Easter Sunday Attacks : श्रीलंका में आज से करीब पांच साल पहले एक आत्मघाती हमला किया गया. इस हमले को लेकर सरकार और एजेंसियों को चेतावनी भी दी गई थी लेकिन इसके बाद भी सतर्कता नहीं बरती गई.
Easter Sunday Attacks : साल 2019 में ईस्टर बम विस्फोट (Easter Sunday Attacks) मामले में श्रीलंकाई सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पीड़ितों को मुआवजा दे दिया गया है. श्रीलंका के अटॉर्नी जनरल ने कोर्ट को बताया है कि क्षतिपूर्ति के रूप में कार्यालय ने करीब 99 फीसदी से अधिक 310 मिलियन रुपये पीड़ितों के बीच बांट दिया गया है. बता दें कि श्रीलंकाई सुप्रीम कोर्ट उन मौलिक अधिकारों से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था जिसमें लोगों से वसूले गए मुआवजे के वितरण का निरीक्षण करने के लिए दायर की गई थी.
मुआवजा देने का किया एलान
ईस्टर बम विस्फोट में करीब 270 लोग की मौत हो गई थी और 500 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे. इसके बाद साल 2023 में सर्वोच्च न्यायालय ने तत्कालीन राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना और राज्य खुफिया सेवा निदेशक नीलांथा जयवर्धने समेत कई पूर्व सरकारी अधिकारियों को पूर्व खुफिया एजेंसी को कई चेतावनियां देने के बाद हमलों को रोकने में विफल रहने के लिए पीड़ितों को मुआवजा देने का आदेश दिया गया था. वहीं, सिरिसेना ने आत्मघाती बम विस्फोटक की जांच के लिए एक कमेटी भी नियुक्त की थी और इस रिपोर्ट में बताया गया कि अग्रिम खुफिया रिपोर्टों की उपेक्षा करने का दोषी पाया गया.

क्या है विस्फोटक को पूरा मामला?
दरअसल, मामला यह है कि 21 अप्रैल, 2019 ईस्टर संडे के दौरान तीन चर्च और तीन होटल को निशाना बनाया गया. इन छह जगहों में बम विस्फोट किया गया जिसकी वजह से म 45 विदेशी नागरिकों सहित 267 लोगों की मौत हो गई थी. श्रीलंका के इतिहास में यह सबसे भयानक हमलों में से एक था और इस देश-दुनिया को हिलाकर रख दिया था. इसके अलावा इस घटना में करीब 500 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे. बता दें कि बम विस्फोट में ज्यादातर ईसाई समुदाय को निशाना बनाया गया था. वहीं, तत्कालीन राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना और तत्कालीन प्रधानमंत्री रानिल विक्रमासिंघे को जमकर आलोचना का शिकार होना पड़ा. उस समय केंद्रीय सरकार पर अक्षमता का आरोप लगाया गया. इसके साथ ही यह भी आरोप लगा कि सरकार और खुफियां एजेंसियों के पास विस्फोट हमले की जानकारी थी लेकिन उन्होंने हमला रोकने की कोशिश नहीं की. इसके बाद मैत्रीपाला सिरिसेना विस्फोट की जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया और कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में तत्कालीन राष्ट्रपति को ही हमलों का जिम्मेदार ठहराया.
यह भी पढ़ें- वाशिंगटन में फायरिंग, इजरायली दूतावास के 2 कर्मचारियों की हत्या; लगे ‘फ्री फिलिस्तीन’ के नारे
