समाजवादी पार्टी की ब्रजेश पाठक पर की गई टिप्पणी का मामला हर गुजरते दिन के साथ तूल पकड़ता जा रहा है. बीजेपी नेताओं को सपा की टिप्पणी नागवार गुजरी है.
SP Vs BJP: उत्तर प्रदेश में बढ़ती गर्मी के बीच अब सियासी पारा भी अपने चरम पर पहुंच चुका है जिसकी तस्दीक सपा और बीजेपी के बीच गरमाया हालिया मामला करता है. इस मामले की शुरुआत हुई समाजवादी पार्टी के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर किए एक पोस्ट से. सपा के इस पोस्ट में सूबे के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया गया. ब्रजेश पाठक पर सपा की ये टिप्पणी भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को नागवार गुजरी और उन्होंने सिलसिलेवार कई पोस्टों के जरिए समाजवादी पार्टी को घेरना शुरू कर दिया. आरोप-प्रत्यारोप की ये लड़ाई अब कानून के दरवाजे तक पहुंच चुकी है. भारतीय जनता पार्टी के तमाम नेता एक स्वर में समाजवादी पार्टी को घेरने में जुटे हैं.
केशव प्रसाद मौर्य ने क्या कहा?
यूपी के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक पर समाजवादी पार्टी की टिप्पणी के बाद बीजेपी नेता भड़के हुए हैं. इस कड़ी में महानगर अध्यक्ष के पद पर बैठे आनंद द्विवेदी ने लखनऊ के हजरतगंज थाने में इस टिप्पणी के विरोध में FIR दर्ज कराई है. आनंद द्विवेदी ने तत्काल इस मामले पर एक्शन लेने की भी बात कही है. केशव प्रसाद मौर्य ने एक्स पोस्ट के जरिए समाजवादी पार्टी पर निशाना साधा. केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, ”परिवारवादी समाजवाद’ अब पूरी तरह से ‘लठैतवाद’ में बदल चुका है.’
क्या बोले ब्रजेश पाठक?
रविवार, 18 मई 2025 को एक्स पर ब्रजेश पाठक ने लिखा, “सपा मीडिया सेल के साथी आलोचना करने के दौरान जिन शब्दों का प्रयोग करते हैं, उसे पढ़ कर लगता ही नहीं कि यह पार्टी राममनोहर लोहिया और जनेश्वर मिश्र की पार्टी रह गई है. जार्ज साहब की बात तथाकथित “समाजवादी ” भूल गए कि शिविर लगाया करो, पढ़ा – लिखा करो. अखिलेशजी ! सपाइयों को लोहिया- जेपी पढ़ाइए और पंडित जनेश्वर जी के भाषण सुनवाइए , ताकि इनके आचरण और उच्चारण में समाजवाद झलके. लोहिया की किताबें आप पर न हो तो मैं उपलब्ध करवा सकता हूं ……हे महान लोहिया, जनेश्वरजी ! इन नादानों को क्षमा करें, इन्हें कुछ पढ़ाया – लिखाया , सिखाया व समझाया नहीं गया. ये नहीं जानते कि समाजवाद क्या है ? इन्होंने समाजवाद को गाली गलौज, उदंडई और स्तरहीन टिप्पणियों की प्रयोगशाला बना दिया है. जब विपक्ष में रहते हुए इनका ये रूप है तो सत्ता में होते हुए इन्होंने क्या किया होगा, सहज अंदाज़ा लगाया जा सकता है. हैरानी ये भी कि उदंडता, अश्लीलता और अराजकता की संस्कृति के ये शिशुपाल अपने बचाव में योगेश्वर कृष्ण का नाम लेने का दुस्साहस भी कर लेते हैं. हे योगेश्वर कृष्ण, इन शिशुपालों का ऐसे ही उपचार करते रहना जैसे यूपी की जनता पिछले दस सालों से करती आ रही है। यही इनकी नियति होगी.”
क्या बोले अखिलेश यादव?
समााजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने एक्स पर पोस्ट किया, “हमने उप्र के उप मुख्यमंत्री जी की टिप्पणी का संज्ञान लेते हुए, पार्टी स्तर पर उन लोगों को समझाने की बात कही है जो समाजवादियों के डीएनए पर दी गई आपकी ‘अति अशोभनीय टिप्पणी’ से आहत होकर अपना आपा खो बैठे. आइंदा ऐसा न हो, हमने उनसे तो ये आश्वासन ले लिया है लेकिन आपसे भी यही आशा है कि आप जिस तरह की बयानबाजी निंरतर करते आये हैं उस पर भी विराम लगेगा. आप जिस स्तर के बयान देते हैं वो भले आपको अपने व्यक्तिगत स्तर पर उचित लगते हों लेकिन आपके पद की मर्यादा और शालीनता के पैमाने पर किसी भी तरह उचित नहीं ठहाराये जा सकते हैं. एक स्वास्थ्य मंत्री के रूप में आपसे ये अपेक्षा तो है ही कि आप ये समझते होंगे कि किसी के व्यक्तिगत ‘डीएनए’ पर भद्दी बात करना दरअसल किसी व्यक्ति नहीं वरन युगों-युगों तक पीछे जाकर उसके मूलवंश और मूल उद्गम पर आरोप लगाना है. जैसा कि सब जानते हैं कि हम यदुवंशी हैं और यदुवंश का संबंध भगवान श्रीकृष्ण से है अतः ऐसे में आपके द्वारा हमारे डीएनए पर किया गया प्रहार धार्मिक रूप से भी हमें आहत करता है. हम जानते हैं कि आपका धर्म-प्रधान व्यक्तिक्त ऐसा नहीं है कि वो भगवान श्रीकृष्ण के प्रति ऐसी दुर्भावनापूर्ण टिप्पणी कर सकता है परंतु एक सामान्य भोला व्यक्ति जो भगवान श्रीकृष्ण ही नहीं बल्कि किसी भी भगवान में विश्वास करता है वो आपकी टिप्पणी को अन्यथा भी ले सकता है. ऐसे में आपसे आग्रह है कि राजनीति करते-करते न अपनी नैतिकता भूलिए और न ही धर्म जैसी संवेदनशील भावना को जाने-अंजाने में ठेस पहुंचाइए.”
संवाददाता- राजीव ओझा (लखनऊ)
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