Maharashtra Municipal Corporation Elections : हाल ही में स्थानीय चुनाव में महायुति की भव्य जीत के बाद MVA को अस्तित्व खतरा होने लगा है. इसी बीच विपक्षी गठबंधन ने नगर निगम चुनाव की तैयारियों करना शुरू दी है.
Maharashtra Municipal Corporation Elections : महाराष्ट्र में हुए स्थानीय चुनावों में BJP के नेतृत्व वाले महायुति से हारने के बाद विपक्षी महा विकास आघाड़ी (MVA)को बड़ा झटका लगा है. लेकिन अब MVA ने हार को भूलने के बाद आगामी मुंबई समेत 29 नगर निगमों चुनाव को लेकर तैयारियां शुरू कर दी है और चुनाव में कड़ी टक्कर देने का फैसला किया है. नगर निगम चुनावों को मिनी विधानसभा चुनाव कहा जाता है. हालांकि, ग्रामीण चुनाव अक्सर स्थानीय समीकरणों से प्रभावित होते हैं, लेकिन वे राजनीतिक पार्टियों की जमीनी ताकत का संकेत देते हैं. वहीं, जानकारों का कहना है कि स्थानीय निकाय चुनाव में महायुति का कमाल का प्रदर्शन रहा और MVA की मशीनरी उनका सामना करने में पूरी तरह विफल रही.
स्थानीय चुनाव में महायुति का दबदबा
288 नगर परिषदों और नगर पंचायतों के इस महीने दो चरणों में हुए चुनाव में महायुति ने नगर परिषद अध्यक्षों के 207 पद जीते. BJP ने नगर परिषद अध्यक्षों के करीब 117 पदों पर बाजी मारी. उसके बाद सहयोगी दल एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना को 53 पद और अजीत पवार की नेतृत्व वाली NCP को 37 पद मिले. दूसरी तरफ MVA की बात करें तो उसको सिर्फ 44 पदों पर संतुष्ट होना पड़ा. इस दौरान कांग्रेस, (शरदचंद्र पवार) और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (UBT) को 28, 7 और 9 सीटों पर जीत दर्ज की. इस प्रदर्शन को ध्यान में रखते हुए ये कहा जा सकता है कि MVA ने विधानसभा चुनाव 2024 का प्रदर्शन को दोहराने का काम किया है. अब आगामी 29 नगर निगम चुनाव में MVA के लिए बड़ी चुनौती है या कहिये की अस्तित्व का सवाल बन गया है.
मुंबई में मची उथल-पुथल
संकट से जूझ रही उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (UBT) के लिए मुख्य चुनौती BJP और शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के बीच में है. क्योंकि दोनों के लिए मुंबई के किले को बचाकर रखना है. इसी बीच शिवसेना (UBT) के नेता संजय राउत ने संकेत दिया कि मुंबई के लिए शिवसेना (UBT) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के बीच लंबे समय से प्रतीक्षित गठबंधन की घोषणा 24 दिसंबर को हो सकती है. वहीं, बीजेपी नेता अमित साटम का कहना है कि इन दोनों चचेरे भाई के साथ में आने के बाद भी चुनाव के नतीजों में कोई भी असर देखने को नहीं मिलेगा. वहीं, नगर निगम चुनाव से पहले मुंबई में उथल पुथल मची हुई है क्योंकि कांग्रेस पहले ही शहर में अकेले चुनाव लड़ने का एलान कर चुकी है. इसी बीच MVA के बीच में मुंबई के अंदर तालमेल बैठाना मुश्किल होता दिख रहा है और कयास लगाए जा रहे हैं कि इसका फायदा सत्तारूढ़ महायुति उठा सकती है.
तीन स्तरों पर करना पड़ा चुनौतियों का सामना
इसके अलावा कांग्रेस विदर्भ के चंद्रपुर, और मराठवाड़ा क्षेत्रों में स्थानीय निकाय चुनावों में मिली जीत की खुशी मना रही है और पार्टी ने दावा किया कि हमने 41 नगर परिषद अध्यक्ष पद और 1 हजार से ज्यादा पार्षद पदों पर जीत दर्ज की है. वहीं, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने कहा कि पार्टी का प्रदर्शन प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद लचीलापन दिखाता है और कहा कि कांग्रेस अब जमीनी स्तर पर एक प्रमुख विपक्षी ताकत के रूप में उभर रही है. एक वरिष्ठ कांग्रेस पदाधिकारी ने कहा कि नतीजे बताते हैं कि कांग्रेस ने अपने क्षेत्रीय सहयोगियों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन करके दिखाया है और अब राज्य में बीजेपी के मुख्य चैलेंजर हैं. हालांकि, विशेषज्ञों ने बताया कि कांग्रेस को महाराष्ट्र में तीन स्तरों पर गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ा रहा है, जिसमें मुख्य रूप से कई इलाकों में मजबूत लोकल लीडरशिप की कमी, जमीनी स्तर पर गठबंधन सहयोगियों के साथ कमजोर तालमेल और एक अलग राजनीतिक कहानी बताने में मुश्किल.
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