सुप्रीम कोर्ट ने कानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर प्रारंभिक जवाब दाखिल करने के लिए केंद्र को एक सप्ताह का समय दिया था और मामले को 5 मई के लिए पोस्ट कर दिया था.
New Delhi: सर्वोच्च न्यायालय सोमवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगा. इससे कुछ सप्ताह पहले सरकार ने शीर्ष अदालत के जांच संबंधी सवालों के मद्देनजर इस विवादास्पद कानून के दो मुख्य पहलुओं पर रोक लगा दी थी. केंद्र ने 17 अप्रैल को शीर्ष अदालत को आश्वासन दिया था कि वह पांच मई तक उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ सहित वक्फ संपत्तियों को गैर अधिसूचित नहीं करेगा.
केंद्र ने अंतरिम आदेश पारित करने के शीर्ष अदालत के प्रस्ताव का किया था विरोध
केंद्र ने केंद्रीय वक्फ परिषद और बोर्डों में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने की अनुमति देने वाले प्रावधान पर रोक लगाने के अलावा उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ सहित वक्फ संपत्तियों को गैर-अधिसूचित करने के खिलाफ अंतरिम आदेश पारित करने के शीर्ष अदालत के प्रस्ताव का भी कड़ा विरोध किया था. शीर्ष अदालत ने मेहता की दलीलों पर ध्यान दिया और कहा था कि उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ सहित वक्फ संपत्तियां, जो पहले से पंजीकृत हैं या अधिसूचना के माध्यम से घोषित हैं, को अगली सुनवाई की तारीख तक परेशान नहीं किया जाएगा और उन्हें गैर-अधिसूचित नहीं किया जाएगा. इसके बाद कोर्ट ने मामले को 5 मई के लिए पोस्ट कर दिया था. अब सुप्रीम कोर्ट की तीन न्यायाधीशों की पीठ सोमवार को पांच याचिकाओं के बैच पर सुनवाई करेगी. केंद्र की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि पारित कानून पर सरकार का पक्ष सुने बिना रोक नहीं लगाई जानी चाहिए.
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वक्फ सहित वक्फ संपत्तियों का पंजीकरण 1923 से अनिवार्य
याचिकाओं के इस समूह में AIMIM प्रमुख और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी द्वारा दायर की गई याचिका भी शामिल है. 25 अप्रैल को अपने हलफनामे में केंद्र ने संशोधित अधिनियम का बचाव किया और संसद द्वारा पारित संवैधानिकता के अनुमान वाले कानून पर अदालत द्वारा किसी भी पूर्ण रोक का विरोध किया. उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ संपत्तियों के प्रावधान को उचित ठहराते हुए इसने कहा कि किसी भी हस्तक्षेप से न्यायिक आदेश द्वारा विधायी व्यवस्था बनेगी. अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने कहा कि उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ सहित वक्फ संपत्तियों का पंजीकरण 1923 से अनिवार्य है.
सरकार ने कहा कि वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 आस्था और पूजा के मामलों को “अछूता” छोड़कर मुसलमानों की आवश्यक धार्मिक प्रथाओं का सम्मान करता है. इसने कानून के 2013 के संशोधन के बाद वक्फ भूमि में 20 लाख एकड़ की वृद्धि का दावा किया था और निजी और सरकारी संपत्तियों पर अतिक्रमण करने के लिए वक्फ प्रावधानों के दुरुपयोग को चिह्नित किया था.केंद्र ने शीर्ष अदालत से वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ दलीलों को खारिज करने का आग्रह किया.
2013 के संशोधन के बाद औकाफ क्षेत्र में 116 प्रतिशत की वृद्धि
कहा कि 2013 के संशोधन के बाद औकाफ क्षेत्र में 116 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी. भारत में 18,29,163.896 एकड़ भूमि है. हलफनामे में दावा किया गया है कि ये आंकड़े संबंधित वक्फ और वक्फ बोर्डों द्वारा स्वेच्छा से वक्फ प्रबंधन प्रणाली के पोर्टल पर अपलोड किए गए थे. वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 को पिछले महीने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 5 अप्रैल को मंजूरी दे दी थी. डीएमके, वाईएसआरसीपी, एआईएमआईएम, वामपंथी दल, एनजीओ जैसे नागरिक समाज समूह, मुस्लिम निकाय और अन्य कई राजनीतिक दलों ने अधिनियम की वैधता को चुनौती देते हुए सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया है.
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