Home राष्ट्रीय 18 हजार फुट पर उड़ाया चीता! यूं ही नहीं मैं गुंजन सक्सेना बन जाती हूं, ऑपरेशन सिंदूर के बीच फिर सुर्खियों में ‘द कारगिल गर्ल’

18 हजार फुट पर उड़ाया चीता! यूं ही नहीं मैं गुंजन सक्सेना बन जाती हूं, ऑपरेशन सिंदूर के बीच फिर सुर्खियों में ‘द कारगिल गर्ल’

by Live Times
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ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद एक बार फिर लोगों के जहन में 'द कारगिल गर्ल' गुंजन सक्सेना की यादें ताजा हो गई हैं.

ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद एक बार फिर लोगों के जहन में ‘द कारगिल गर्ल’ गुंजन सक्सेना की यादें ताजा हो गई हैं.

Gunjan Saxena Inspiring Story: ऑपरेशन सिंदूर पर हर भारतवासी गर्व महसूस कर रहा है. ऑपरेशन सिंदूर के बाद यूं तो भारतीय सेना के जज्बे को पूरा देश सलाम कर रहा है लेकिन इस बीच एक नाम सुर्खियों में है जो गुंजन सक्सेना का है. देशभर में गुंजन सक्सेना को याद किया जा रहा है जिन्होंने कारगिल युद्ध के दौरान अपनी बहादुरी का परिचय दिया था. गुंजन सक्सेना कई खतरनाक मिशनों को अंजाम दिया और कई मौकों पर घायल सैनिकों का सफलतापूर्वक रेस्क्यू किया. गुंजन सक्सेना की कहानी आज भारतीय सैनिकों के लिए बड़ी प्रेरणा बन गई है.

कहां हुआ जन्म?

गुंजन सक्सेना का जन्म 1975 में लखनऊ में ऐसे परिवार में जो हुआ जो सैन्य सेवा में था. उन्होंने अपने पिता लेफ्टिनेंट कर्नल (सेवानिवृत्त) अशोक कुमार सक्सेना और भाई अंशुमान सक्सेना को वर्दी में देश की सेवा करते हुए देखा. पिता और भाई के बाद ही गुंजन के मन में भी सैन्य सेवा का भाव जागा. छोटी सी उम्र में ही गुंजन उड़ान भरने का सपना देखने लगीं.

कहां से की पढ़ाई?

गुंजन सक्सेना कारगिल युद्ध में लड़ने वाली पहली महिला IAF अधिकारी हैं जिन्होंने दिल्ली के हंसराज कॉलेज से साइंस में ग्रेजुएशन कंप्लीट की. साइंस के प्रति गुंजन सक्सेना की काफी रुचि थी और इसके बाद उन्होंने दिल्ली फ्लाइंग क्लब में एविएशन की ट्रेनिंग ली. गुंजन ने सर्विस सेलेक्श बोर्ड का एग्जाम पास किया और उसके बाद 1994 में वो महिला अधिकारियों के बैच में शामिल हो गईं जहां उन्हें भारतीय वायु सेना में सर्विस का मौका मिला.

कारगिल युद्ध में मिली पहचान

पुरुषों के वर्चस्व वाले पेशे में भी गुंजन सक्सेना मजबूती से डटी रहीं और कॉकपिट में अपनी जगह बना ली. 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान गुंजन की तैनाती जम्मू-कश्मीर के उधमपुर में हुई और उन्होंने ऑपरेशन विजय और ऑपरेशन सफेद सागर को अंजाम दिया. दुश्मनों के कब्जे वाले युद्ध क्षेत्रों में 18 हजार फीट की ऊंचाई पर गुंजन सक्सेना ने चीता हेलीकॉप्टर उड़ाया और घायलों की मदद की. महज 25 साल की उम्र में दुश्मन के खतरे के बीच उन्होंने कई साहसिक मिशनों को अंजाम दिया. साहसिक मिशन को अंजाम देने के बाद ही गुंजन सक्सेना को “कारगिल गर्ल” के नाम से पुकारा गया. गुंजन सक्सेना के कभी न हार मानने वाले जज्बे पर एक मूवी भी बनी है जिसका नाम ‘गुंजन सक्सेना- द कारगिल गर्ल’ है. गुंजन सक्सेना के साहस की कहानी कई युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है और आने वाली कई सदियों तक उनके हौसले को याद रखा जाएगा.

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