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कांग्रेस का भाजपा पर हमला: 2014 से कमजोर हुआ RTI कानून, मोदी सरकार में पारदर्शिता और लोकतंत्र प्रभावित

by Sanjay Kumar Srivastava
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RTI Act: मनमोहन सिंह सरकार के कार्यकाल में लागू किया गया सूचना का अधिकार अधिनियम 2014 में भाजपा के केंद्र में सत्ता में आने के बाद से लगातार कमजोर हुआ है.

RTI Act: कांग्रेस ने मोदी सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है. कांग्रेस ने कहा कि भाजपा शासन में RTI कानून कमजोर हुआ है. गुजरात कांग्रेस ने रविवार को कहा कि मनमोहन सिंह सरकार के कार्यकाल में लागू किया गया सूचना का अधिकार अधिनियम 2014 में भाजपा के केंद्र में सत्ता में आने के बाद से लगातार कमजोर हुआ है, जिससे पारदर्शिता और देश का लोकतांत्रिक ताना-बाना प्रभावित हुआ है. आरटीआई अधिनियम की 20वीं वर्षगांठ पर जारी एक बयान में गुजरात कांग्रेस अध्यक्ष अमित चावड़ा ने कहा कि कानून का मुख्य उद्देश्य नागरिकों को सार्वजनिक प्राधिकरणों के पास उपलब्ध सूचनाओं तक पहुंच प्रदान करके उन्हें सशक्त बनाना है. सूचना का अधिकार अधिनियम 12 अक्टूबर, 2005 को पूरी तरह से लागू हुआ. उन्होंने कहा कि इस अधिनियम ने गरीबों को राशन, पेंशन, वेतन का बकाया और छात्रवृत्ति जैसे अधिकार प्राप्त करने में मदद की थी. कहा कि 2014 से सूचना का अधिकार अधिनियम लगातार कमजोर हुआ है, जिसने देश की पारदर्शिता और लोकतांत्रिक ताने-बाने को प्रभावित किया है. अधिनियम में 2019 के संशोधनों ने सूचना आयोग की स्वतंत्रता को कम कर दिया और कार्यपालिका के प्रभाव को बढ़ा दिया.

संशोधन RTI के मूल उद्देश्य के खिलाफ

चावड़ा ने बताया कि संशोधनों से पहले आयुक्तों का कार्यकाल पांच साल के लिए तय किया गया था और उनकी सेवा की शर्तों को संरक्षित किया गया था. हालांकि, अब केंद्र सरकार को कार्यकाल और सेवा की शर्तें तय करने की शक्ति दी गई है, जिससे इसकी स्वतंत्रता प्रभावित हुई है. इसके अलावा व्यक्तिगत जानकारी के दायरे का विस्तार करने के लिए डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट के माध्यम से आरटीआई अधिनियम की धारा 8 (1) (जे) में संशोधन का मतलब है कि सार्वजनिक हित की जानकारी भी छिपाई जा सकती है, जो आरटीआई के मूल उद्देश्य के खिलाफ है. उन्होंने दावा किया कि यह मतदाता सूचियों, व्यय खातों और सार्वजनिक हित से संबंधित अन्य सूचनाओं को देने से इनकार करने का मार्ग प्रशस्त करता है. सीधे सार्वजनिक निगरानी की प्रक्रिया को प्रभावित करता है, वह प्रक्रिया जिसके माध्यम से सांसद निधि (एमपीलैड फंड) का दुरुपयोग, मनरेगा में झूठे लाभार्थियों का पंजीकरण और संदिग्ध राजनीतिक फंडिंग जैसी अनियमितताएं उजागर हुईं.

गुजरात में मुख्य आयुक्त का पद खाली

कांग्रेस नेता ने कहा कि केंद्रीय सूचना आयोग इस समय अपने सबसे कमज़ोर दौर से गुज़र रहा है. 11 में से सिर्फ़ दो आयुक्त ही कार्यरत हैं, जबकि मुख्य आयुक्त का पद भी खाली है. अकेले केंद्रीय सूचना आयोग में नवंबर 2024 तक लगभग 23,000 मामले लंबित हैं. कई कार्यकर्ताओं की हत्या हो चुकी है और उन्हें धमकियों, उत्पीड़न और हिंसा का सामना करना पड़ रहा है, जिसके कारण लोग अब आरटीआई का इस्तेमाल करने से डर रहे हैं. उन्होंने कहा कि व्हिसलब्लोअर प्रोटेक्शन एक्ट अभी तक लागू नहीं किया गया है. इस क़ानून का उद्देश्य भ्रष्टाचार या अनियमितताओं को उजागर करने वाले लोगों को सुरक्षा प्रदान करना था, लेकिन सरकार के उदासीन रवैये के कारण यह सुरक्षा सिर्फ़ शब्द बनकर रह गई है. चावड़ा ने कहा कि यह विधेयक यूपीए सरकार द्वारा पेश किया गया था और संसद के दोनों सदनों में पारित हुआ था, लेकिन 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद इस क़ानून को लागू नहीं किया गया.

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