राष्ट्रीय महामारी विज्ञान संस्थान (NIE) के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक और अध्ययन के प्रमुख अन्वेषक डॉ. शरण मुरली ने कहा कि सोडियम का कम सेवन रक्तचाप को कम करने और समग्र हृदय स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद करता है.
New Delhi: भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के राष्ट्रीय महामारी विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों ने चौंकाने वाला निष्कर्ष निकाला है. वैज्ञानिकों के अनुसार, अत्यधिक नमक का सेवन भारत में एक मूक महामारी को बढ़ावा दे रहा है, जिससे लोगों में उच्च रक्तचाप, स्ट्रोक, हृदय रोग और गुर्दे की गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है. वैज्ञानिकों ने इस समस्या के समाधान के लिए समुदाय-आधारित नमक कम करने संबंधी अध्ययन शुरू किया है. वैज्ञानिक कम सोडियम वाले नमक के विकल्पों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 5 ग्राम से कम नमक की सिफारिश करता है, लेकिन अध्ययनों से पता चलता है कि शहरी भारतीय प्रतिदिन लगभग 9.2 ग्राम नमक का सेवन करते हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में भी यह लगभग 5.6 ग्राम/दिन है. दोनों ही अनुशंसित मात्रा से अधिक है.
पंजाब और तेलंगाना में हस्तक्षेप परियोजना शुरू
वैज्ञानिकों ने कहा कि इस प्रयास में एक उम्मीद सोडियम वाले नमक के विकल्प हैं – ऐसे मिश्रण जिनमें सोडियम क्लोराइड के एक हिस्से को पोटेशियम या मैग्नीशियम लवण से बदल दिया जाता है.राष्ट्रीय महामारी विज्ञान संस्थान (NIE) के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक और अध्ययन के प्रमुख अन्वेषक डॉ. शरण मुरली ने कहा कि सोडियम का कम सेवन रक्तचाप को कम करने और समग्र हृदय स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद करता है. खासकर उच्च रक्तचाप वाले लोगों के लिए. डॉ. मुरली ने कहा कि सिर्फ़ कम सोडियम वाले नमक पर स्विच करने से रक्तचाप औसतन 7/4 mmHg तक कम हो सकता है – यह एक छोटा सा बदलाव है जिसका बड़ा असर होता है. NIE ने पंजाब और तेलंगाना में तीन साल की एक हस्तक्षेप परियोजना शुरू की है, जिसे भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) का समर्थन प्राप्त है.
कम सोडियम नमक की उपलब्धता पर सर्वे
NIE के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. गणेश कुमार ने कहा कि इसका लक्ष्य स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों (HWC) में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा दिए जाने वाले संरचित नमक कम करने के परामर्श की प्रभावशीलता का मूल्यांकन करना है, जिससे उच्च रक्तचाप से ग्रस्त व्यक्तियों में रक्तचाप और सोडियम का सेवन कम हो सके. डॉ. कुमार ने कहा कि हम इस परियोजना के पहले वर्ष में हैं, जिसका ध्यान आधारभूत आकलन और क्षेत्रीय तैयारियों पर है. NIE ने कम सोडियम नमक (एलएसएस) की उपलब्धता और मूल्य निर्धारण का आकलन करने के लिए चेन्नई में 300 खुदरा दुकानों पर एक बाजार सर्वेक्षण किया. यह 52 प्रतिशत सुपरमार्केट में देखा गया, लेकिन छोटी किराना दुकानों में यह मात्र 4 प्रतिशत था. एलएसएस की कीमत औसतन 5.6 रुपये प्रति 100 ग्राम थी, जो सामान्य आयोडीन युक्त नमक (2.7 रुपये प्रति 100 ग्राम) की कीमत से दोगुनी से भी अधिक थी.
जागरूकता के लिए ट्विटर और लिंक्डइन पर अभियान
डॉ. मुरली ने कहा कि ये निष्कर्ष आपूर्ति-मांग के बीच गंभीर अंतर को उजागर करते हैं. डॉ. मुरली ने कहा कि कम सोडियम वाले नमक की कम मांग इसकी कम उपलब्धता का कारण हो सकती है. नमक कम करने के बारे में सार्वजनिक चर्चा को बढ़ावा देने के लिए एनआईई ने हाल ही में आईसीएमआर-एनआईई के माध्यम से ट्विटर और लिंक्डइन पर #PinchForAChange अभियान भी शुरू किया है. इस अभियान का उद्देश्य छिपे हुए नमक स्रोतों के बारे में जागरूकता बढ़ाना, कम सोडियम वाले विकल्पों को बढ़ावा देना और व्यक्तियों को हृदय-स्वस्थ विकल्प चुनने के लिए सशक्त बनाना है. यदि यह परियोजना सफल रही, तो यह मौजूदा सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली में स्थायी आहार परामर्श मॉडल के एकीकरण का मार्ग प्रशस्त कर सकती है. उच्च रक्तचाप से संबंधित बीमारियों के बोझ को कम कर सकती है. डॉ.मुरली ने कहा कि साथ मिलकर एक-एक चुटकी भर, हम स्थायी बदलाव ला सकते हैं.
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