Home National ‘हमें चाहिए साझेदार, उपदेशक नहीं’, पहलगाम हमले पर EU के बयान से भड़के एस जयशंकर

‘हमें चाहिए साझेदार, उपदेशक नहीं’, पहलगाम हमले पर EU के बयान से भड़के एस जयशंकर

by Rishi
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S Jaishankar Slams EU: जयशंकर ने यूरोप को आड़े हाथों लेते हुए कहा, “जब हम दुनिया को देखते हैं, तो हम भागीदारों की तलाश करते हैं, न कि उपदेशकों की.

S Jaishankar Slams EU: विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने वैश्विक मंच पर भारत के भू-राजनीतिक रुख को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे यूरोपीय देशों पर करारा प्रहार किया. आर्कटिक सर्कल इंडिया फोरम 2025 में बोलते हुए उन्होंने कहा कि भारत साझेदारों की तलाश में है, न कि उन उपदेशकों की, जो विदेश में उपदेश तो देते हैं, लेकिन अपने देश में उन सिद्धांतों का पालन नहीं करते.

‘यूरोप रियलिटी चेक जोन में’

जयशंकर ने यूरोप को आड़े हाथों लेते हुए कहा, “जब हम दुनिया को देखते हैं, तो हम भागीदारों की तलाश करते हैं, न कि उपदेशकों की. खासकर ऐसे उपदेशकों की, जो विदेश में उपदेश देते हैं, लेकिन अपने देश में उसका पालन नहीं करते. मुझे लगता है कि यूरोप का कुछ हिस्सा अभी भी इस समस्या से जूझ रहा है.” उन्होंने यह भी कहा कि यूरोप अब ‘रियलिटी चेक जोन’ में प्रवेश कर चुका है, लेकिन यह देखना होगा कि वे इस दिशा में कितना आगे बढ़ पाते हैं.

उन्होंने भारत की अपेक्षाओं को स्पष्ट करते हुए कहा, “अगर हमें साझेदारी विकसित करनी है, तो पारस्परिक समझ, संवेदनशीलता और हितों में समानता होनी चाहिए. यह समझना जरूरी है कि दुनिया कैसे काम करती है. यूरोप के अलग-अलग हिस्सों में यह प्रगति अलग-अलग स्तर पर है. कुछ देश आगे बढ़े हैं, कुछ अभी पीछे हैं.”

पहलगाम हमले पर EU के बयान से भड़के जयशंकर

यह बयान पहलगाम आतंकी हमले (22 अप्रैल, 2025) के बाद यूरोपीय संघ (EU) की प्रतिक्रिया के संदर्भ में आया, जिसमें 26 नागरिकों, मुख्य रूप से पर्यटकों की मौत हुई थी. भारत ने इस हमले को पाकिस्तान समर्थित बताया, लेकिन EU और पश्चिमी देशों ने भारत को बातचीत के जरिए समाधान की सलाह दी. जयशंकर ने इसे उपदेशात्मक रवैया करार देते हुए कहा कि भारत को सहयोगियों की जरूरत है, न कि ज्ञान देने वालों की.

पहले भी यूरोप को दी थी नसीहत

यह पहली बार नहीं है जब जयशंकर ने यूरोप को आइना दिखाया. इससे पहले, रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान जब पश्चिमी देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगाए थे, तब भारत ने रूस से तेल आयात जारी रखा. इस पर पश्चिमी चिंताओं के जवाब में जयशंकर ने कहा, “यूरोप को अपनी ऊर्जा जरूरतों को प्राथमिकता देनी चाहिए और फिर भारत से कुछ और करने को कहना चाहिए.” उन्होंने यह भी कहा कि यूरोप को इस मानसिकता से बाहर निकलना होगा कि उनकी समस्याएं विश्व की समस्याएं हैं, लेकिन विश्व की समस्याएं उनकी समस्याएं नहीं हैं.

भारत की वैश्विक स्थिति मजबूत

जयशंकर ने जोर देकर कहा कि भारत अब वैश्विक मंच पर इतना महत्वपूर्ण हो चुका है कि दुनिया की हर बड़ी घटना उस पर असर डालती है. उन्होंने यूरोप से अपेक्षा की कि वह बहु-ध्रुवीय विश्व व्यवस्था को स्वीकार करे और भारत के साथ साझेदारी में संवेदनशीलता दिखाए.

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