पीड़िता दिल्ली के बुराड़ी निवासी 29 वर्षीय महिला नौकरी की तलाश में थी, तभी उसे एक ऐसा प्रस्ताव मिला जिसमें साधारण ऑनलाइन असाइनमेंट पूरा करने पर उच्च रिटर्न का वादा किया गया था.
New Delhi: दिल्ली पुलिस ने एक साइबर अपराध गिरोह का भंडाफोड़ किया है. गिरोह ने एक बेरोजगार महिला को मैसेजिंग ऐप पर फर्जी वर्क फ्रॉम होम स्कीम में फंसाकर 17 लाख रुपए से अधिक की ठगी की. एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. एक 19 वर्षीय स्कूल ड्रॉपआउट सहित पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है. वे पैसे प्राप्त करने के लिए म्यूल खातों का इस्तेमाल कर रहे थे, जिसे बाद में USDT क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग करके लूटा गया. पुलिस उपायुक्त (उत्तर) राजा बंठिया ने एक बयान में कहा कि पीड़िता दिल्ली के बुराड़ी में रहने वाली 29 वर्षीय महिला नौकरी की तलाश में थी, तभी उसे एक ऐसा प्रस्ताव मिला जिसमें साधारण ऑनलाइन असाइनमेंट पूरा करने पर उच्च रिटर्न का वादा किया गया था. शुरुआत में उसे कार्य पूरा करने के लिए छोटे कमीशन मिले, लेकिन जल्द ही वह उच्च-स्तरीय प्रोत्साहन पाने के बहाने बार-बार यूपीआई भुगतान करने के जाल में फंस गई.
पुलिस ने कई स्थानों पर मारे छापे
पीड़िता ने धोखेबाजों के चंगुल में फंसकर से उनके विभिन्न खातों में 17.29 लाख रुपए ट्रांसफर कर दिए. डीसीपी ने कहा कि उसकी समस्या तब और बढ़ गई जब आरोपियों ने कथित तौर पर उसके मोबाइल नंबर और पहचान संबंधी जानकारी का इस्तेमाल कर पीड़िता के दो बैंकों से 8.8 लाख रुपए का लोन भी अवैध रूप से ले लिया. एक प्राथमिकी दर्ज की गई और पुलिस टीम ने बैंक लेनदेन, निगरानी डेटा और डिजिटल साक्ष्यों का विश्लेषण किया. पुलिस ने कहा कि उन्होंने पाया कि धोखाधड़ी से प्राप्त धन को क्रिप्टोकरेंसी में परिवर्तित करने से पहले कई बैंक खातों, जिन्हें म्यूल खाते कहा जाता है, के माध्यम से भेजा गया था. डीसीपी ने कहा कि प्राप्त सुरागों के आधार पर शहर भर में कई स्थानों पर एक साथ छापे मारे गए, जिसके परिणामस्वरूप इस ऑपरेशन में शामिल पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया. पूछताछ के दौरान यह पाया गया कि गिरोह सोशल मीडिया हैंडलर्स, म्यूल अकाउंट संचालकों और एक अपंजीकृत क्रिप्टो ब्रोकर को शामिल करते हुए एक सुव्यवस्थित सिंडिकेट संचालित करता था.
अंतरराष्ट्रीय नंबरों का करते थे इस्तेमाल
आरोपी एन्क्रिप्टेड संचार उपकरणों का इस्तेमाल करते थे. अक्सर पहचान से बचने के लिए अंतरराष्ट्रीय नंबरों का इस्तेमाल करते थे. आरोपी का प्रोफाइल साझा करते हुए पुलिस ने कहा कि अशोक विहार निवासी कृष (19) की पहचान धोखाधड़ी के पैसे के प्रवाह को प्रबंधित करने वाले केंद्रीय संचालक के रूप में हुई है. स्कूल छोड़ने वाला कृष, जो पहले बाइक टैक्सी चालक के रूप में काम करता था, ने कथित तौर पर अपने सहयोगियों के माध्यम से क्रिप्टोकरेंसी लॉन्ड्रिंग की तकनीक सीखी और जल्दी ही खुद को म्यूल खाताधारकों और क्रिप्टो खरीदारों के बीच प्रमुख कड़ी के रूप में स्थापित कर लिया. उसने कथित तौर पर अपने सह-आरोपियों से बैंक विवरण, यूपीआई आईडी और क्यूआर कोड एकत्र किए और उन्हें सोशल मीडिया के माध्यम से खरीदारों तक पहुंचाया. पुलिस ने बताया कि लूटे गए धन को या तो नकद में निकाला गया या दूसरों की मदद से यूएसडीटी में परिवर्तित किया गया.
आरोपियों के पास से छह सिम कार्ड, बैंक चेक बुक बरामद
पुलिस ने कहा कि किंग्सवे कैंप के हडसन लेन निवासी निधि अग्रवाल (47) ने बिना किसी कानूनी अनुमति के क्रिप्टो हैंडलर के रूप में काम करना स्वीकार किया. उसने कथित तौर पर कृष और उसके सहयोगियों से प्राप्त नकदी को एक अंतरराष्ट्रीय नंबर का उपयोग करके यूएसडीटी टोकन में परिवर्तित किया.राणा प्रताप बाग के कबीर नगर के स्नातक दीपक उर्फ सनी (23) ने कृष के साथ मिलकर काम किया और कथित तौर पर लेनदेन के लिए बैंक खातों की सोर्सिंग के लिए जिम्मेदार था. राणा प्रताप बाग के ही गौरव (27) ने कथित तौर पर खाताधारकों को सिंडिकेट से जोड़कर मध्यस्थ की भूमिका निभाई. उसने बुराड़ी के एक युवक, 19 वर्षीय मंथन का परिचय कराया, जिसने कथित तौर पर मामूली कमीशन के बदले में धोखाधड़ी की गई धनराशि के 50,000 रुपये के प्रसंस्करण के लिए अपने बैंक खाते की पेशकश की. बीए प्रथम वर्ष के छात्र मंथन ने भी क्रिप्टो रूपांतरण के दौरान नकदी सौंपने में भाग लिया. पुलिस ने आरोपियों के पास से छह मोबाइल फोन, एन्क्रिप्टेड संचार के लिए उपयोग किए गए छह सिम कार्ड, एक बैंक चेक बुक और एक एटीएम बरामद किया है.
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