कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक्स पोस्ट में प्रति व्यक्ति कर्ज का जिक्र करते हुए मोदी सरकार पर निशाना साधा है. जयराम रमेश ने बेरोजगारी और महंगाई का भी जिक्र किया है.
Jairam Ramesh Slams Modi Government: कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर मोदी सरकार को घेरा है. दो हिंदी अखबारों की खबर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए जयराम रमेश ने निशाना साधा है. बता दें कि इससे पहले भी कई मुद्दों का जिक्र कर जयराम रमेश मोदी सरकार पर निशाना साध चुके हैं. जयराम रमेश ने पीएम मोदी के सबसे लंबे डिप्लोमैटिक दौरे से पहले भी हमला बोला था.
क्या बोले जयराम रमेश?
जयराम रमेश ने एक्स पोस्ट में लिखा, “”अच्छे दिन” का कर्जा! मोदी सरकार ने पिछले ग्यारह सालों में देश की अर्थव्यवस्था का बंटाधार कर दिया है. लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में कोई प्रयास नहीं किया गया, केवल पूंजीपति मित्रों के लिए सारी नीतियां बनाई गईं, जिसके नुकसान आज देश की जनता भुगत रही है. यह सच्चाई किसी न किसी तरह हर रोज हमारे सामने आ रही है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ताजा रिपोर्ट से भारत की अर्थव्यवस्था की चिंताजनक तस्वीर सामने आई है. सरकार कि ओर से आंकड़ेबाजी और एक्सपर्ट्स का सहारा लेकर असली कमियों को छुपाने की कोशिश लगातार जारी है, लेकिन इस सच्चाई से कोई इनकार नही कर सकता कि देश पर कर्ज का बोझ मोदीराज में चरम पर है.2 साल में प्रति व्यक्ति कर्ज ₹90,000 बढ़कर ₹4.8 लाख हो गया है.
आमदनी का 25.7% हिस्सा सिर्फ कर्ज चुकाने में जा रही है.
सबसे ज्यादा 55% लोन तथाकथित रूप से क्रेडिट कार्ड, मोबाइल EMI आदि के लिए जा रहा है, जिसका मतलब है इस महंगाई में परिवारों की आय में उनका गुजारा नहीं हो रहा है और वे कर्ज लेने पर मजबूर हैं.
असुरक्षित कर्ज 25% पार हो चुका है.”
कर्ज के अलावा अन्य मुद्दों का भी किया जिक्र
इस पोस्ट में जयराम रमेश ने अर्थव्यवस्था के अलावा अन्य मुद्दों का भी जिक्र किया. इस पोस्ट में आगे उन्होंने लिखा, “सबसे चिंताजनक बात यह है कि मार्च 2025 तक भारत पर दूसरे देशों/बाहरी कर्ज 736.3 बिलियन डॉलर था, जो पिछले साल की तुलना में 10 प्रतिशत ज्यादा है
युवाओं को नौकरी नहीं
किसान आत्महत्या कर रहे
महंगाई से जनता त्रस्त
संवैधानिक संस्थाओं को कुचला जा रहा
जनता कर्ज में डूब रही है और मोदी जी के परम मित्र मुनाफा कमा रहे हैं, उनकी संपत्ति बढ़ती ही जा रही है. सीधा सवाल यह है कि जब सारे सरकारी प्रोजेक्ट पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप या प्राइवेट भागीदारी से ही हो रहे हैं तो देश पर कर्जा क्यों बढ़ रहा है. हर देशवासी पर 4,80,000 रु कर्जा क्यों हो गया है?”
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