Home National PM मोदी के घाना पहुंचते ही कांग्रेस को याद आए नेहरू, अफ्रीका को लेकर क्या बोले जयराम रमेश?

PM मोदी के घाना पहुंचते ही कांग्रेस को याद आए नेहरू, अफ्रीका को लेकर क्या बोले जयराम रमेश?

by Vikas Kumar
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Jawaharlal Nehru

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और घाना के संबंधों को बताते हुए एक्स पोस्ट किया है.

Jairam Ramesh on former PM Nehru: कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने पीएम मोदी के घाना पहुंचने पर भारत के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का जिक्र किया है. जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करके पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के घाना के साथ मजबूत संबंधों पर प्रकाश डाला. एक्स पोस्ट में जयराम रमेश ने पीएम मोदी को सुपर प्रीमियम फ्रीक्वेंट फ्लायर प्रधानमंत्री तक कह दिया.

क्या बोले जयराम रमेश?

जयराम रमेश ने एक्स पोस्ट में लिखा, “सुपर प्रीमियम फ्रीक्वेंट फ्लायर प्रधानमंत्री आज घाना में हैं. 1960 के दशक के मध्य तक, घाना और पूरे अफ्रीका की राजनीति पर क्वामे एनक्रूमा का प्रभाव था. वे बेहद प्रतिष्ठित और ऐतिहासिक शख्सियत माने जाते हैं. उनका पंडित जवाहरलाल नेहरू से काफी आत्मीय संबंध था -और यह रिश्ता घाना की स्वतंत्रता (मार्च 1957) से भी पहले का है. घाना की राजधानी अकरा में एक प्रमुख सड़क का नाम नेहरू के नाम पर है इसी सड़क पर इंडिया हाउस स्थित है इसी तरह भारत में भी दिल्ली के डिप्लोमेटिक एनक्लेव में एक सड़क का नाम ‘क्वामे एनक्रूमा मार्ग’ है. क्वामे एनक्रूमा ने भारत की लंबी यात्रा 22 दिसंबर 1958 से 8 जनवरी 1959 के बीच की थी. इस दौरान वे नई दिल्ली, मुंबई, नंगल, चंडीगढ़, झांसी, आगरा, बेंगलुरु, मैसूर और पुणे गए थे. सिर्फ बेंगलुरु और मैसूर में उन्होंने पांच दिन बिताए थे. इस यात्रा के दौरान उन्होंने ट्रॉम्बे परमाणु ऊर्जा संस्थान, नेशनल फिजिकल लेबोरेटरी, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, भाखड़ा नंगल डैम और नेशनल डिफेंस एकेडमी जैसी संस्थाओं का विशेष दौरा किया.उनके इस विस्तृत यात्रा का एक महत्वपूर्ण परिणाम यह रहा कि भारत ने घाना की वायुसेना की स्थापना में मदद की.”

अफ्रीका के अध्ययन की अपील

इसी एक्स पोस्ट में जयराम रमेश ने अफ्रीका के अध्ययन की भी बात कही. जयराम रमेश ने लिखा, “कुछ साल पहले, जब अफ्रीकी उपनिवेशवाद का अंत भी नहीं हुआ था, तब पंडित नेहरू ने दिल्ली विश्वविद्यालय में ‘अफ्रीकी अध्ययन विभाग’ का उद्घाटन किया था. इस अवसर पर 5 अगस्त 1955 को उन्होंने कहा था: “यह इतना स्वाभाविक और आवश्यक है कि भारत के लोग अफ्रीका का अध्ययन करें ,और न केवल इसलिए, जैसा कि कुलपति ने कह…बल्कि इसलिए कि यदि आप अफ्रीका के अध्ययन को नजरअंदाज करते हैं, तो आप भारी भूल करेंगे… हमारे लिए यह अत्यंत आवश्यक है कि हम अफ्रीका को, उसके लोगों और समस्याओं को समझें… जब मैं अफ्रीका के बारे में सोचता हूं, तो अनेक विचार आते हैं… मुझे मानवता के लिए एक तरह का प्रायश्चित करने की भावना आती है… जिस तरह अफ्रीका और उसके लोगों के साथ सदियों से व्यवहार हुआ है, उसके लिए बाकी दुनिया को पश्चाताप की भावना रखनी चाहिए.”

ये भी पढ़ें- अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर मोदी सरकार पर बरसी कांग्रेस, कितना हो गया देश में प्रति व्यक्ति कर्ज?

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