Forest Land Occupation: 261.06 एकड़ क्षेत्र में 88 स्थानों पर स्थित 241 निर्माणों को ध्वस्त कर दिया गया है. समिति ने पाया कि कार्रवाई के बावजूद बड़े पैमाने पर उल्लंघन जारी है.
Forest Land Occupation: सुप्रीम कोर्ट द्वारा अधिकृत केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (CEC) ने शीर्ष अदालत को बताया है कि वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 का उल्लंघन करते हुए फरीदाबाद में कई अवैध निर्माण किए गए हैं. समिति ने 29 अगस्त की अपनी अंतरिम रिपोर्ट में कहा कि संबंधित भूमि पंजाब भूमि संरक्षण अधिनियम के तहत अधिसूचित है. यह वन भूमि लक्कड़पुर, अनखीर, अनंगपुर और मेवला महाराजपुर गांवों में फैली हुई है. समिति ने पाया कि 780 एकड़ वन भूमि पर स्कूल, फार्महाउस और सरकारी भवनों सहित लगभग 6,800 अनधिकृत निर्माण हो गए हैं. इसमें कहा गया है कि 1980 के कानून के तहत भूमि में “वन भूमि के सभी गुण” हैं और इसलिए, 25 अक्टूबर, 1980 से केंद्र सरकार की पूर्व स्वीकृति के बिना गैर-वन उद्देश्यों के लिए इसका उपयोग नहीं किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट के 21 जुलाई, 2022 के आदेश पर जिला अधिकारियों द्वारा 261.06 एकड़ क्षेत्र में 88 स्थानों पर स्थित 241 अवैध निर्माणों को ध्वस्त कर दिया गया है. समिति ने कहा कि मैरिज गार्डन, फार्महाउस, बैंक्वेट हॉल आदि निर्माण अवैध रूप से किए गए हैं. समिति ने दर्ज किया कि कार्रवाई के बावजूद बड़े पैमाने पर उल्लंघन जारी है.
तोड़फोड़ अभियान का विरोध
समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि हरियाणा के फरीदाबाद में वन भूमि पर 780.26 एकड़ क्षेत्र में अवैध निर्माण किए गए हैं. ये निर्माण वन (संरक्षण एवं संवर्धन) अधिनियम, 1980 के प्रावधानों का उल्लंघन है. अकेले अनंगपुर में 286 एकड़ में 5,948 संरचनाएं, अनखीर में लगभग 250 एकड़ में 339 संरचनाएं, लक्कड़पुर में लगभग 197 एकड़ में 313 संरचनाएं और मेवला महाराजपुर में लगभग 197 एकड़ में 46 एकड़ में फैले 193 निर्माण को ध्वस्त किया गया. सीईसी ने कहा कि बड़े वाणिज्यिक निर्माणों के ध्वस्त होने से इन क्षेत्रों में मानव गतिविधि में काफी कमी आई है. वन विभाग ने बताया है कि इस परिदृश्य में चित्तीदार हिरणों की उपस्थिति पहली बार दर्ज की गई है. विध्वंस अभियान ने निवासियों में गुस्सा पैदा कर दिया है. सीईसी ने कहा कि ग्रामीणों में काफी नाराजगी देखी गई, जिन्होंने अपने घरों की सुरक्षा के बारे में चिंता व्यक्त की.
8 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
सीईसी ने पाया कि ग्रामीणों को अपने घर खोने का डर है और वे तोड़फोड़ अभियान का विरोध कर रहे हैं. सीईसी ने स्वयं सरकारी विभागों द्वारा किए गए उल्लंघनों की भी ओर इशारा करते हुए कहा कि हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण, हरियाणा पर्यटन, पुलिस विभाग और नगर निगम जैसे कुछ सरकारी भवन वन भूमि पर बनाए गए हैं, जो वन (संरक्षण एवं संवर्धन) अधिनियम, 1980 के प्रावधानों का उल्लंघन है. समिति ने चेतावनी दी कि भविष्य में कोई भी सरकारी विभाग यदि वन क्षेत्रों में कोई नया निर्माण करता है तो संबंधित अधिकारियों पर मुकदमा चलाया जा सकता है. सीईसी ने कहा कि अदालतों से अंतरिम रोक और छोटे गांवों की स्थापनाओं से निपटने की जटिलताओं सहित बाधाएं बनी हुई हैं. इस मामले की सुनवाई 8 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में होनी है.
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