Caste Census: अब राहुल गांधी अपनी रणनीति बदल कर जाति जनगणना कराने और MSP की गारंटी देने की बात कर रहे हैं.
31 July, 2024
नई दिल्ली, धर्मेन्द्र कुमार सिंह: चाहे जंग का मैदान हो या राजनीति का रण अपने दुश्मन को चक्रव्यूह में फंसाने की कोशिश होती है. दुश्मन को पस्त करने के लिए रणनीति बनानी पड़ती है. यह भी एक चक्रव्यूह का हिस्सा है. लोकसभा चुनाव 2024 में BJP की तुलना में बहुत कम सीटें कांग्रेस को मिली हैं, लेकिन अब राहुल गांधी का आत्मविश्वास काफी बढ़ गया है. राहुल को इस बात का गम नहीं है कि देश की सबसे पुरानी पार्टी 2009 के बाद 100 सीट का आंकड़ा पार नहीं कर पा रही है. उन्हें खुशी इस बात की है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इस बार केंद्र में बहुमत से रोक दिया है.
राहुल गांधी का आत्मविश्वास सातवें आसमान पर पहुंच गया है और वह मोदी को लगातार चैलेंज कर रहे हैं कि वह गुजरात, महाराष्ट्र और हरियाणा में हरा देंगे. बजट भाषण के दौरान ने राहुल गांधी ने महाभारत युद्ध के चक्रव्यूह की बात करते हुए कहा कि इसमें डर और हिंसा होती है और अभिमन्यु को फंसाकर छह लोगों ने मारा. उन्होंने चक्रव्यूह को पद्मव्यूह बताते हुए कहा कि यह एक उल्टे कमल की तरह होता है और चैलेंज भी कर दिया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चक्रव्यूह को तोड़ देंगे. बजट पर चर्चा के दौरान राहुल गांधी ने पेपर लीक, अग्निवीर, किसानों के MSP की मांग के साथ-साथ जातिगत जनगणना की बात रखी. वह बार-बार चैलेंज करते हैं कि इसी सदन में जाति जनगणना कानून लाएंगे, अग्निवीर खत्म कर देंगे और किसानों के लिए MSP गारंटी कानून लागू कराएंगे.
राहुल ने कब से बदली अपनी रणनीति?
साल 2001 से मोदी सत्ता में बने हुए हैं. तीन बार गुजरात विधानसभा का चुनाव जीते और फिर देश के प्रधानमंत्री बन गए. कांग्रेस पार्टी मोदी को हराने की लाख जतन करती रही है, लेकिन कामयाब नहीं हो रही है. इसके पीछे वजह यह है कि मोदी ने हिंदुत्व, विकास और सामाजिक कल्याणकारी नीति की दीवार बनाई है, जिसे कांग्रेस तोड़ नहीं पा रही है. यह अलग बात है कि चुनाव जीतने के मकसद से कांग्रेस ने हिंदुत्व पर अपनी रणनीति बदली है. गुजरात विधानसभा 2017 के चुनाव के दौरान राहुल गांधी मंदिर मंदिरों में दर्शन करने लगे और ललाट पर चंदन और जनेऊ पहनने का सार्वजनिक प्रदर्शन करने लगे. कांग्रेस की तरफ से साफ तौर पर कहा गया कि राहुल गांधी जनेऊधारी ब्राह्मण हैं.
वह लगातार BJP पर हमला कर रहे हैं. कई बार हमला करते हुए कहा कि BJP वाले हिंदुओं के नाम पर समाज और देश में नफरत और घृणा की राजनीति करते हैं. हालांकि इसका असर नहीं हुआ. गुजरात का चुनाव 2017 और 2022 में कांग्रेस हार गई और लोकसभा चुनाव 2019 भी हार गई. यही नहीं, कई राज्यों में कांग्रेस की राजनीतिक जमीन सिकुड़ती चली गई. कांग्रेस को लगा कि सॉफ्ट हिंदुत्व की राजनीति से काम नहीं चलने वाला है, इसीलिए अब खुलकर जाति कार्ड पर उतर गई है. इसका मकसद BJP की कमंडल की राजनीति को मंडल से कमजोर करने का है.
कमंडल बनाम मंडल की राजनीति
BJP की राजनीति हिंदुत्व से शुरू हुई थी लेकिन BJP को लगा कि सिर्फ हिंदुत्व की राजनीति से काम नहीं चलेगा. ऐसे में BJP में ओबीसी को जोड़ने का काम शुरू किया गया. विवादित बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद BJP अपने चरम पर पहुंच गई थी लेकिन उसी दौरान मंडल की राजनीति भी चरम पर थी. पार्टी ने बड़ी चालाकी से मंडल कमीशन का विरोध नहीं किया बल्कि, राम मंदिर के आंदोलन के दौरान आडवाणी की गिरफ्तारी के बाद BJP ने वीपी सिंह की सरकार से समर्थन वापस ले लिया. उधर जनता दल दो फाड़ हो चुकी थी. BJP हिंदुत्व की जमीन पर ओबीसी का पौधा लगाकर आगे तो बढ़ी लेकिन गठबंधन के बाद भी बहुमत नहीं मिला. ऐसे में अटल बिहारी वाजपेयी भी गठबंधन के सहारे ही सरकार चलाने को मजबूर हुए. BJP और RSS के लिए यह बात पूरी तरह से साफ हो गई थी कि पार्टी में नया प्रयोग करना पड़ेगा.
यही वजह थी कि ओबीसी नेता और हिंदुत्व के पोस्टर ब्यॉय नरेन्द्र मोदी को 2014 के चुनाव में प्रधानमंत्री का चेहरा घोषित कर दिया गया. इसका नतीजा यह हुआ कि मोदी के नेतृत्व में BJP को पहली बार बहुमत मिला और कांग्रेस रसातल में चली गई. मोदी के नेतृत्व में पार्टी लगभग पूरे देश में फैल गई. ऐसे में कांग्रेस को एक बात समझ में आ गई कि अब रणनीति बदलनी पड़ेगी. यही वजह है कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान राहुल ने जाति जनगणना की बात उठाई. हालांकि, कांग्रेस को कर्नाटक विधानसभा चुनाव में फायदा भी हुआ. इस सफलता से राहुल गांधी का हौसला बढ़ गया और फिर वह नारा देने लगे कि जिसकी जितनी आबादी उतना हक. हालांकि, पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में इसका फायदा नहीं हुआ. पार्टी तेलंगाना में जीती लेकिन राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ हार गई. राहुल गांधी लोकसभा चुनाव में जाति जनगणना, अग्निवीर को खत्म करने की बात की और वहीं MSP की गारंटी देने का वादा किया. यही वजह रही कि कांग्रेस की सीट लोकसभा में 52 से 99 तक पहुंच गई और BJP बहुमत से दूर रह गई.
कांग्रेस को जाति का सहारा
राहुल गांधी जाति पर जमकर राजनीति कर रहे हैं. उन्होंने पहले तो निशाना साधा कि मंत्रिमंडल और अफसरशाही में ओबीसी, दलित और आदिवासी की कितनी भागीदारी है. इसका जवाब अमित शाह दे चुके हैं. अब उन्होंने बजट के हलवा सेरेमनी पर हमला कर दिया. एक फोटो दिखाते हुए कहा कि इसमें बजट का हलवा बंट रहा है. इसमें एक भी आदिवासी, दलित या पिछड़ा अफसर नहीं दिख रहा है. 20 अफसरों ने बजट तैयार किया. हिंदुस्तान का हलवा 20 लोगों ने बांटने का काम किया है. एक माइनॉरिटी और एक ओबीसी को साथ रखा बाकी को तो फोटो में आने ही नहीं दिया.
इस पर सदन में ही वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने सिर पकड़ लिया. लड़ाई इतनी बढ़ गई कि निर्मला सीतारमण से लेकर अनुराग ठाकुर ने राहुल पर सीधा निशाना साध दिया. अनुराग ठाकुर ने कहा कि जिनकी जाति का पता नहीं वह जाति जनगणना की बात करते हैं. गौर करने की बात है कि जाति आधारित आरक्षण देने पर कांग्रेस खुद गंभीर नहीं रही. पहले जवाहर लाल नेहरू ने काका केलकर की रिपोर्ट को दरकिनार कर दिया गया. फिर मंडल कमीशन की रिपोर्ट आने के बाद न तो इंदिरा गांधी और न ही राजीव गांधी ने लागू किया. आखिरकार मंडल कमीशन की रिपोर्ट को वीपी सिंह की सरकार में लागू किया. इसमें ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण देने का प्रावधान किया गया. वहीं मनमोहन सिंह की सरकार ने सामाजिक और आर्थिक जनगणना को सार्वजनिक नहीं किया. वहीं लंबे वक्त तक कांग्रेस सत्ता में रही लेकिन किसानों को MSP पर गारंटी नहीं दे सकी. कांग्रेस जिसे पहले लागू नहीं कर पाई, अब राहुल गांधी अपनी रणनीति बदल कर जाति जनगणना कराने और MSP की गारंटी देने की बात कर रहे हैं.

राहुल गांधी जोश में क्यों हैं?
दरअसल लोकसभा 2024 के चुनाव में मिली कामयाबी से राहुल गांधी जोश में है. उन्हें लगता है कि BJP के कमंडल के चक्रव्यूह को जाति के चक्रव्यूह से तोड़ा जा सकता है. इसमें I.N.D.I.A. ब्लॉक को उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, राजस्थान और हरियाणा में सफलता मिली. CSDS पोस्ट पोल सर्वे के मुताबिक लोकसभा 2024 के चुनाव में BJP को दलित के 33 फीसदी वोट मिले, जबकि 2019 में 31 फीसदी वोट मिले थे. वहीं कांग्रेस को इस बार 20 फीसदी वोट मिले. वहीं 2019 में सिर्फ 19 फीसदी वोट मिले. हालांकि कांग्रेस को 1 फीसदी का फायदा हुआ. दूसरी ओर उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी को दलित के वोटों से फायदा हुआ. BJP को इस बार 44 फीसदी वोट मिले, जबकि 2019 में 43 फीसदी वोट मिले थे.
वहीं कांग्रेस को इस बार 15 फीसदी वोट मिले थे, जबकि 2019 में 19 फीसदी वोट मिले थे. ऐसे में कांग्रेस को फायदा नहीं बल्कि नुकसान ही हुआ है. BJP को इस बार आदिवासियों के 44 फीसदी वोट मिले. वहीं 2019 में 48 फीसदी वोट मिले थे. इस बार कांग्रेस को 31 फीसदी आदिवासियों ने वोट दिया. 2019 में सिर्फ 23 फीसदी वोट मिले थे. कांग्रेस को सिर्फ आदिवासी वोटों में हल्की बढ़त मिली लेकिन BJP को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ. अब राहुल को लगता है कि जाति के नाव पर सवार होकर मोदी को हराया जा सकता है.

धर्मेन्द्र कुमार सिंह (इनपुट एडिटर, लाइव टाइम्स)
यह भी पढ़ें : ब्रेकिंग से लेकर लेटेस्ट ट्रेंडिंग खबरों तक, भारत का बेस्ट हिंदी न्यूज़ चैनल
