Home राजनीति Wardha Lok Sabha Election 2024: महाराष्ट्र की वर्धा सीट पर रोमांचक हुआ मुकाबला

Wardha Lok Sabha Election 2024: महाराष्ट्र की वर्धा सीट पर रोमांचक हुआ मुकाबला

by Live Times
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Wardha Lok Sabha Election 2024

Wardha lok sabha election results 2024: कांग्रेस कार्यकर्ताओं की नाराजगरी जगजाहिर है, लेकिन फिर भी गठबंधन का दावा है कि वे मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं, वैसे कांग्रेस कार्यकर्ता ही नहीं आम लोग भी इंडिया गठबंधन के इस फैसले से बेहद हैरान हैं.

11 April, 2024

Wardha Lok Sabha Election 2024: महाराष्ट्र के 48 लोकसभा क्षेत्रों में एक वर्धा बहुत हाई प्रोफाइल सीट है. सेवाग्राम आश्रम के लिए मशहूर वर्धा में महात्मा गांधी ने अपने जीवन के अंतिम कुछ साल बिताए थे। इसी वजह से यहां आने वालों का तांता लगा रहता है. इस बीच दिलीप चव्हाण (गांधीवादी विचारक) का कहना है कि करीब-करीब बापू जी 10 साल यहां पर रहे हैं. 1936 में यहां पर आए आश्रम की स्थापना हुई और आजादी के आंदोलन के साथ-साथ कई अनेक प्रयोग गांधी जी ने यहां पर किए हैं तो गांधी जी के जो 18 रचनात्मक कार्य थे उनकी नींव भी इसी सेवाग्राम आश्रम में हुई है. वर्धा सीट को पहले कांग्रेस का गढ़ माना जाता था, क्योंकि 1952 से 1989 तक ये सीट कांग्रेस के हाथ में ही रही थी. वर्ष 2014 में भारतीय जनता पार्टी के रामदास तडस ने कांग्रेस को हराया और यही सिलसिला 2019 में भी जारी रहा. इस बार बीजेपी ने लगातार तीसरी बार रामदास तडस पर भरोसा जताया है.

रामदास को मिली तीसरी बार उम्मीदवारी

उधर, रामदास तडस (भाजपा उम्मीदवार) का कहना है कि मैंने 2014 से 2024 तक जो काम मैंने किया है उसी को देख कर मुझे तीसरी बार यहां से उम्मीदवारी मिली है. मेरा जनसंपर्क बहुत बड़ा था, मेरा लोगों के प्रति जो रुवाब था वो बहुत अच्छा था, कोई भी मेरे पास आए काम करके लेकर जाते थे. दिल्ली में भी आए तो वहां पर खाने की व्यवस्था, रहने की व्यवस्था सब में करता था, उसी से मैं एक सर्वसाधारण एक सांसद बन कर लोगों तक पहुंचने का काम किया है. इंडिया गठबंधन से इस सीट पर एनसीपी के अमर काले चुनाव लड़ रहे हैं। इस वजह से कांग्रेस कार्यकर्ताओं में थोड़ी नाराजगी है.

ये गांधी जी का जिला है

अनोज चादुकर (कांग्रेस जिला अध्यक्ष, वर्धा) के मुताबिक, अलायंस के कारण जो ऊपर वालों ने निर्णय लिया है, जो एक सीट गई हमको बुरा लगा गांधी जी का जिला, हमने बार-बार राष्ट्रीय अध्यक्ष को भी खत लिखा, सबको लिखा कि ये गांधी जी का जिला है यहां की सीट कांग्रेस को रहनी चाहिए. बहुत कोशिश भी की गईं लेकिन अलायंस में एक बार सीट शेयरिंग के बाद वो सीट वापस हमें नहीं मिली. तो ठीक ये ऊपर वालों का जो है, लेकिन उनका ये कहना था कि विदर्भ में एक ही सीट राष्ट्रवादी को है और अगर एक सीट नहीं दी तो उनका तो साफ हो जाएगा तो इस वजह से वो सीट ऊपर से गई यहां से नहीं गई.

कभी था कांग्रेस का किला

एक स्थानीय निवासी का कहना है कि वर्धा जिला वैसे ही कांग्रेस का किला था. आज तक। 47 साल का हूं मैं अभी तक जहां से समझ रहा हूं चुनाव तो पिछले 10 साल छोड़कर यहां पर कांग्रेस ही है। 10 से यहां बीजेपी के सांसद चुन कर आ रहे हैं, अभी राष्ट्रवादी और बीजेपी यहां से लड़ रहे हैं लेकिन समर्थन पूरा कांग्रेस का ही दिख रहा है. क्योंकि हम जहां रास्ते ये देखते हैं तो कांग्रेस के कार्यकर्ता ही ज्यादा उनका प्रचार करते दिखते हैं.

वर्धा में रोचक मुकाबले के आसार

ज्यादातर लोगों को लगता है कि वर्धा में मुकाबला बहुत रोमांचक होगा, लेकिन कुछ लोगों का कहना है कि मोदी सरकार ने यहां बहुत विकास कराया है और इसका फायदा बीजेपी को चुनावों में जरूर मिलेगा.एक अन्य स्थानीय का कहना है कि राष्ट्रवादी और भाजपा के बीच में सीधी लड़ाई है अगर कांग्रेस का पंजा नहीं है तो यहां पर लड़ाई थोड़ी सी आसान हो गई है बीजेपी के लिए मगर यहां पर अभी कास्ट फैक्टर ऊपर लोगों का ज्यादा दिख रहा है. अगर कास्ट फैक्टर है भी तो मोदी जी को देखते हुए उनको वोटिंग ज्यादा करेंगे ऐसा मेरा विश्वास है.

संतरा किसान परेशान

उधर, यही रहने वाले स्थानीय के मुताबिक, एक तरफ विकास दिख रहा है एक तरफ निष्क्रियता है. कांग्रेस में या राष्ट्रवादी में कोई भी नेता अभी मौजूद नहीं है कि जो ये बागडोर संभाल सके. भाजपा की देखी जाए तो उन्होंने तीन तलाक और सब विकास का काम किया है, सब तरफ रोड बन रहे हैं. वैसे तो वर्धा देश में संतरे की खेती के लिए मशहूर है, लेकिन संतरा किसानों का कहना है कि केंद्र सरकार की नीतियों से किसानों को कोई खास फायदा नहीं हुआ.

उत्पादन को नहीं मिलता उचित दाम

एक किसान का कहना है कि वर्धा मतदाता क्षेत्र में संतरा की फसल बहुत बड़े पैमाने पर ली जाती है वो संतरा उत्पादकों को कोई सुविधा इस सरकार ने उपलब्ध नहीं कराई. संतरा के ऊपर प्रक्रिया करने वाला कोई प्रकल्प यहां पर तैयार नहीं हुआ. इस कारण से हमारे उत्पादन को उचित दाम नहीं मिलता है. हम हर साल जो कृषि कर्ज लेते हैं उसके ऊपर 12 टका ब्याज लिया जाता है वो ब्जाज की रकम सरकार हमको वापस देने वाली थी. लेकिन वो दर साल हमको मिलती ही नहीं है, वो दो-तीन साल नहीं मिलती. वर्धा में आम तौर पर चुनाव शांति से हो जाते हैं लेकिन फिर भी जिला प्रशासन की शांत और निष्पक्ष चुनाव कराने की पूरी तैयारी है.

होगा मतदान 26 अप्रैल को

उधर, राहुल कार्डिले (डीएम, वर्धा) के मुताबिक, हमारे लिए सबसे जरूरी जो चीज है कि जो उम्मीदवार हैं और जो वोटर्स हैं उनको वोटिंग में कोई दिक्कत ना हो इसलिए एक तो जो वोटिंग सेंटर्स हैं वहां पर पूरी तरह से सुविधा दे रहे हैं हम लोग जिसे एश्योर्ड मिनिमम फैसिलिटी बोलते हैं हम लोग जिसमें शेड हैं, पीने के पानी की सुविधा है, साइनेज है, व्हीलचेयर या रैंप है, पोलिंग बूथ पर पर्याप्त लाइट है, तो सभी व्यवस्थाएं हमने पूरी की हैं. बता दें कि महाराष्ट्र की 48 सीटों के लिए चुनाव 5 चरणों में होंगे, वर्धा में दूसरे चरण में 26 अप्रैल को वोट डाले जाने हैं.

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