Home Latest News & Updates मुंबई में कबूतरों को दाना डालने पर रोक से जैन समुदाय और मराठी संगठन आमने-सामने, कई हिरासत में

मुंबई में कबूतरों को दाना डालने पर रोक से जैन समुदाय और मराठी संगठन आमने-सामने, कई हिरासत में

by Sanjay Kumar Srivastava
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pigeon house in Mumbai

Mumbai Pigeon House: पुलिस अधिकारी ने बताया कि पुलिस ने प्रदर्शन के दौरान देशमुख को हिरासत में ले लिया और उन्हें अन्य प्रदर्शनकारियों के साथ पुलिस वाहन में बैठा दिया.

Mumbai Pigeon House: मुंबई में कबूतरों को दाना डालने से रोके जाने के समर्थन में बुधवार को मराठी एकीकरण समिति (Marathi Integration Committee) के सैकड़ों कार्यकर्ता प्रदर्शन के लिए दानास्थल पर एकत्रित हुए. इस दौरान पुलिस ने बुधवार को समिति के प्रमुख समेत कई सदस्यों को हिरासत में ले लिया. अधिकारियों ने बताया कि ये लोग कबूतरों को दाना डालने पर प्रतिबंध के समर्थन में मुंबई के दादर इलाके में एक ‘कबूतरखाने’ ( pigeon house) पर प्रदर्शन कर रहे थे. उन्होंने बताया कि मराठी समर्थक संगठन के कार्यकर्ता बुधवार सुबह करीब 11 बजे कबूतरखाने (कबूतर दाना डालने का क्षेत्र) पर एकत्र हुए. प्रदर्शन को देखते हुए भारी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी. पुलिस द्वारा हिरासत में लिए गए लोगों में मराठी एकीकरण समिति के अध्यक्ष गोवर्धन देशमुख भी शामिल थे. पुलिस अधिकारी ने बताया कि संगठन के सदस्यों के प्रदर्शन के दौरान कई लोगों को हिरासत में लिया गया और पुलिस वाहन में बैठाया गया.

विरोध प्रदर्शन में जैन समुदाय नहींः मंत्री

देशमुख ने भारी भीड़ के बीच मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों से बात करने की कोशिश की और 6 अगस्त को कबूतरखाने में विरोध प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. अधिकारी ने बताया कि पुलिस ने इसके बाद देशमुख को हिरासत में ले लिया और उन्हें अन्य प्रदर्शनकारियों के साथ पुलिस वाहन में बैठा दिया. 6 अगस्त को बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों ने दादर कबूतरखाना में बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) द्वारा कबूतरों को दाना खिलाने की प्रथा को हतोत्साहित करने के लिए लगाए गए तिरपाल को हटा दिया और पुलिस के साथ झड़प भी की. महाराष्ट्र के मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा ने कहा कि कबूतर दानास्थल पर हुए विरोध प्रदर्शन में जैन समुदाय की कोई भूमिका नहीं थी. उन्होंने स्पष्ट किया था कि कबूतर दाना डालने के मुद्दे का कोई धार्मिक पहलू नहीं है.

कबूतरखाना को प्लास्टिक शीट से ढका

बीएमसी ने रविवार को फिर से कबूतरखाना को प्लास्टिक शीट से ढक दिया. बुधवार को मराठी एकीकरण समिति के प्रदर्शन में शामिल एक व्यक्ति ने कहा कि वे प्रतिबंध के समर्थन में “शांतिपूर्ण” प्रदर्शन के लिए कबूतरखाना में एकत्र हुए थे. उन्होंने दावा किया कि जैन समुदाय के कुछ सदस्यों ने अदालत के आदेशों की अवहेलना की है. उन्होंने कहा कि समुदाय को शांतिप्रिय माना जाता है, लेकिन कुछ लोग हथियारों के बारे में बोलते हैं, जिसकी उम्मीद भी नहीं की जाती है. एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि हम यहां शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने आए हैं, नियमों का उल्लंघन करने नहीं. 7 अगस्त को बॉम्बे हाईकोर्ट ( Bombay High Court) ने कहा कि उसने शहर में कबूतरखानों को बंद करने का कोई आदेश नहीं दिया है, बल्कि नगर निगम के बंद करने के आदेश पर रोक लगाने से इनकार किया है. विशेषज्ञों की एक समिति इस बात का अध्ययन कर सकती है कि शहर में पुराने कबूतरखानों को जारी रखा जाना चाहिए या नहीं, लेकिन “मानव जीवन सर्वोपरि है”, कोर्ट ने कहा.

सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप से इनकार

अगर कोई चीज़ वरिष्ठ नागरिकों और बच्चों के स्वास्थ्य को प्रभावित करती है, तो उस पर विचार किया जाना चाहिए. अदालत ने कहा था कि इसमें संतुलन होना चाहिए. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को हाईकोर्ट के उस आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया. जिसमें बीएमसी को कबूतरखानों में कबूतरों को दाना डालने वालों पर मामला दर्ज करने का निर्देश दिया गया था. जैन मुनि नीलेशचंद्र विजय ने सोमवार को कबूतरों को दाना डालने के स्थानों को बंद करने के फैसले के खिलाफ 13 अगस्त से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू करने की चेतावनी दी थी. उन्होंने कहा कि अगर अदालत का आदेश उनकी धार्मिक प्रथाओं के खिलाफ जाता है तो समुदाय उसका पालन नहीं करेगा.

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