Cyber Fraud: दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार को एक साइबर धोखाधड़ी गिरोह का भंडाफोड़ किया है. गिरोह ने बुजुर्ग (82) को डिजिटली गिरफ्तार कर लिया था.
Cyber Fraud: दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार को एक साइबर धोखाधड़ी गिरोह का भंडाफोड़ किया है. गिरोह ने बुजुर्ग (82) को डिजिटली गिरफ्तार कर लिया था. पीड़ित को डर दिखाकर गिरोह ने 1.16 करोड़ रुपये की वसूली की. इस संबंध में दिल्ली पुलिस ने गिरोह के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया है. आरोपियों ने वीडियो कॉल के दौरान पुलिस अधिकारियों का रूप धारण करके पीड़ित को फर्जी गिरफ्तारी आदेश दिखाया और उसे डराया-धमकाया. पुलिस अधिकारी ने बताया कि लगातार मानसिक दबाव और कानूनी कार्रवाई की धमकी देकर बुजुर्ग को जबरन 1.16 करोड़ रुपये ट्रांसफर करने के लिए मजबूर किया गया. जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि धोखाधड़ी की गई राशि का एक बड़ा हिस्सा लगभग 1.10 करोड़ रुपये हिमाचल प्रदेश स्थित एक गैर सरकारी संगठन के चालू खाते में जमा किया गया था. हालांकि, यह खाता बिहार के पटना के धोखेबाजों द्वारा संचालित किया जा रहा था. पुलिस ने बताया कि राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) पर इसी बैंक खाते के खिलाफ 32 शिकायतें दर्ज की गई हैं, जिनमें लगभग 24 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी शामिल है.
साथियों में बंटती थी रकम
जांच के बाद हिमाचल प्रदेश और बिहार में कई जगहों पर छापेमारी की गई, जिसके परिणामस्वरूप तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया. गिरफ्तार आरोपियों की पहचान बिहार के नालंदा जिले के प्रभाकर कुमार (27), बिहार के वैशाली जिले के रूपेश कुमार सिंह (37) और हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के देव राज (46) के रूप में हुई है. पुलिस ने बताया कि प्रभाकर कुमार ने सह आरोपी देव राज के मोबाइल फोन में एक APK फाइल इंस्टॉल की थी, जिससे फर्जी बैंक खातों से जुड़े सिम कार्ड सक्रिय हो गए थे. आरोप है कि प्रभाकर इंटरनेट आधारित वर्चुअल नंबरों के माध्यम से साइबर जालसाजों के साथ लगातार संपर्क में रहा. वह नकद कमीशन प्राप्त करता था और अपने साथियों में रकम बांटता था. इस काम के लिए एक बड़ा हिस्सा कमाता था. आरोप है कि रूपेश कुमार सिंह को डाक के माध्यम से बैंक खाता किट प्राप्त हुई और उसने पटना में सह-आरोपियों की बैठकों का इंतजाम किया.
अन्य आरोपियों को पकड़ने के लिए जगह-जगह दबिश
पुलिस ने बताया कि रूपेश ने एक होटल से धोखाधड़ी वाले लेन-देन को भी अंजाम देने में मदद की. खाताधारक और धोखेबाजों के बीच मुख्य मध्यस्थ की भूमिका निभाई और मोटी रकम कमीशन के रूप में प्राप्त की. हिमाचल प्रदेश में एक गैर सरकारी संगठन चलाने वाले देव राज ने अपने पिता वेद प्रकाश की मिलीभगत से गैर सरकारी संगठन के नाम पर एक चालू खाता खोला. पुलिस ने बताया कि देवराज ने यह खाता बिहार के रूपेश कुमार को सौंप दिया. देव राज ने इंटरनेट बैंकिंग क्रेडेंशियल और ओटीपी साझा किए. आरोपी ने लेन-देन के लिए पटना की यात्रा की और धोखाधड़ी से प्राप्त रकम में से कमीशन लिया. पुलिस ने बताया कि आरोपियों ने कानून प्रवर्तन एजेंसियों का रूप धारण किया. पीड़ित को डिजिटल गिरफ्तारी में रखा. आरोपियों ने धोखाधड़ी से प्राप्त धन को गैर सरकारी संगठन और व्यक्तिगत बैंक खातों के माध्यम से स्थानांतरित किया. पुलिस ने बताया कि धन का मनी लॉन्ड्रिंग किया गया. कहा कि गिरोह के अन्य सदस्यों की पहचान करने और अपराध की अतिरिक्त आय का पता लगाने के लिए पुलिस जगह-जगह दबिश दे रही है.
ये भी पढ़ेंः 5 Star होटलों में बैठक, आलीशान सेटअप , डॉलर और यूरो में लेता था पैसा, जाल में ऐसे फंसा मास्टरमाइंड
