Home Top News बुधवार को 25 करोड़ से ज्यादा कर्मचारी करेंगे हड़ताल, कई सेवाओं समेत कारोबार होगा प्रभावित

बुधवार को 25 करोड़ से ज्यादा कर्मचारी करेंगे हड़ताल, कई सेवाओं समेत कारोबार होगा प्रभावित

by Vikas Kumar
0 comment
Over 25 crore workers are set to go on strike on Wednesday

25 करोड़ से अधिक कर्मचारी बुधवार को राष्ट्रव्यापी हड़ताल करने वाले हैं. अनुमान लगाया जा रहा है कि राष्ट्रव्यापी हड़ताल की वजह का असर कई सेवाओं पर पड़ेगा.

Nationwide Strike: बुधवार को 25 करोड़ से अधिक कर्मचारी राष्ट्रव्यापी हड़ताल पर जाने वाले हैं, जिससे सार्वजनिक सेवाएं प्रभावित होने की आशंका जताई जा रही है. न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, बैंकिंग, बीमा, डाक से लेकर कोयला खनन, राजमार्ग और निर्माण क्षेत्र में कार्यरत 25 करोड़ से अधिक कर्मचारी बुधवार को राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल पर जाने वाले हैं, जिससे देशभर में कई सेवाएं बाधित हो सकती हैं.10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और उनके सहयोगियों के एक मंच ने “सरकार की मजदूर विरोधी, किसान विरोधी और राष्ट्र विरोधी कॉर्पोरेट समर्थक नीतियों का विरोध करने” के लिए आम हड़ताल या ‘भारत बंद’ का आह्वान किया है. एक बयान में, मंच ने “राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल को एक बड़ी सफलता” बनाने का आह्वान किया है, और कहा है कि औपचारिक और अनौपचारिक/असंगठित अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में यूनियनों द्वारा तैयारी पूरी कर ली गई है.

ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस ने क्या कहा?

ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस की अमरजीत कौर ने कहा, “हड़ताल में 25 करोड़ से अधिक कर्मचारियों के भाग लेने की उम्मीद है. देश भर में किसान और ग्रामीण कर्मचारी भी विरोध प्रदर्शन में शामिल होंगे.” हिंद मजदूर सभा के हरभजन सिंह सिद्धू ने कहा कि हड़ताल के कारण बैंकिंग, डाक, कोयला खनन, कारखाने, राज्य परिवहन सेवाएं प्रभावित होंगी. मजदूर संघ मंच ने अपने ताजा बयान में कहा कि मंच ने पिछले साल श्रम मंत्री मनसुख मंडाविया को 17 सूत्री मांगों का एक चार्टर सौंपा था.

इसमें आगे कहा गया कि सरकार पिछले 10 वर्षों से वार्षिक श्रम सम्मेलन आयोजित नहीं कर रही है और श्रम बल के हितों के विपरीत निर्णय ले रही है, सामूहिक सौदेबाजी को कमजोर करने, यूनियनों की गतिविधियों को पंगु बनाने और ‘व्यापार करने में आसानी’ के नाम पर नियोक्ताओं को लाभ पहुंचाने के लिए चार श्रम संहिताओं को लागू करने का प्रयास कर रही है. मंच ने यह भी आरोप लगाया कि आर्थिक नीतियों के कारण बेरोजगारी बढ़ रही है, आवश्यक वस्तुओं की कीमतें बढ़ रही हैं, मजदूरी में गिरावट आ रही है, शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी नागरिक सुविधाओं में सामाजिक क्षेत्र के खर्च में कटौती हो रही है और ये सभी चीजें गरीबों, निम्न आय वर्ग के लोगों के साथ-साथ मध्यम वर्ग के लिए और अधिक असमानता और दुख पैदा कर रही हैं.

केंद्र सरकार पर भी लगाए बड़े आरोप

मंच ने कहा कि केंद्र सरकार ने देश के कल्याणकारी राज्य के दर्जे को त्याग दिया है और विदेशी तथा भारतीय कॉरपोरेट के हित में काम कर रही है, और यह उसकी नीतियों से स्पष्ट है, जिसे सख्ती से अपनाया जा रहा है. इसने कहा कि ट्रेड यूनियनें “सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों और सार्वजनिक सेवाओं के निजीकरण, आउटसोर्सिंग, ठेकेदारी और कार्यबल के आकस्मिकीकरण की नीतियों” के खिलाफ लड़ रही हैं. बयान में कहा गया है कि संसद द्वारा पारित चार श्रम संहिताओं का उद्देश्य ट्रेड यूनियन आंदोलन को दबाना और उसे कमजोर करना, काम के घंटे बढ़ाना, सामूहिक सौदेबाजी के लिए श्रमिकों के अधिकार को छीनना, हड़ताल करने का अधिकार और नियोक्ताओं द्वारा श्रम कानूनों के उल्लंघन को अपराध से मुक्त करना है.

ये भी पढ़ें- भारत में अपने तांबा उत्पादन को और बढ़ाएगा हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड, चिली की कोडेल्को कंपनी से समझौता

You may also like

LT logo

Feature Posts

Newsletter

@2025 Live Time. All Rights Reserved.

Are you sure want to unlock this post?
Unlock left : 0
Are you sure want to cancel subscription?