Home राजनीति ‘अशांत’ मणिपुर को लेकर हलचल बढ़ी, गृह मंत्री अमित शाह ने अधिकारियों के साथ की बैठक

‘अशांत’ मणिपुर को लेकर हलचल बढ़ी, गृह मंत्री अमित शाह ने अधिकारियों के साथ की बैठक

by Live Times
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Amit Shah Meeting on Unrest Manipur : मणिपुर में कई जगहों पर तनाव बना हुआ है. केंद्र सरकार जिरीबाम जैसे नए इलाकों में हिंसा फैलने से चिंतित है, जहां पिछले एक साल में काफी हद तक शांति रही है.

17 June, 2024

Amit Shah Meeting on Unrest Manipur :

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को पूर्वोत्तर राज्य में अशांति की ताजा घटनाओं की खबरों के बीच जातीय हिंसा से प्रभावित मणिपुर में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की. इस उच्च स्तरीय बैठक में अमित शाह को राज्य के शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों ने मौजूदा स्थिति के बारे में विस्तृत जानकारी दी. गृह मंत्री ने मणिपुर की स्थिति का जायजा लिया. एक दिन पहले मणिपुर की राज्यपाल अनुसुइया उइके (Governor Anusuiya Uikey) ने शाह से मुलाकात की थी जिसमें राज्य की कानून-व्यवस्था पर चर्चा हुई.

नए इलाकों में फैल रही है हिंसा

गौरतलब है कि हाल ही में राजधानी इंफाल और जिरीबाम से हिंसा की ताजा खबरें आई थीं. सूत्रों ने बताया कि केंद्र सरकार जिरीबाम जैसे नए इलाकों में हिंसा फैलने से चिंतित है, जहां पिछले एक साल में काफी हद तक शांति रही है. बैठक के दौरान मणिपुर सरकार के प्रतिनिधियों ने कहा कि जिन इलाकों में ताजा हिंसा की खबरें आई हैं, वहां पर्याप्त मात्रा में सुरक्षा बलों की तैनाती की गयी है. राज्य सरकार की ओर से मणिपुर सरकार के सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह, डीजीपी राजीव सिंह और मुख्य सचिव विनीत जोशी बैठक में शामिल हुए. यह अलग बात है कि मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह बैठक में मौजूद नहीं थे. वहीं, केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला, खुफिया ब्यूरो के निदेशक तपन डेका, सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे, सेना प्रमुख-पदनाम लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक में मौजूद थे.

मणिपुर में जातीय हिंसा को एक साल पूरा हुआ

यहां पर बता दें कि एक वर्ष पहले 3 मई, 2023 को मणिपुर में जातीय हिंसा भड़क उठी थी, जब बहुसंख्यक मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में राज्य के पहाड़ी जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च निकाला गया था. इसके बाद से जारी हिंसा में कुकी और मैतेई दोनों समुदायों के 220 से अधिक लोग और सुरक्षाकर्मी मारे जा चुके हैं. बता दें कि मणिपुर की आबादी में मैतेई की हिस्सेदारी करीब 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं, जबकि नागा और कुकी समेत आदिवासी 40 प्रतिशत हैं और मुख्य रूप से पहाड़ी जिलों में रहते हैं.

राज्य की हिंसा पर संघ प्रमुख ने की शांति की बात

अमित शाह ने मणिपुर की स्थिति की समीक्षा, जम्मू-कश्मीर की स्थिति पर इसी तरह की बैठक लेने के एक दिन बाद की. बता दें कि 10 जून को RSS प्रमुख मोहन भागवत ने मणिपुर में एक साल बाद भी शांति न होने पर चिंता जताई थी और कहा कि संघर्षग्रस्त राज्य की स्थिति पर प्राथमिकता के साथ विचार किया जाना चाहिए. नागपुर में आरएसएस प्रशिक्षुओं की एक सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि मणिपुर पिछले एक साल से शांति का इंतजार कर रहा है. मणिपुर में 10 साल पहले शांति थी. ऐसा लगा कि वहां ‘बंदूक कल्चर’ खत्म हो गया है, लेकिन राज्य में अचानक हिंसा देखने को मिली है.

मौजूदा समस्याओं पर ध्यान देने की जरूरत

भागवत ने कहा कि मणिपुर की स्थिति पर प्राथमिकता के साथ विचार करना होगा और चुनावी बयानबाजी से ऊपर उठकर देश के सामने मौजूद समस्याओं पर ध्यान देने की जरूरत है. माना जा रहा है कि अपने तीसरे कार्यकाल के दौरान अशांति का सामना कर रहे जम्मू-कश्मीर और मणिपुर, दोनों ही राज्यों पर मोदी सरकार का विशेष फोकस रह सकता है.

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