Introduction
13 December, 2025
Dhurandha Controversy: बॉलीवुड में स्पाई फिल्में दशकों से बनती आई हैं. ये फिल्में देशभक्ति, फॉरेन लोकेशन, हाई-ऑक्टेन एक्शन और हैंडसम एजेंटों से भरी होती है. हालांकि, ‘धुरंधर’ देखकर लगता है कि ये कहानी और इसके किरदार किसी दूसरी दुनिया से हैं. रणवीर सिंह और अक्षय खन्ना की ये फिल्म न सिर्फ स्पाय जॉनर का फेस बदलती है, बल्कि लोगों को असली कहानी भी बताती है. ‘धुरंधर’ की कहानी धीरे-धीरे, लेकिन गहराई से असर करने वाली फिल्म है. खास बात ये है कि आदित्य धर की ये फिल्म किसी तरह की जल्दी में नहीं है. खैर, रणवीर सिंह की इस फिल्म को भारत में जितना दिल खोलकर पसंद किया जा रहा है, इसे पाकिस्तान से उतनी ही नरफत मिल रही है. इसके पीछे कई कारण हैं, लेकिन सबसे बड़ी वजह है लियारी, जिसकी कहानी धुरंधर की कहानी से बहुत ज्यादा पुरानी है, थ्रिलिंग है.

लियारी की अनकही दास्तान
लियारी पाकिस्तान के कराची शहर का एक इलाका है, जिसका नाम सुनते ही ज्यादातर लोगों के दिमाग में दो चीजें आती हैं- पुराने दौर की गैंगवॉर और डर. लेकिन ये जगह सिर्फ वॉयलेंस की कहानी नहीं है, बल्कि एक ऐसा मोहल्ला है जिसने सदियों से लोगों को पनाह दी, संस्कृतियों को संजोया और आखिरकार खुद को फिर से बदलने की हिम्मत दिखाई. आदित्य धर की स्पाई थ्रिलर ‘धुरंधर’ ने इस इलाके पर लोगों की नज़रें दोबारा टिका दीं. फिल्म ने 2000 के दशक के लियारी को अपना कैनवस बनाया और यहां की सड़कों, गलियों, पॉलिटिक्स और गैंगवार को पर्दे पर उतारा. ये वही जगह है जिसे ‘कराची की मां’ कहा जाता है. क्योंकि ये इस शहर के बनने से भी पहले बस चुकी थी. तो आखिर कैसे एक छोटा-सा डॉक वर्कर मोहल्ला धीरे-धीरे इतने गैंगों का अड्डा बन गया? और कैसे आज वही लियारी धीरे-धीरे अपनी इमेज बदल रही है?

कैसे और किसने बसाया?
वैसे, फिल्म में इतनी डिटेल नहीं दिखाई हैं, लेकिन लियारी का इतिहास 1700 के दशक में शुरू होता है. अरब सागर के किनारे बसा मछुआरों का एक छोटा सा गांव था. नाव, जाल और बिजनेस, यही इस जगह की जिंदगी थी. फिर आए ब्रिटिश जिन्होंने 1850 के आसपास कराची के पोर्ट को मॉर्डन बनाया और बिजनेस बढ़ने लगा. मजदूरों, मछुआरों, डॉक वर्करों की जरूरत बढ़ी और लोग दूर-दूर से यहीं आकर बसने लगे. उस टाइम मकरानी और ईरानी बलोच यहां आकर बसे, कच्छी कम्यूनिटी, कुछ अफ्रीकी लोग, पंजाबी, सिंधी और बाद में पठान कम्यूनिटी के लोग भी यहां आकर बसे. इतना ही नहीं बंटवारे के बाद मुहाजिर, यानी भारत से गए लोग भी यहां बस गए. धीरे-धीरे ये इलाका इतना भीड़भाड़ वाला हो गया कि सड़कें छोटी पड़ने लगीं, घर सिमटने लगे और फेसिलिटी नाम की चीज नहीं बची. इसके बाद भी लियारी ने सबको अपनाया. मगर 1947 के बाद पाकिस्तान की पहली राजधानी बनी कराची. कहने को तो लियारी पुराना और मजबूत इलाका था, लेकिन यहां रिसोर्सेस बहुत कम थे. दूसरी तरफ सरकार भी इस इलाके पर ध्यान देने के मूड में नहीं थी. नतीजा ये हुआ कि यहां की पॉपुलेशन और गरीबी, दोनों बढ़ती गई.

गैंगों का दौर
इस बीच लियारी में दो गैंग बने. ये गैंग बड़े लेवल पर हिंसा नहीं करते थे, लेकिन इन्होंने इलाके में ड्रग्स लाने का काम शुरू कर दिया और यहीं से लियारी का एक काला चैप्टर शुरू हो गया. फिर 1970 में राजनीति में मोड़ आया और लियारी PPP का गढ़ बन गया. जब जुल्फिकार अली भुट्टो यहां चुनाव प्रचार के लिए आए, तो लोगों को लगा कि आखिरकार कोई नेता तो उनकी बात सुन रहा है. बेनज़ीर भुट्टो ने तो अपना वलीमा भी यहां के काकरी ग्राउंड में किया था. फिर 1979 में अफगान युद्ध हुआ जिससे नया खतरा बढ़ने लगा. इस वॉर के बाद पाकिस्तान में शरणार्थियों की बाढ़ सी आ गई. बड़ी संख्या में पठान कराची में आए, उनमें से कई तो अच्छे हथियारबाज थे. यानी उनके साथ हथियार आए, ड्रग्स की तस्करी बढ़ी, नए गैंग बने,पुराने गैंग मजबूत हुए और लियारी धीरे-धीरे कराची का वाइल्ड वेस्ट बन गया. फिर 80 और 90 के दशक में ये गैंग पॉलिटिक्स का हिस्सा बन गए. इससे गैंगों की ताकत बढ़ने लगी. इसी गैंग कल्चर ने उस माहौल को जन्म दिया जिस पर ‘धुरंधर’ की कहानी रची गई है. 2000 के दशक में लियारी कराची का सबसे खतरनाक इलाका बन गया. तब यहां रोज गोलीबारी, किडनैपिंग, ड्रग्स, गैंगवार, सब आम बात थी. ये वो दौर था जब 10 सालों में कराची में 3200 से ज्यादा लोग गैंग वार में मारे गए थे.

सफाई अभियान
फिर धीरे-धीरे लियारी पर इंटरनेशनल दबाव बढ़ने लगा. PPP को रहमान डकैत की पीपुल्स अमन कमेटी से दूरी बनानी पड़ी. रहमान डकैत की कहानी आप रणवीर सिंह की ‘धुरंधर’ में देख सकते हैं. अक्षय खन्ना ने उनका रोल बहुत ही गजब तरीके से किया है. खैर, दबाव बढ़ने के बाद सरकार ने लियारी में रेंजर्स भेजे और 1 हजार से ज्यादा गैंगस्टर्स गिरफ्तार किए. सरकार ने 10 साल तक इस इलाके को धीरे-धीरे साफ किया. फिर साल 2018 में यहां PPP भी हार गई और PTI जीत गई. वैसे लियारी सिर्फ गैंगवार की कहानी नहीं है, ये वो मोहल्ला भी है, जहां से ओलंपिक बॉक्सर हुसैन शाह, फुटबॉलर उमर बलोच और गुलाम अब्बास… स्कॉलर वजा खैर मोहम्मद नदवी, बॉडीबिल्डर सिकंदर बलोच और आज के सोशल मीडिया स्टार कैफ़ी खलील भी आए हैं.

एक नई शुरुआत
धीरे-धीरे लियारी में खून खराबा कम हुआ तो, यहां के बच्चों ने स्कूल भी जाना शुरू किया. यानी वहां के लोग अब स्कूलों, स्पोर्ट क्लब, बॉक्सिंग, जिम और थिएटर ग्रुप्स बना रहे हैं. वहां के रैप और हिप-हॉप की एक नई लहर ये दिखाती है कि लियारी की नई पीढ़ी अपनी आवाज खुद उठाना चाहती है. अब ‘धुरंधर’ में दिखाई गई लियारी कितनी सच्ची है, ये भी जान लेते हैं. दरअसल, फिल्म की सिनेमैटोग्राफी और आर्ट डायरेक्शन ने लियारी के माहौल को काफी हद तक पकड़ लिया. हल्की-सी छूट दिखाई देती है, लेकिन गली-मोहल्लों का इमोशन फिल्म में बिल्कुल सही उतारा गया. ‘धुरंधर’ ने 5 दिसंबर को रिलीज़ होते ही पाकिस्तान में एक अलग ही तरह की बहस शुरू कर दी है. वैसे, इस बार मुद्दा भारत वर्सेस पाकिस्तान का नहीं, बल्कि पाकिस्तान वर्सेस पाकिस्तान का है. कई पाकिस्तानी फिल्म की तारीफ कर रहे हैं और साथ ही अपने ही देश की कमी पर अफसोस जता रहे हैं. पाकिस्तानियों का कहना है कि कहानी हमारी है, लेकिन बता कोई और रहा है. वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि फिल्म इतिहास को तोड़-मरोड़कर भारतीय राष्ट्रवाद को बढ़ावा दे रही है. बलोच ऑडियन्स के बीच भी फिल्म को लेकर बहस छिड़ी हुई है.

शुरू हुई कंट्रोवर्सी
पाकिस्ता के लोगों का कहना है कि, ये एक लोकल लड़ाई थी, इंडिया इसमें कहाँ से आया? कराची के जर्नलिस्ट और लियारी पर रिसर्च करने वाले एबाद अहमद का कहना है कि, असली गैंगवार PPP और MQM जैसी लोकल पार्टियों और गैंग्स के बीच थी. भारत का इससे कोई लेना-देना नहीं था. इसके अलावा फिल्म में लियारी की कहानी को 26/11 मुंबई हमले से जोड़ने की वजह से सबसे ज्यादा कंट्रोवर्सी हो रही है. दूसरी तरफ अक्षय खन्ना का वायरल ‘बलोच लुक’ बलोच के कुछ लोगों को पसंद आया तो कई को खटक गया. फिर फिल्म में PPP नेता नबील गाबोल जैसे दिखने वाले कैरेक्टर और बेनज़ीर भुट्टो की फोटो का इस्तेमाल करने पर भी विवाद हुआ. वैसे पाकिस्तान को ये भी आग लग रही है, कि उनके पास इतना अच्छा सब्जेक्ट था, लेकिन वो बेचारे कुछ कर नहीं पाए.

बॉक्स ऑफिस पर कब्जा
वैसे बात करें आदित्य धर की फिल्म ‘धुरंधर’ के बारे में तो, इसकी जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है. फिल्म में हर किसी ने अपना काम बखूबी किया है. रणवीर सिंह ने ‘हमजा’ और अक्षय खन्ना ने ‘रहमान डकैत’ बनकर ऐसा भौकाल काटा है, कि पब्लिक दीवानी हो चुकी है. इन दोनों धुरंधरों के अलावा इस स्पाई-थ्रिलर फिल्म में आर माधवन, अर्जुन रामपाल और हमारे प्यारे ‘बाबा’ यानी संजय दत्त भी दमदार रोल में हैं. आर माधवन भले ही कुछ ही देर के लिए स्क्रीन पर दिखते हैं, लेकिन जब-जब पर आते हैं, कमाल कर देते हैं. वहीं, अर्जुन रामपाल ने भी माफिया बनकर मन मोहने में कसर नहीं छोड़ी. फिर संजू बाबा की बात करें तो, उन्होंने राकेश बेदी के साथ मिलकर विलन को ही धो डाला. इन सबके अलावा फिल्म में रणवीर सिंह की लव इंटरेस्ट बनीं सारा अर्जुन ने भी अपना काम बहुत खूबसूरती से किया. सिर्फ 20 साल की उम्र में सारा ने ऐसी इंटेंस एक्टिंग की है, कि यंग एक्ट्रेसेस को उनसे डर लगने लगा. साथ में अक्षय खन्ना की पत्नी के रोल में सौम्या टंडन ने भी अपने काम से लोगों का खूब ध्यान खींचा है. कुल मिलाकर हर एक्टर अपने-अपने किरदार में इतनी खूबसूरती से फिट बैठा है कि, मानों ये रोल उन्हीं के लिए लिखे गए हों. अंत में फिल्म के बैकग्राउंड म्यूज़िक की तारीफ तो बनती है. ‘धुरंधर’ का कोई भी गाना धोपा हुआ नहीं लगता. हर ट्रेक, सिचुएशन में फिट लगा. खासतौर से मेकर ने जिस तरह से पुराने क्लासिक गानों को फिल्म के बैकग्राउंड में इस्तेमाल किया है, वो वाकई में काबिले तारीफ है. इतनी सारी खूबियों वाली ‘धुरंधर’ बॉक्स ऑफिस पर लगभग 300 करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर चुकी है. अब फैंस को ‘धुरंधर’ के पार्ट 2 का इंतज़ार है, जो 19 मार्च, 2026 को दुनियाभर के सिनेमाघरों में रिलीज़ होने वाला है.
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