कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के बीच एक्स वॉर जारी है. दरअसल, ये सारा मामला एक पुल उद्घाटन कार्यक्रम के इन्विटेशन से जुड़ा है.
Invitation Row between Siddaramaiah and Nitin Gadkari: कर्नाटक में एकबार फिर सियासत गरमाई हुई है और जिसकी वजह है एक ‘इन्विटेशन’. जी हां, आपने बिल्कुल सही पढ़ा. एक ‘इन्विटेशन’ पर ही कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी आमने-सामने हैं. चलिए अब आपको पूरा मामला बताते हैं. दरअसल, सोमवार को केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री गडकरी ने कर्नाटक के शिवमोगा के सागरा तालुक में भारत के दूसरे सबसे लंबे केबल-आधारित सिगंडूर पुल का उद्घाटन किया. इस कार्यक्रम में भाजपा के वरिष्ठ नेता तो शामिल हुए, लेकिन राज्य मंत्रिमंडल का कोई भी सदस्य इसमें शामिल नहीं हुआ और यही वार-पलटवार की वजह बन गई.
सिद्धारमैया ने कही न बुलाने की बात
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने सोमवार को कहा कि न तो वह और न ही उनके मंत्री शिवमोगा के सागरा तालुक में सिगंदूर पुल के उद्घाटन और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के शिलान्यास समारोह में शामिल हो रहे हैं. सिद्धारमैया ने कहा कि ऐसा नहीं है कि वो विरोध के चलते कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए बल्कि उन्हें तो बुलाया ही नहीं गया था. सिद्धारमैया ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करके भी इस मामले को उठाया. एक्स पर सिद्धारमैया ने लिखा, “14 जुलाई को शिवमोगा राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं के लोकार्पण एवं शिलान्यास समारोह को अंतिम रूप देने से पहले मुझसे परामर्श नहीं किया गया, जबकि मेरा नाम भी इसमें शामिल था. विजयपुरा में पूर्व प्रतिबद्धताओं के कारण, मैंने नितिन गडकरी को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि कार्यक्रम को पुनर्निर्धारित किया जाए.”
नितिन गडकरी ने भी किया पोस्ट
नितिन गडकरी ने भी एक्स पोस्ट के जरिए कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के दावों को सिरे से खारिज किया. नितिन गडकरी ने एक लेटर भी शेयर किया. उन्होंने लिखा, “क्षेत्रीय संपर्क को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़े कदम के रूप में, आज कर्नाटक के शिवमोगा में कई प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास समारोह आयोजित किया जा रहा है. कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को 11 जुलाई 2025 को कार्यक्रम की अध्यक्षता करने के लिए औपचारिक निमंत्रण भेजा गया है. कार्यक्रम संबंधी किसी भी संभावित चुनौती को देखते हुए, 12 जुलाई को एक पत्र भेजा गया, जिसमें उनकी वर्चुअल उपस्थिति का अनुरोध किया गया. केंद्र सरकार स्थापित प्रोटोकॉल का पालन करती रही है और कर्नाटक सरकार तथा मुख्यमंत्री के योगदान और सहयोग की निरंतर सराहना करती रही है. वह सहकारी संघवाद और सभी राज्यों के साथ घनिष्ठ समन्वय के लिए प्रतिबद्ध है.” इस मुद्दे पर राजनीतिक घमासान और भी बढ़ने की आशंका जताई जा रही है.
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