यूनिवर्सिटी के लॉटरी सिस्टम का जिक्र किया है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करके मायावती ने कई प्रोफेसर्स का भी जिक्र किया. इस पोस्ट को बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव में मायावती के एक्टिव होने के तौर पर देखा जा रहा है.
मायावती ने क्या लिखा?
मायावती ने एक्स पर लिखा, “बिहार के प्रसिद्ध पटना विश्वविद्यालय के पांच प्रतिष्ठित कालेजों में ’लॉटरी’ की नई व्यवस्था के तहत् प्रिन्सिपलों की नियुक्ति का मामला दिलचस्प होने के कारण देश भर में खासकर मीडिया व शिक्षा जगत में काफी चर्चाओं में है. स्थापित परम्परा से हटकर, ’लॉटरी’ के जरिए नियुक्ति की एक प्रकार से विचित्र व्यवस्था लागू करने के कारण केवल कला (आर्ट्स) विषयों की पढ़ाई वाले 1863 में स्थापित पटना कालेज में कैमिस्ट्री के प्राध्यापक प्रो. अनिल कुमार प्राचार्य बन गये हैं, जबकि बिहार विश्वविद्यालय में गृह विज्ञान की प्राचार्य प्रो. अल्का यादव विज्ञान की उच्च शिक्षा के लिए प्रख्यात पटना साइन्स कालेज की नयी प्रिन्सिपल नियुक्त हुई हैं. इतना ही नहीं बल्कि इसी प्रकार की नियुक्ति वाणिज्य महाविद्यालय में भी हुई है. यहां पहली बार कला संकाय की महिला प्राध्यापक डा सुहेली मेहता प्राचार्य बनी हैं, हालांकि उनके विषय की पढ़ाई यहां इस कालेज में नहीं होती है. साथ ही, महिला शिक्षा जगत में प्रसिद्ध मगध महिला कॉलेज को लम्बे इतिहास में दूसरी बार पुरुष प्रिन्सिपल मिले हैं. प्रो. एन. पी. वर्मा यहां के नये प्राचार्य होंगे जबकि प्रो. योगेन्द्र कुमार वर्मा की लॉटरी पटना लॉ कालेज के प्रिन्सिपल के रूप में निकली है.”
बीजेपी पर साधा निशाना
मायावती ने इसी पोस्ट में आगे लिखा, “इसको लेकर लोगों में उत्सुकता है कि ’पारदर्शिता व तटस्था’ के नाम पर बिहार सरकार व वहां के चांसलर द्वारा इस प्रकार लॉटरी के माध्यम से की गई प्रिन्सिपल की नियुक्तियों को सही ठहरा कर क्या इस व्यवस्था को भाजपा-शासित अन्य राज्यों में भी लागू किया जाएगा? वास्तव में कालेजों के प्रिन्सिपल जैसे महत्वपूर्ण पद पर भी पूरी पारदर्शिता, तटस्था व ईमानदारी के साथ नियुक्ति नहीं कर पाने की अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए ही ऐसा घातक प्रयोग करना लोगों की नजर में उच्च शिक्षा व्यवस्था को सुधार का कम तथा खराब करने वाला ज्यादा प्रतीत होता है. इसी प्रकार, इसी परम्परा को अपना कर आगे चलकर मेडिकल कॉलेजों, आईआईटी व अंतरिक्ष विज्ञान आदि जैसी सांइस की उच्च व विशिष्ठ संस्थाओं में भी गैर-एक्सपर्ट नियुक्त किये जायें तो यह ताज्जुब की बात नहीं होनी चाहिए. वैसे हमारी पार्टी का यह मानना है कि किसी भी विशिष्ठ क्षेत्र में इस प्रकार की मनमानी वाला विकृत प्रयोग ना किया जाये तो उचित और इससे पहले कि यह रोग गंभीर होकर और ज्यादा फैले केन्द्र की सरकार को इसका उचित व समुचित संज्ञान लेकर जन व देशहित में जितनी जल्द कार्रवाई करे उतना बेहतर, ऐसी सभी को उम्मीद.”
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