IND vs SA: दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ दो मैचों की सीरीज में भारत 1-0 से पीछे चल रहा है. वहीं गुवाहाटी में खेले जा रहे हैं दूसरे टेस्ट मैच में टीम इंडिया को जीत के लिए अभी भी 522 रनों की जरूरत है.
IND vs SA: साउथ अफ्रीका के खिलाफ भारतीय टीम के प्रदर्शन को देखते हुए कई तरह के सवाल खड़े किए जा रहे हैं. पहले टेस्ट में हार के बाद टीम इंडिया गुवाहाटी में जूझती हुई नजर आ रही है और अब क्लीन स्वीम का डर सताने लग गया है. खराब प्रदर्शन को देखते हुए पूर्व क्रिकेटर श्रीवत्स गोस्वामी (Shrivatsa Goswami) ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि मौजूदा टीम इंडिया में वह जीत की भूख और मानसिकता नहीं दिख रही है जो कभी विराट कोहली (Virat Kohli) की कप्तानी में दिखाई देती थी. गोस्वामी ने कहा कि किंग कोहली को वनडे छोड़कर टेस्ट क्रिकेट में अपना खेल जारी रखना था. टेस्ट क्रिकेट अब उन्हें बहुत मिस कर रहा है.
जीत की भूख नहीं दिखती टीम इंडिया में
श्रीवत्स गोस्वामी ने कहा कि मौजूदा समय में टीम में विराट कोहली जैसी जीत की भूख और मानसिकता नहीं दिखाई दे रही है. विराट कोहली ने टीम में वह विश्वास दिलाया था कि भारतीय टीम किसी भी देश में जीत दर्ज कर सकती है. उनका स्पष्ट कहना है कि वर्तमान में टीम में एटिट्यूड, फायर और आत्मविश्वास नहीं दिख रहा है, जो कभी कोहली रहता था. आपको बताते चलें कि भारत घरेलू मैदान पर इस तरह का प्रदर्शन नहीं देखता है. वहीं, साल 2024 में न्यूजीलैंड के खिलाफ 0-3 की व्हाइटवॉश हार के बाद वेस्टइंडीज के खिलाफ शुभमन गिल की कप्तानी में 2-0 से जीत दर्ज की. लेकिन यह लय एक बार फिर टूट चुकी है, क्योंकि साउथ अफ्रीका के खिलाफ दो मैचों की सीरीज में क्लीव स्वीप की दहलीज पर भारतीय टीम खड़ी है.
टीम इंडिया जीत के लिए अभी भी 522 रनों से पीछे
गुवाहाटी में खेले जा रहे दूसरे टेस्ट मैच में भारत पहली पारी में 201 रन पर ढेर हो गया, जबकि दक्षिण अफ्रीका ने पहली पारी में 489 रनों की बड़ा स्कोर खड़ा कर दिया. वहीं, दूसरी पारी में 5 विकेट के नुकसान पर बोर्ड पर 260 रन लगा दिए. अब टीम इंडिया को 549 रनों का लक्ष्य मिला है और इसका पीछा करते हुए टीम इंडिया का स्कोर दो विकेट के नुकसान पर 27 रन है. अभी भी जीत के लिए 522 रन चाहिए. बता दें कि विराट कोहली की कप्तानी में भारत ने टेस्ट क्रिकेट में बड़ा बदलाव देखा था. टीम इंडिया 68 मैचों में से 40 टेस्ट भारतीय धरती पर जीत दर्ज की थी और दो मैचों में हार का सामना करना पड़ा था. उस दौरान भारतीय टीम की पहचान फिटनेस, तेज गेंदबाजी और जीत के लिए खेलना के रूप में बन गई थी. कोहली की कप्तानी में भारत सिर्फ मैच खेलने के लिए मैदान पर नहीं उतरता था बल्कि जीत के इरादे से उतरता था.
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