Home राज्यDelhi बाप, बेटे और दामाद का अजब खेलः बनाया सिंडिकेट और 25 से अधिक महंगे वाहनों पर कर दिया हाथ साफ

बाप, बेटे और दामाद का अजब खेलः बनाया सिंडिकेट और 25 से अधिक महंगे वाहनों पर कर दिया हाथ साफ

by Sanjay Kumar Srivastava
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car theft

गिरोह मुख्य रूप से मारुति ब्रेज़ा, स्विफ्ट डिजायर, हुंडई क्रेटा और टोयोटा फॉर्च्यूनर मॉडल को निशाना बनाता था, जिनमें से अधिकांश आवासीय कॉलोनियों में जिम और पार्कों के पास खड़े किए गए थे.

New Delhi: दिल्ली में पुलिस ने ऑटोमोबाइल चोर गिरोह का भंडाफोड़ किया है. गिरोह में सभी परिवार के ही सदस्य थे.सदस्यों ने हाल के महीनों में दिल्ली के द्वारका इलाके से दो दर्जन से अधिक वाहन चुराए थे. रमन (56), उसके बेटे सागर (31) और उसके दामाद नीरज (29) ने पिछले कई महीनों में दिल्ली और पड़ोसी राज्यों से दो दर्जन से अधिक महंगी कारें चुराईं. तीनों ने एक सिंडिकेट बनाया, जिसमें केवल परिवार के सदस्य शामिल थे.

कॉलोनियों में खड़े वाहनों को बनाता था निशाना

पुलिस उपायुक्त (द्वारका) अंकित सिंह ने बताया कि गिरोह महंगे वाहनों को चुराने में माहिर था. गिरोह मुख्य रूप से मारुति ब्रेज़ा, स्विफ्ट डिजायर, हुंडई क्रेटा और टोयोटा फॉर्च्यूनर मॉडल को निशाना बनाता था, जिनमें से अधिकांश आवासीय कॉलोनियों में जिम और पार्कों के पास पार्क किए गए थे. पुलिस को 28 मई को मिली एक गुप्त सूचना के आधार पर टीम ने उत्तम नगर में एक चोरी की गाड़ी को रोका और कार में सवार रमन और सागर को गिरफ्तार कर लिया.

वाहन चोरी के उपकरण बरामद

इंजन और चेसिस नंबर की जांच करने पर पता चला कि कार केशव पुरम इलाके से चोरी की गई थी. वाहन के अंदर पुलिस ने वाहन चोरी में इस्तेमाल होने वाले कई प्रकार के उपकरण और गैजेट बरामद किए. जिनमें कार स्कैनर, कुंजी कनेक्टर, एक ईसीएम डिवाइस, लॉक-ब्रेकिंग टूल, वायर कटर, प्लायर्स, डुप्लीकेट चाबियां और नंबर प्लेट थे. उन्होंने कहा कि आरोपियों ने एक बड़े ऑटो-लिफ्टिंग रैकेट का हिस्सा होने की बात कबूल की, जिसमें रमन का दामाद नीरज भी शामिल था. जिसे उनके खुलासे के आधार पर गिरफ्तार किया गया था.

मेरठ में बेच देते थे कार

तीनों से पूछताछ के बाद पुलिस ने दो और चोरी की कारें बरामद कीं. पुलिस ने खुलासा किया कि गिरोह ने पिछले 10 महीनों में करीब 25 वाहनों की चोरी की थी. पुलिस ने खुलासा किया कि गिरोह अक्सर एक चोरी की कार का इस्तेमाल दूसरे वाहन का पता लगाने और चोरी करने के लिए करते थे ताकि पता न चले और पुलिस ट्रैकिंग को भ्रमित किया जा सके. चोरी के बाद गिरोह के सदस्य वाहनों को उत्तर प्रदेश के मेरठ में बेच देते थे.

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