Anuj Chaudhary Transfer: सीओ अनुज चौधरी होली पर दिए गए एक बयान को लेकर विवादों में आए थे, इसके अलावा वर्षों से बंद पड़े हनुमान मंदिर को खुलवाने के बाद भी उनका नाम चर्चाओं में आया था.
Anuj Chaudhary Transfer: उत्तर प्रदेश के संभल में अपने बयानों को लेकर चर्चाओं में आए सीओ अनुज चौधरी का तबादला कर दिया गया है. सीओ अनुज चौधरी होली पर दिए गए एक बयान को लेकर विवादों में आए थे, इसके अलावा वर्षों से बंद पड़े हनुमान मंदिर को खुलवाने के बाद भी उनका नाम चर्चाओं में आया था. अनुज चौधरी को संभल सर्किल से हटाकर चंदौसी सर्किल का सीओ बनाया गया है. अनुज की जगह आलोक कुमार को संभल में सीओ के रूप में जिम्मेदारी सौंपी गई है.
होली पर दिए गए बयान को लेकर चर्चाओं में रहे थे
गौर करने वाली बात है कि सीओ अनुज चौधरी ने होली से पहले एक शांति समिति की बैठक आयोजित की थी जिसमें पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा था, ‘होली साल में एक बार आती है, लेकिन वहीं जुम्मे की नमाज को साल में 50 बार अदा की जाती है. ऐसे में अगर किसी को होली के गुलाल या रंगों से कोई दिक्कत होती है तो मैं अपील करता हूं कि उसे घर में रहना चाहिए. अगर कोई बाहर निकल रहा है तो उसको खुले दिमाग से काम लेने की जरूरत है. त्यौहार को मिल जुलकर मनाना चाहिए.’
राजनीतिक दलों ने किया था बयान का विरोध
इस बयान को कुछ लोगों ने सांप्रदायिक करार दिया, जिससे समाजवादी पार्टी और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग जैसे संगठनों ने तीखी आलोचना की. सपा सांसद रामगोपाल यादव ने आरोप लगाया कि अनुज चौधरी ने ही संभल में तनाव भड़काया. वहीं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनके बयान का समर्थन किया, इसे पहलवानी अंदाज में कही गई बात बताया. इस बयान पर जांच हुई, जिसमें अनुज चौधरी को क्लीन चिट मिली, लेकिन बाद में पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर की शिकायत पर दोबारा जांच के आदेश दिए गए.
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46 साल से बंद पड़े हनुमान मंदिर को खुलवाया था
इसके अलावा संभल में 46 साल से बंद पड़े हनुमान मंदिर को खुलवाने में सर्किल ऑफिसर अनुज चौधरी की अहम भूमिका रही थी. दिसंबर 2024 में संभल के खग्गू सराय इलाके में स्थानीय लोगों से मिली जानकारी के आधार पर प्रशासन ने एक प्राचीन मंदिर की खोज की, जो 1978 के दंगे के बाद से बंद था. सीओ अनुज चौधरी ने खुद मौके पर पहुंचकर मंदिर के कपाट खुलवाए, मिट्टी हटाने में मदद की और पूजा-अर्चना की शुरुआत करवाई. उनके नेतृत्व में मंदिर की साफ-सफाई की गई और घंटा बजाकर पूजा शुरू की गई, जिससे हिंदुओं को उनका धार्मिक अधिकार वापस मिला. इस घटना ने क्षेत्र में शांति और सौहार्द बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया.
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