Home Religious अब तक अधूरा था राम मंदिर? ध्वजारोहण क्यों है इतना खास, जानें मुहूर्त और उसका अर्थ

अब तक अधूरा था राम मंदिर? ध्वजारोहण क्यों है इतना खास, जानें मुहूर्त और उसका अर्थ

by Live Times
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Ram Mandir Dhwajarohan

Ram Mandir Dhwajarohan: ग्रंथों में मंदिर के ऊपर ध्वज लगाने का विशेष महत्व बताया गया है, चलिए जानते हैं कि अयोध्या राम मंदिर का ध्वजारोहण इतना खास क्यों है.

24 November, 2025

Ram Mandir Dhwajarohan: पूरे अयोध्यावासियों को इस समय 25 नवंबर का इंतजार है, जब वे अपने रामलला के मंदिर में ध्वजारोहण होता हुए देखेंगे. विवाह पंचमी के शुभ अवसर पर राम मंदिर में ध्वज फहराया जाएगा. रामलला की स्थापना के बाद भक्तों के लिए यह दिन बेहद खास है, क्योंकि इस दिन राम मंदिर का निर्माण पूरा हो जाएगा. ध्वजारोहण कार्यक्रम में पीएम मोदी और उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ भी मौजूद रहेंगे. ग्रंथों में भी मंदिर के ऊपर ध्वज लगाने का विशेष महत्व बताया गया है, चलिए जानते हैं कि अयोध्या राम मंदिर का ध्वजारोहण इतना खास क्यों है.

ध्वजारोहण का शुभ मुहूर्त

राम मंदिर पर ध्वजारोहण अभिजीत मुहूर्त में किया जाएगा. अभिजीत मुहूर्त 25 नवंबर, 2025 को दोपहर 11:52 से लेकर 12:35 तक तक रहेगा. इस दौरान किए जाने वाले काम सफल माने जाते हैं.

क्या है ध्वजारोहण का महत्व

रामचरितमानस में ध्वजारोहण के बारें में विस्तार से बताया गया है. मंदिर का शिखर पूरे मंदिर का सबसे ऊंचा हिस्सा होता है. यहां दैवीय ऊर्जा सबसे पहले प्रवेश करती है. मंदिर के शिखर पर लगने वाला ध्वज गर्भगृह और ईश्वर के बीच में एक माध्याम की तरह होता है. अगर किसी भी मंदिर का ध्वज पताका उसके शिखर पर लहरा रहा है, तो इसका मललब है कि अब उसका निर्माण पूरा हो चुका है.

क्यों खास है राममंदिर ध्वजारोहण

अयोध्या में राम मंदिर में फहराए जाने वाला यह झंडा 191 फीट की ऊंचाई पर लहराएगा. यह झंडा फहराना न केवल भगवान श्री राम के प्रति श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि अयोध्या की सूर्यवंशी और रघुकुल परंपराओं की भी एक गौरवपूर्ण याद है. राम मंदिर पर फहराया जाने वाला झंडा मौसम-रोधी होगा. यह झंडा 22 फीट लंबा और 11 फीट चौड़ा होगा. इसका वजन लगभग 2.5 किलोग्राम होगा. राम मंदिर के शीर्ष पर फहराए जाने वाले झंडे का रंग केसरिया होगा. हिंदू धर्म में केसरिया रंग को त्याग, तपस्या और ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है. इस झंडे में तीन प्रतीक होंगे- ओम, सूर्य और कोविदार वृक्ष. झंडे पर बना सूर्य भगवान राम की सूर्यवंशी परंपरा का प्रतीक है. वाल्मीकि रामायण में कोविदार वृक्ष का जिक्र है. राम मंदिर के ऊपर फहराए जाने वाले झंडे में एक चक्र भी लगा होगा. राम मंदिर परिसर में सातों मंदिरों के झंडे तिकोने होंगे, जिन पर सिर्फ ‘ॐ’ का निशान होगा और वे मुख्य मंदिर के झंडे से छोटे होंगे. राम मंदिर के ऊपर झंडा फहराने के लिए एक पाइप भी लगाया गया है.

यह भी पढ़ें- बिहार में सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार होगा और तेज, मंदिरों में होंगी सत्यनारायण कथा और भगवती पूजा

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