Home Latest News & Updates 50% टैरिफ से आगरा का जूता उद्योग संकट में, अमेरिकी बाजार पर निर्भर निर्यातकों के करोड़ों के ऑर्डर अटके

50% टैरिफ से आगरा का जूता उद्योग संकट में, अमेरिकी बाजार पर निर्भर निर्यातकों के करोड़ों के ऑर्डर अटके

by Sanjay Kumar Srivastava
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Tariff Impact: निर्यातकों का कहना है कि कई ऑर्डर पहले ही रोक दिए गए हैं, इस वजह से आगे मिलने वाले ऑर्डर पर खतरा मंडरा रहा है.

Tariff Impact: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का भारत पर लगाया गया 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ 27 अगस्त से लागू हो गया है. इससे अमेरिका का भारतीय निर्यात पर लगाया गया कुल टैरिफ 50 फीसदी हो गया. अमेरिका के इस कदम से आगरा के फुटवियर उद्योग पर बुरा असर पड़ने की आशंका है, क्योंकि कई कारखाने बिक्री के लिए पूरी तरह से अमेरिकी बाजार पर निर्भर हैं. निर्यातकों का कहना है कि कई ऑर्डर पहले ही रोक दिए गए हैं, इस वजह से आगे मिलने वाले ऑर्डर पर खतरा मंडरा रहा है. आगरा के जूता उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि वह पहले से ही मंदी से जूझ रहा था, और अब नए टैरिफ से आगरा में कई जूता कारखानों के अस्तित्व पर ही खतरा मंडरा रहा है. जूता फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूरों को डर है कि इस स्थिति के कारण बड़े पैमाने पर छंटनी हो सकती है, जिससे उनकी आजीविका को खतरा हो सकता है. ट्रंप के टैरिफ का आगरा के जूता उद्योग पर सबसे ज़्यादा असर पड़ने की आशंका है, क्योंकि वैश्विक चमड़ा निर्यात में इसकी हिस्सेदारी 40 प्रतिशत है.

भविष्य के सौदे भी अधर में लटके

अकेले वित्त वर्ष 2024-25 में भारत से अमेरिका को निर्यात किए गए जूतों का कारोबार तकरीबन 50 करोड़ डॉलर का था. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत से आयातित उत्पादों पर लगाया गया 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ 27 अगस्त से प्रभावी हो गया है. इस फैसले से अमेरिकी बाजार में भारतीय निर्यात पर कुल शुल्क दर 50 प्रतिशत तक पहुंच गई है. विशेषज्ञों का कहना है कि इस कदम का सबसे गंभीर असर आगरा के जूता उद्योग पर पड़ने वाला है, क्योंकि यहां का फुटवियर उद्योग बड़े पैमाने पर निर्यात खासकर अमेरिकी बाजार पर निर्भर करता है. आगरा का जूता उद्योग वैश्विक चमड़ा निर्यात में 40 प्रतिशत हिस्सेदारी रखता है और लाखों लोगों की रोज़ी-रोटी इसी पर टिकी है. लेकिन नई टैरिफ नीति ने इस उद्योग की नींव को हिला दिया है. निर्यातकों का कहना है कि कई अमेरिकी कंपनियों ने पहले से दिए गए ऑर्डर को रोक दिया है और भविष्य के सौदे भी अधर में लटक गए हैं. वित्त वर्ष 2024-25 में अकेले अमेरिका को भारत से करीब 50 करोड़ डॉलर मूल्य के जूते निर्यात किए गए थे. ऐसे में टैरिफ का बोझ सीधे भारतीय कंपनियों की प्रतिस्पर्धा क्षमता को प्रभावित करेगा.

खतरे में हजारों परिवारों की आजीविका

फुटवियर एसोसिएशन से जुड़े उद्यमियों का कहना है कि पहले से ही घरेलू स्तर पर मंदी और बढ़ती लागत ने उद्योग को मुश्किल में डाल रखा था. अब अतिरिक्त आयात शुल्क से अमेरिकी बाजार में भारतीय जूतों की कीमतें बढ़ जाएंगी, जिससे खरीदार अन्य देशों की ओर रुख कर सकते हैं. इससे आगरा के छोटे और मध्यम स्तर के कारखानों पर अस्तित्व का संकट खड़ा हो गया है. सबसे बड़ी चिंता मजदूरों की है. अनुमान है कि आगरा के फुटवियर उद्योग से सीधे और परोक्ष रूप से करीब पांच लाख लोग जुड़े हुए हैं. कारखानों में काम करने वाले मजदूरों का कहना है कि ऑर्डर कम होने से उत्पादन घटेगा और बड़े पैमाने पर छंटनी की आशंका है. इससे हजारों परिवारों की आजीविका पर गहरा असर पड़ सकता है. व्यापारिक जगत का मानना है कि भारत सरकार को जल्द ही अमेरिका से बातचीत कर समाधान निकालना चाहिए, अन्यथा आगरा का ऐतिहासिक जूता उद्योग लंबे समय तक संकट से जूझता रहेगा. टैरिफ की यह बढ़ोतरी सिर्फ आर्थिक नुकसान ही नहीं पहुंचाएगी, बल्कि सामाजिक स्तर पर भी असंतुलन पैदा कर सकती है.

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